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एक साल पहले मलबे के भीतर काल के अंधकार में खो गए थे 20 जीवन, अभी भी हरे हैं शिमला के समरहिल में शिव बावड़ी हादसे के जख्म - Shimla Shiv Mandir Landslide

Shimla Shiv Temple Landslide 1 Year: शिमला में पिछले साल मानसून ने जमकर तबाही मचाई थी. आज ही के दिन 14 अगस्त को बीते साल समरहिल के शिव मंदिर में फ्लैश फ्लड आया जिसमें पूरा इलाका मलबे के नीचे दफन हो गया. इसी मलबे में 20 जिंदगियां भी दफन हो गई. आज इस हादसे को पूरा एक साल हो गया है.

Shimla Shiv Temple Landslide 1 Year
शिमला शिव मंदिर लैंडस्लाइड (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 14, 2024, 7:26 AM IST

शिमला: कुछ दुखों के जख्म निरंतर रिसते रहते हैं. कहते हैं कि समय हर जख्म को भर देता है, लेकिन मौत का समाचार लाने वाले हादसों की पीड़ा कभी कम नहीं होती. शिमला के समरहिल स्थित शिव मंदिर में एक साल पहले भक्तजन महाकाल की आराधना के लिए जुटे थे. अचानक प्रलय के रूप में इतना पानी आया कि सारा इलाका मलबे में दब गया. बीस अनमोल जीवन मलबे के भीतर काल के अंधकार में विलीन हो गए. समरहिल शिव मंदिर हादसे को एक साल हो गया है. वर्ष 2023 में 14 अगस्त की सुबह ये हादसा हुआ था. सावन के आखिरी सोमवार को भक्तजन शिव भगवान के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे थे. भंडारे का आयोजन किया गया था. चहुं ओर भक्ति का वातावरण था, लेकिन किसे मालूम था कि कुछ ही क्षणों में महाकाल का तांडव होगा.

शिव आराधना के लिए जुटी 20 जिंदगियां खत्म

जिस समय क्रुद्ध प्रकृति के कोप का मलबा समरहिल स्थित शिव बावड़ी मंदिर पर आया, महाकाल की आराधना के लिए जुटे 20 प्राणवान शरीर जड़ हो गए. भारी मलबे में दबे लोगों ने संभवत एकबारगी सोचा होगा कि ईश कृपा से कोई चमत्कार हो जाएगा, लेकिन शिव अपने काल रूप में थे. मलबे में दबे 20 लोगों की करुण और कातर पुकार के साथ हादसे की जगह बाहर व्यथित व विचलित अवस्था में खड़े परिजनों की प्रार्थनाएं भी काम नहीं आई. भारी मलबे में दब चुके 20 इंसानों के प्राण सावन के अंतिम सोमवार को अपने अंतिम सफर पर रवाना हो गए. ठीक दस दिन बाद 24 अगस्त को सर्च ऑपरेशन पूरा हुआ. वैसे ये सर्च ऑपरेशन रेस्क्यू ऑपरेशन होता तो कितना सुखद होता.

Shimla Shiv Temple Landslide 1 Year
1 साल पहले समरहिल के शिव मंदिर में हुआ था लैंडस्लाइड (ETV Bharat)

दस दिन बाद मिला दादा-पोती का शव

हादसा 14 अगस्त को पेश आया और दस दिन बाद सबसे आखिर में नन्हीं पोती का शव दादा के शव के साथ मिला. साथ ही एक युवक नीरज की प्राण विहीन देह भी मिली. ऑपरेशन पूरा होने पर वहां मौजूद लोगों के मन ने कहा-काश! ये सर्च की जगह रेस्क्यू ऑपरेशन कहलाता. काश! गणित, वकालत, खेल और कारोबार की दुनिया के लोग इस हादसे की भेंट न चढ़ते. काश! मंदिर के पुजारी फिर से शिव की पूजा करवाने के लिए चमत्कारी रूप से सुरक्षित बच जाते. काश! गणित की प्रोफेसर मानसी के गर्भ में पल रही नन्हीं जान मां सहित बच जाती और भविष्य में किसी भी क्षेत्र का चमकता सितारा बनती. काश! प्यारी-प्यारी दो छोटी-छोटी बहनें हंसी-खुशी दादू के साथ वापिस अपने घर लौट पाती.

एचपीयू ने खो दिए गणित के महारथी

हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में गणित की पहेलियों को चुटकी में सुलझाने वाले कुछ मेधावी लोग इस हादसे का शिकार हो गए. वे जीवन और मरण की जटिल पहेली सुलझाने से पहले ही इस संसार से विदा हो गए. आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त की सुबह समरहिल शिव मंदिर में आस्था रखने वालों के लिए काली सुबह बनकर आई. गणित के प्रोफेसर पीएल शर्मा अपनी जीवन संगिनी और होनहार बेटे ईश के साथ शिव उपासना के लिए शिव मंदिर पहुंचे थे. शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए हंसी-खुशी शिव मंदिर की तरफ बढ़ रहे पीएल शर्मा को क्या पता था कि महाकाल उनकी जीवन संगिनी चित्रलेखा और जिगर के टुकड़े ईश की जीवन रेखा मिटाने वाले हैं. शर्मा परिवार में पहले घर की लक्ष्मी की पार्थिव देह मिली, फिर उनके पति की और अंत में बेटे का निर्जीव शरीर मलबे से बाहर निकाला गया. एक ही घर से अलग-अलग दिन तीन अर्थियां निकली.

Shimla Shiv Temple Landslide 1 Year
समरहिल में लैंडस्लाइड में हुई थी 20 लोगों की मौत (ETV Bharat)

गर्भ में पल रही नन्हीं जान के साथ काल का ग्रास बन गई मां

समरहिल में रह रही गणित की प्रोफेसर मानसी अपने वकील पति हरीश वर्मा के साथ मंदिर में शिव भगवान के समक्ष प्रार्थना के लिए जा रही थी. मानसी एचपीयू में पढ़ाती थीं. वे पीएल शर्मा की शिष्या थी और उन्हीं के मार्गदर्शन में गणित में पीएचडी की थी. पूजा की सामग्री लिए डॉ. मानसी धीरे-धीरे कदम उठाती हुई मंदिर की तरफ बढ़ रही थी, क्योंकि उसके गर्भ में एक और जीव पल रहा था. मानसी और हरीश भी काल के ग्रास बन गए. उनके साथ ही गर्भ में पल रहा बच्चा मां पृथ्वी के रंग देखने से पहले ही काल के अंधेरे सफर पर धकेल दिया गया. पुजारी सुमन किशोर को भी क्या मालूम था कि ये उनकी अपने आराध्य के प्रति अंतिम पूजा है. इसी हादसे में कारोबारी परिवार के पवन शर्मा भी अपनी तीन पीढ़ियों के पांच सदस्यों सहित परलोक सिधार गए. मामा शंकर नेगी और भांजा अभिषेक नेगी भी आखिरी सफर पर निकल पड़े. सर्च ऑपरेशन के अंतिम दिन नीरज ठाकुर, पवन शर्मा व उनकी नन्हीं पोती के निष्प्राण शरीर मिल गए.

हर साल मानसून में हिमाचल को मिल रहे गहरे जख्म

समरहिल शिव बावड़ी मंदिर के हादसे ने प्रशासनिक मशीनरी और हिमाचल की जनता को कई सबक दिए हैं. आपदा से निपटने का तंत्र प्रभावी होना चाहिए. प्राकृतिक आपदाओं को इंसान रोक नहीं सकता, लेकिन उनके विपरीत प्रभाव को कम किया जा सकता है. हर बार मानसून सीजन में हिमाचल को गहरे जख्म मिलते हैं. इस साल भी रामपुर के समेज सहित मंडी के राजबन व चौहार घाटी में हुए हादसों ने 56 से अधिक लोगों की जान ले ली है. कुछ लोग अभी भी लापता हैं. रामपुर के समेज में पूरा का पूरा गांव ही आपदा का शिकार हो गया. पिछले साल मानसून सीजन में 509 लोग मौत का शिकार हुए थे. इस साल भी करीब दो सौ लोग अब तक काल का ग्रास बन चुके हैं. ये हादसे कम होने चाहिए.

प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ अभियानों में बचाव कार्यों के उपाय सुझाने वाले कार्यक्रमों में सक्रिय मीनाक्षी रघुवंशी का कहना है, "भूस्खलन वाले इलाकों को चिन्हित करना जरूरी है. जहां भूस्खलन के आसार हों, वहां बस्तियां नहीं होनी चाहिए. नदी किनारे बसावट को सख्ती से प्रतिबंधित करना चाहिए. हर पंचायत, कस्बे व शहरी इलाकों में सामुदायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. आपदा के समय बचाव कार्य में काम आने वाले उपकरण ऐसे स्थानों पर भंडार किए जाएं, जहां से आसानी से उन्हें आपदा वाले क्षेत्र में ले जाया जा सके."

हिमाचल सरकार के कैबिनेट मंत्री धनीराम शांडिल बुधवार को समरहिल हादसे का शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में ऐसे हादसे न के बराबर हों. बरसात में हर साल मिलने वाले जख्मों को कम किया जा सके, इसके लिए सरकारी तंत्र के साथ-साथ सामुदायिक प्रयास भी जरूरी है.

ये भी पढ़ें: 4 साल के आद्विक का शव बरामद, समेज में बाढ़ आने के बाद मां कल्पना और बहन के साथ हुआ था लापता

ये भी पढ़ें: रात में एक ही झटके में बर्बाद हो गए सेब के बगीचे, पूरी फसल हो गई तबाह

ये भी पढ़ें: कुल्लू में 15 मील के पास नदी में मिला युवती का शव, दोस्त से मिलने के लिए गई थी ओल्ड मनाली

शिमला: कुछ दुखों के जख्म निरंतर रिसते रहते हैं. कहते हैं कि समय हर जख्म को भर देता है, लेकिन मौत का समाचार लाने वाले हादसों की पीड़ा कभी कम नहीं होती. शिमला के समरहिल स्थित शिव मंदिर में एक साल पहले भक्तजन महाकाल की आराधना के लिए जुटे थे. अचानक प्रलय के रूप में इतना पानी आया कि सारा इलाका मलबे में दब गया. बीस अनमोल जीवन मलबे के भीतर काल के अंधकार में विलीन हो गए. समरहिल शिव मंदिर हादसे को एक साल हो गया है. वर्ष 2023 में 14 अगस्त की सुबह ये हादसा हुआ था. सावन के आखिरी सोमवार को भक्तजन शिव भगवान के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे थे. भंडारे का आयोजन किया गया था. चहुं ओर भक्ति का वातावरण था, लेकिन किसे मालूम था कि कुछ ही क्षणों में महाकाल का तांडव होगा.

शिव आराधना के लिए जुटी 20 जिंदगियां खत्म

जिस समय क्रुद्ध प्रकृति के कोप का मलबा समरहिल स्थित शिव बावड़ी मंदिर पर आया, महाकाल की आराधना के लिए जुटे 20 प्राणवान शरीर जड़ हो गए. भारी मलबे में दबे लोगों ने संभवत एकबारगी सोचा होगा कि ईश कृपा से कोई चमत्कार हो जाएगा, लेकिन शिव अपने काल रूप में थे. मलबे में दबे 20 लोगों की करुण और कातर पुकार के साथ हादसे की जगह बाहर व्यथित व विचलित अवस्था में खड़े परिजनों की प्रार्थनाएं भी काम नहीं आई. भारी मलबे में दब चुके 20 इंसानों के प्राण सावन के अंतिम सोमवार को अपने अंतिम सफर पर रवाना हो गए. ठीक दस दिन बाद 24 अगस्त को सर्च ऑपरेशन पूरा हुआ. वैसे ये सर्च ऑपरेशन रेस्क्यू ऑपरेशन होता तो कितना सुखद होता.

Shimla Shiv Temple Landslide 1 Year
1 साल पहले समरहिल के शिव मंदिर में हुआ था लैंडस्लाइड (ETV Bharat)

दस दिन बाद मिला दादा-पोती का शव

हादसा 14 अगस्त को पेश आया और दस दिन बाद सबसे आखिर में नन्हीं पोती का शव दादा के शव के साथ मिला. साथ ही एक युवक नीरज की प्राण विहीन देह भी मिली. ऑपरेशन पूरा होने पर वहां मौजूद लोगों के मन ने कहा-काश! ये सर्च की जगह रेस्क्यू ऑपरेशन कहलाता. काश! गणित, वकालत, खेल और कारोबार की दुनिया के लोग इस हादसे की भेंट न चढ़ते. काश! मंदिर के पुजारी फिर से शिव की पूजा करवाने के लिए चमत्कारी रूप से सुरक्षित बच जाते. काश! गणित की प्रोफेसर मानसी के गर्भ में पल रही नन्हीं जान मां सहित बच जाती और भविष्य में किसी भी क्षेत्र का चमकता सितारा बनती. काश! प्यारी-प्यारी दो छोटी-छोटी बहनें हंसी-खुशी दादू के साथ वापिस अपने घर लौट पाती.

एचपीयू ने खो दिए गणित के महारथी

हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में गणित की पहेलियों को चुटकी में सुलझाने वाले कुछ मेधावी लोग इस हादसे का शिकार हो गए. वे जीवन और मरण की जटिल पहेली सुलझाने से पहले ही इस संसार से विदा हो गए. आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त की सुबह समरहिल शिव मंदिर में आस्था रखने वालों के लिए काली सुबह बनकर आई. गणित के प्रोफेसर पीएल शर्मा अपनी जीवन संगिनी और होनहार बेटे ईश के साथ शिव उपासना के लिए शिव मंदिर पहुंचे थे. शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए हंसी-खुशी शिव मंदिर की तरफ बढ़ रहे पीएल शर्मा को क्या पता था कि महाकाल उनकी जीवन संगिनी चित्रलेखा और जिगर के टुकड़े ईश की जीवन रेखा मिटाने वाले हैं. शर्मा परिवार में पहले घर की लक्ष्मी की पार्थिव देह मिली, फिर उनके पति की और अंत में बेटे का निर्जीव शरीर मलबे से बाहर निकाला गया. एक ही घर से अलग-अलग दिन तीन अर्थियां निकली.

Shimla Shiv Temple Landslide 1 Year
समरहिल में लैंडस्लाइड में हुई थी 20 लोगों की मौत (ETV Bharat)

गर्भ में पल रही नन्हीं जान के साथ काल का ग्रास बन गई मां

समरहिल में रह रही गणित की प्रोफेसर मानसी अपने वकील पति हरीश वर्मा के साथ मंदिर में शिव भगवान के समक्ष प्रार्थना के लिए जा रही थी. मानसी एचपीयू में पढ़ाती थीं. वे पीएल शर्मा की शिष्या थी और उन्हीं के मार्गदर्शन में गणित में पीएचडी की थी. पूजा की सामग्री लिए डॉ. मानसी धीरे-धीरे कदम उठाती हुई मंदिर की तरफ बढ़ रही थी, क्योंकि उसके गर्भ में एक और जीव पल रहा था. मानसी और हरीश भी काल के ग्रास बन गए. उनके साथ ही गर्भ में पल रहा बच्चा मां पृथ्वी के रंग देखने से पहले ही काल के अंधेरे सफर पर धकेल दिया गया. पुजारी सुमन किशोर को भी क्या मालूम था कि ये उनकी अपने आराध्य के प्रति अंतिम पूजा है. इसी हादसे में कारोबारी परिवार के पवन शर्मा भी अपनी तीन पीढ़ियों के पांच सदस्यों सहित परलोक सिधार गए. मामा शंकर नेगी और भांजा अभिषेक नेगी भी आखिरी सफर पर निकल पड़े. सर्च ऑपरेशन के अंतिम दिन नीरज ठाकुर, पवन शर्मा व उनकी नन्हीं पोती के निष्प्राण शरीर मिल गए.

हर साल मानसून में हिमाचल को मिल रहे गहरे जख्म

समरहिल शिव बावड़ी मंदिर के हादसे ने प्रशासनिक मशीनरी और हिमाचल की जनता को कई सबक दिए हैं. आपदा से निपटने का तंत्र प्रभावी होना चाहिए. प्राकृतिक आपदाओं को इंसान रोक नहीं सकता, लेकिन उनके विपरीत प्रभाव को कम किया जा सकता है. हर बार मानसून सीजन में हिमाचल को गहरे जख्म मिलते हैं. इस साल भी रामपुर के समेज सहित मंडी के राजबन व चौहार घाटी में हुए हादसों ने 56 से अधिक लोगों की जान ले ली है. कुछ लोग अभी भी लापता हैं. रामपुर के समेज में पूरा का पूरा गांव ही आपदा का शिकार हो गया. पिछले साल मानसून सीजन में 509 लोग मौत का शिकार हुए थे. इस साल भी करीब दो सौ लोग अब तक काल का ग्रास बन चुके हैं. ये हादसे कम होने चाहिए.

प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ अभियानों में बचाव कार्यों के उपाय सुझाने वाले कार्यक्रमों में सक्रिय मीनाक्षी रघुवंशी का कहना है, "भूस्खलन वाले इलाकों को चिन्हित करना जरूरी है. जहां भूस्खलन के आसार हों, वहां बस्तियां नहीं होनी चाहिए. नदी किनारे बसावट को सख्ती से प्रतिबंधित करना चाहिए. हर पंचायत, कस्बे व शहरी इलाकों में सामुदायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. आपदा के समय बचाव कार्य में काम आने वाले उपकरण ऐसे स्थानों पर भंडार किए जाएं, जहां से आसानी से उन्हें आपदा वाले क्षेत्र में ले जाया जा सके."

हिमाचल सरकार के कैबिनेट मंत्री धनीराम शांडिल बुधवार को समरहिल हादसे का शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में ऐसे हादसे न के बराबर हों. बरसात में हर साल मिलने वाले जख्मों को कम किया जा सके, इसके लिए सरकारी तंत्र के साथ-साथ सामुदायिक प्रयास भी जरूरी है.

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