भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए खेती को लाभ का धंधा बनाने की कोशिश में जुटे रहे कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अब वाकई खेती को लाभ का धंधा बनाने फार्मूला निकाला है. कवायद ये है कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पास पांच हजार पांच सौ वैज्ञानिक हैं. शिवराज का फार्मूला ये है कि इसमें से दो-दो वैज्ञानिकों की टीम बनाई जाए और उन्हें कृषि विज्ञान केन्द्र में भेजा जाए. किसानों को अगर वैज्ञानिकों से जोड़ दिया गया तो लाभ मिलेगा, प्रोडक्शन बढ़ेगा और वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग करने से खेती की लागत भी घटेगी. ये बात केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूसा परिसर में आईसीएआर के 96 वें स्थापना दिवस के मौके पर कही.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पास 5,500 वैज्ञानिक हैं। आप 2-2 वैज्ञानिक की टीम बनाइए और कृषि विज्ञान केंद्र में भेजिए।
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) July 16, 2024
किसानों को अगर वैज्ञानिकों से जोड़ देंगे, तो लाभ मिलेगा, उत्पादन भी बढ़ेगा और टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए हम लागत भी घटा पाएंगे।
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खेती को लाभ का धंधा बनाने का शिवराज फार्मूला
शिवराज ने कहा कि मेरा व्यवहारिक अनुभव है कि लैब से लैंड तक पहुंचने में समय लगता है. वैज्ञानिक काम करते हैं, वो सच है, लेकिन किसान से विज्ञान कितना जुड़ा है. इस पर विचार करना चाहिए. शिवराज ने सलाह दी कि जो 5,500 वैज्ञानिक हैं. आप 2-2 वैज्ञानिक की टीम बनाइये और कृषि वैज्ञानिक केंद्र में भेजिए. उनके मुताबिक किसानों को अगर वैज्ञानिकों से जोड़ देंगे, तो लाभ मिलेगा, उत्पादन भी बढ़ेगा और टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए हम लागत भी घटा पाएंगे. हम दाल आयात कर रहे हैं. हमारे पास इतना बड़ा वैज्ञानिक अमला है. हम दलहन का उत्पादन कैसे बढ़ाएं, इस पर काम करें. अरहर की फसल को आने में 9 महीने लगते हैं. कुछ नई वैराइटी आई हैं, लेकिन वो सफल नहीं हुई. ये अवधि कैसे कम हो, इसके बारे में सोचें. हमारा किसान मेहनती है, हम मिलकर काम कर सकते हैं. रिसर्च पर खर्च कसे बढ़े, इस पर काम करें.'
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छोटे किसानो के लिए तैयार हों मॉडल फार्म
शिवराज ने कहा कि मैं खुद भी किसान हूं. हमारे यहां ज्यादातर किसान सीमांत हैं. इनके लिए हमें मॉडल फार्म बनाने की कोशिश करनी चाहिए. छोटी जोत के किसान के लिए हम मॉडल फार्म का प्रारूप बनाकर कि वो क्या क्या करें, आधी आबादी कृषि पर आज निर्भर है. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा है, किसान उसकी आत्मा है. किसानों का कल्याण भगवान की पूजा है. इसी भाव से प्रधानमंत्री काम कर रहे हैं. मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था अगर वाईबरेंट है, तो वो कृषि के कारण है. कृषि के क्षेत्र में क्रांति करने से मध्य प्रदेश बीमारू से विकसित राज्य बन गया है. 2005 में मध्य प्रदेश में अन्न का उत्पादन 100 लाख मीट्रिक टन था, जो 2022 में 619 लाख मीट्रिक टन हो गया.