श्योपुर. दरअसल 13 दिन पहले राजस्थान की पुलिस श्योपुर के लहचोड़ा गांव के रहने वाले 28 साल के सुरेश शर्मा के घर पहुंचती है और सुरेश के राजस्थान के सुरवाड इलाके में हुए सड़क हादसे में उसकी मौत की खबर परिजनों को देती है. परिजनों को उसकी शिनाख्त के लिए अस्पताल के शवग्रह में बुलाया जाता है. इधर जवान बेटे की सड़क हादसे में मौत की खबर सुनकर सुरेश के परिजनों को बुरा हाल हो जाता है और वे बेटे की शिनाख्त के लिए शवग्रह पहुंचते हैं. परिजन सुरेश से मिलती जुलती हुई लाश को अपने बेटे का शव मानकर उसका अंतिम संस्कार करने गांंव ले आते हैं और पूरा परिवार मातम में डूब जाता है.
तेरहवीं के दिन परिजनों को लगता है झटका
मातम में डूबे परिवार को उस दिन बड़ा झटका लगता है जब तेरहवीं के दिन सुरेश घर की दहलीज पर आ खड़ा होता है. सुरेश की आत्मा की शांति के लिए घर पर गरुड़ पुराण का पाठ चल रहा होता है. ब्राह्मण और रिश्तेदारों को भोजन करवाने की व्यवस्था में परिजन जुटे होते हैं तभी सुरेश वहां आ खड़ा होता है. ये देख सब हक्के बक्के रह जाते हैं. बताया जा रहा है कि आने से पहले सुरेश का अपनी मोबाइल पर वीडियो कॉल भी आता है पर घर वालों को उसके जिंदा होने की बात पर यकीन नहीं होता. इसके बाद सुरेश अल सुबह जयपुर से अपने गांव पहुंचता है घर में खुद की मौत पर हो रही तेरहवीं पर दंग रह जाता है.
मामले की जांच में जुटी पुलिस
सुरेश को जिंदा देख कर पूरे घर वालो के होश उड़ जाते है और पूरा गांव भी हैरानी में पड़ जाता है. थोड़ी ही देर में उन्हें समझ आ जाता है कि उन्होंने जिसका अंतिम संस्कार कर दिया वो कोई और था. मामले की खबर राजस्थान पुलिस को दी जाती है कि सुरेश जिंदा है. ये सुनकर पुलिस के भी होश उड़ जाते हैं. बताया जा रहा है कि पुलिस अब जानकारी जुटाने में लगी है कि जिसका अंतिम संस्कार कर दिया गया आखिर वो कौन था. वहीं सुरेश के जिंदा होने पर घर में शोक पलभर में खुशियों में बदल गया है.