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बिहार के इस रहस्यमई मंदिर में बरगद और पीपल के बीच स्थित है मंदिर, पेड़ के अंदर होता है भोले नाथ का दर्शन - Cave in Peepal and Banyan tree

Cave Of Lord Shiva In Bagaha: सनानत धर्म में पेड़ों का महत्‍व किसी से छिपा नहीं है. पीपल और बरगद का पेड़ लोकआस्‍था से तो जुड़ा है. इनके लिए कई रहस्‍यों से भरी कथाएं भी जनमानस में प्रचलित हैं. आश्‍चर्यों से भरा पश्‍चिमी चंपारण के टडवलिया गांव में शिव मंदिर एक बरगद और पीपल के पेड़ में बना हुआ है. यहां भगवान शिव पेड़ की गुफा में विराजते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

कुछ इस तरह दिखता है बगहा में भगवान शिव का मंदिर
कुछ इस तरह दिखता है बगहा में भगवान शिव का मंदिर
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 12, 2024, 6:23 AM IST

Updated : Apr 12, 2024, 9:49 AM IST

बगहा में शिव मंदिर

बगहा: बिहार के बगहा में प्रकृति का दिया एक शिव मंदिर चर्चा में है. मंदिर एक बरगद और पीपल के पेड़ में बना हुआ है. यहां भगवान शिव पेड़ की गुफा में विराजते हैं. पूरी तरह प्राकृतिक इस मंदिर में दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ऐसी मान्यता है. सदियों पुराने इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती आ रही है. पेड़ के भीतर देवाधिदेव शिव विराजते हैं. आश्‍चर्यों से भरा पीपल और बरगद का पेड़ पश्‍चिमी चंपारण के टडवलिया गांव में है.

पेड़ की गुफा में विराजमान हैं भोलेनाथ: यहां के पुजारी नंदलाल गिरी बताते हैं कि हजारों वर्ष पूर्व संत हरिनाथ बाबा ने यहां समाधि ली थी. समाधि स्थल पर एक पीपल और बरगद का पेड़ उगा और वह गुफा का शक्ल धारण कर लिया. इसमें अंदर जाने या आने के लिए एक ही रास्ता है. यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और श्रद्धालु अपनी मुराद पूरी करने के लिए जरूर पहुंचते हैं. बगहा के टड़वलिया गांव में भगवान शिव का हरिनाथ मंदिर पेड़ की गुफा में है जो लोगों के लिए सदियों से कौतूहल का विषय है.

Cave Of Lord Shiva In Bagaha
Cave Of Lord Shiva In Bagaha

डालियों से भगवान शिव से जुड़ी कई आकृतियां: उन्होंने बताया कि इस विशालकाय पीपल और वट के पेड़ पर शाखाओं और डालियों से भगवान शिव से जुड़ी कई आकृतियां बनी हुई हैं. सिर्फ इतना ही नहीं इन दोनों पेड़ों की टहनियां आश्‍चर्यजनक रूप से शिव के धनुष, त्रिशूल, डमरू और गले का हार यानि सर्प का आभास दिलाती हैं. यहीं नहीं इस पेड़ की जड़ काफी दूर जाकर ॐ की आकृति बनाए हुए हैं.

पीपल और बरगद के पेड़ में शिव मंदिर
पीपल और बरगद के पेड़ में शिव मंदिर

"आज आस्था एवं भक्ति का केंद्र बिंदु बना हुआ है. यहां दूर दराज से लोग पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगने आते हैं. खासकर शिवरात्रि के दिन यहां भारी भीड़ उमड़ती है. वृक्ष के जड़ में जो गुफा यानी प्रवेश द्वार बना है. उसमें सीधा घुसकर आपको पीठ पीछे कर ही निकलना पड़ता है. गुफा के भीतर महज इतना ही पर्याप्त जगह है जहां की आराम से बैठकर पूजा किया जा सके और शिव भगवान की आधी परिक्रमा की जा सके."- नवलकिशोर पांडे, ओझवलिया गांव

Cave Of Lord Shiva In Bagaha
Cave Of Lord Shiva In Bagaha

पीपल और बरगद के पेड़ में बना है गुफा: बाबा हरिनाथ यहां शिव मंदिर स्थापित करना चाहते थे. समाधि लेने से पहले वे पैदल बनारस गए और वहां से एक शिवलिंग लेकर आए. बाबा ने समाधि लेने के बाद मंदिर का निर्माण किया गया पर रात में सारा ईंट भरभराकर गिर जाता था. तब हरिनाथ बाबा ने अपने भक्त को स्वप्न में आये और बोले कि मैं अपना मंदिर स्वयं बना लूंगा. समाधि स्थल पर शिवलिंग के ऊपर एक पीपल और बरगद का पेड़ उगा और पेड़ के जड़ में गुफा बन गया, जिसने मंदिर का शक्ल ले लिया.

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बगहा में शिव मंदिर

बगहा: बिहार के बगहा में प्रकृति का दिया एक शिव मंदिर चर्चा में है. मंदिर एक बरगद और पीपल के पेड़ में बना हुआ है. यहां भगवान शिव पेड़ की गुफा में विराजते हैं. पूरी तरह प्राकृतिक इस मंदिर में दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ऐसी मान्यता है. सदियों पुराने इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती आ रही है. पेड़ के भीतर देवाधिदेव शिव विराजते हैं. आश्‍चर्यों से भरा पीपल और बरगद का पेड़ पश्‍चिमी चंपारण के टडवलिया गांव में है.

पेड़ की गुफा में विराजमान हैं भोलेनाथ: यहां के पुजारी नंदलाल गिरी बताते हैं कि हजारों वर्ष पूर्व संत हरिनाथ बाबा ने यहां समाधि ली थी. समाधि स्थल पर एक पीपल और बरगद का पेड़ उगा और वह गुफा का शक्ल धारण कर लिया. इसमें अंदर जाने या आने के लिए एक ही रास्ता है. यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और श्रद्धालु अपनी मुराद पूरी करने के लिए जरूर पहुंचते हैं. बगहा के टड़वलिया गांव में भगवान शिव का हरिनाथ मंदिर पेड़ की गुफा में है जो लोगों के लिए सदियों से कौतूहल का विषय है.

Cave Of Lord Shiva In Bagaha
Cave Of Lord Shiva In Bagaha

डालियों से भगवान शिव से जुड़ी कई आकृतियां: उन्होंने बताया कि इस विशालकाय पीपल और वट के पेड़ पर शाखाओं और डालियों से भगवान शिव से जुड़ी कई आकृतियां बनी हुई हैं. सिर्फ इतना ही नहीं इन दोनों पेड़ों की टहनियां आश्‍चर्यजनक रूप से शिव के धनुष, त्रिशूल, डमरू और गले का हार यानि सर्प का आभास दिलाती हैं. यहीं नहीं इस पेड़ की जड़ काफी दूर जाकर ॐ की आकृति बनाए हुए हैं.

पीपल और बरगद के पेड़ में शिव मंदिर
पीपल और बरगद के पेड़ में शिव मंदिर

"आज आस्था एवं भक्ति का केंद्र बिंदु बना हुआ है. यहां दूर दराज से लोग पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगने आते हैं. खासकर शिवरात्रि के दिन यहां भारी भीड़ उमड़ती है. वृक्ष के जड़ में जो गुफा यानी प्रवेश द्वार बना है. उसमें सीधा घुसकर आपको पीठ पीछे कर ही निकलना पड़ता है. गुफा के भीतर महज इतना ही पर्याप्त जगह है जहां की आराम से बैठकर पूजा किया जा सके और शिव भगवान की आधी परिक्रमा की जा सके."- नवलकिशोर पांडे, ओझवलिया गांव

Cave Of Lord Shiva In Bagaha
Cave Of Lord Shiva In Bagaha

पीपल और बरगद के पेड़ में बना है गुफा: बाबा हरिनाथ यहां शिव मंदिर स्थापित करना चाहते थे. समाधि लेने से पहले वे पैदल बनारस गए और वहां से एक शिवलिंग लेकर आए. बाबा ने समाधि लेने के बाद मंदिर का निर्माण किया गया पर रात में सारा ईंट भरभराकर गिर जाता था. तब हरिनाथ बाबा ने अपने भक्त को स्वप्न में आये और बोले कि मैं अपना मंदिर स्वयं बना लूंगा. समाधि स्थल पर शिवलिंग के ऊपर एक पीपल और बरगद का पेड़ उगा और पेड़ के जड़ में गुफा बन गया, जिसने मंदिर का शक्ल ले लिया.

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Last Updated : Apr 12, 2024, 9:49 AM IST
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