वाराणसी: माफिया मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. 35 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने उसका आवेदन खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 16 फरवरी की तारीख तय की है. कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद 14 फरवरी की तिथि नियत की थी. वहीं मुख्तार अंसारी फिलहाल बांदा जेल में बंद है.
गाजीपुर में केस की सुनवाई कराने की मांग गाजीपुर जिले से फर्जी तरीके से हथियार का लाइसेंस लेने के मामले में मुख्तार अंसारी की ओर से अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था.अदालत में दलील दी गई थी कि इस मामले में मुख्तार अंसारी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं का आरोप नहीं बनता है. घटना के समय यह अधिनियम प्रभावी नहीं था. जो अधिनियम प्रभावी था, उसमें सिर्फ लोकसेवक ही आरोपी हो सकते थे.ऐसे में सिर्फ भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आरोप बनता है, जिसका ट्रायल जिले की ही कोर्ट में हो सकता है. मांग की गई थी कि मुकदमे को ट्रायल के लिए गाजीपुर जिले की सक्षम न्यायालय भेज दिया जाए.
फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार मुख्य आरोपी वहीं कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से सीबी- सीआईडी के अधिकारी उदय राज शुक्ल और एडीजीसी विनय कुमार सिंह की ओर से आपत्ति दाखिल की गई. जिसमें कहा गया कि, बचाव पक्ष सिर्फ मुकदमे को लटकाना चाहते हैं.
क्या है मामला मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप है कि उसने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट यहां प्रार्थना पत्र दिया था. जिसमें जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर लगाए गए थे. फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर सीबीसीआईडी की ओर से चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी,तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया. मामले में जांच के बाद लिपिक और मुख्तार अंसारी को आरोपी बनाया गया.
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