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शेख सलीम चिश्ती दरगाह, कामाख्या मंदिर विवाद; सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के आदेश - Kamakhya Temple Controversy - KAMAKHYA TEMPLE CONTROVERSY

लघुवाद न्यायालय में पहले से ही ताजमहल या तेजोमहालय, जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे भगवान केशव देव के विग्रह दबे होने का मामला और ताजमहल में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक का मामला विचाराधीन है. इन मामलों में लगातार सुनवाई हो रही है. ऐसे अब फतेहपुर सीकरी स्थित शेख सलीम चिश्ती की दरगाह और कामाख्या माता मंदिर का मामला भी सुर्खियों में है.

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शेख सलीम चिश्ती दरगाह, कामाख्या मंदिर विवाद. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 24, 2024, 7:15 PM IST

आगरा: आगरा के लघुवाद न्यायालय में मंगलवार को आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट के फतेहपुर सीकरी की शेख सलीम चिश्ती दरगाह और कामाख्या माता मंदिर केस की सुनवाई हुई. जिसमें वादी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत अन्य प्रतिवादी भी हाजिर हुए. न्यायालय के आदेश पर सभी प्रतिवादियों को वाद पत्र की छाया प्रति उपलब्ध कराई गई. इसके साथ ही न्यायाधीश ने सभी प्रतिवादियों को इस मामले में अपना लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. अब इस मामले की 18 अक्टूबर को होगी.

बता दें कि लघुवाद न्यायालय में पहले से ही ताजमहल या तेजोमहालय, जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे भगवान केशव देव के विग्रह दबे होने का मामला और ताजमहल में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक का मामला विचाराधीन है. इन मामलों में लगातार सुनवाई हो रही है. ऐसे अब फतेहपुर सीकरी स्थित शेख सलीम चिश्ती की दरगाह और कामाख्या माता मंदिर का मामला भी सुर्खियों में है. क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने आगरा के लघुवाद न्यायालय में इसको लेकर वाद दायर किया है.

लिखित जवाब के लिए दिया समय: क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने फतेहपुर सीकरी में स्थित सलीम चिश्ती की दरगाह को कामाख्या माता का मंदिर और जामा मस्जिद को कामाख्या माता मंदिर परिसर बताकर कोर्ट में एक वाद दायर किया था. इस मामले में माता कामाख्या, आस्थान माता कामाख्या, आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट और अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी हैं. इस मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन कमेटी दरगाह सलीम चिश्ती, प्रबंधन कमेटी जामा मस्जिद प्रतिवादी हैं.

वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सुनवाई में सभी प्रतिवादी को वाद पत्र की छाया प्रति उपलब्ध करवाई गई है. सुनवाई में न्यायालय ने प्रतिवादियों को अपना लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है. प्रतिवादी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता राशिद सलीम शम्सी, जामा मस्जिद, सलीम चिश्ती दरगाह की ओर से अधिवक्ता उपस्थित हुए.

सिकरवार वंश का था राज्य: वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि वर्तमान में विवादित संपत्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीन एक संरक्षित स्मारक है. जिस पर सभी प्रतिवादी अतिक्रमणी हैं. फतेहपुर सीकरी का मूल नाम सीकरी है. जिसे विजयपुर सीकरी भी कहते थे. जो सिकरवार क्षत्रियों का राज्य था. जहां पर विवादित संपत्ति माता कामाख्या देवी का मूल गर्भ गृह व मंदिर परिसर था.

बाबरनामा में सीकरी का जिक्र: वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि प्रचलित ऐतिहासिक कहानी के मुताबिक अकबर ने फतेहपुर सीकरी को बसाया था. एक झूठ है. मुगलवंश के संस्थापक बाबर की जीवनी बाबरनामा में सीकरी का उल्लेख है. वर्तमान में बुलंद दरवाजे के नीचे दक्षिण पश्चिम में एक अष्टभुजीय कुआं है. दक्षिण पूर्वी हिस्से में एक गरीब घर है. जिसके निर्माण का वर्णन बाबर ने किया है. एएसआई के अभिलेख भी यही मानते हैं.

एएसआई अधिकारी की पुस्तक में उल्लेख: वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का कहना है कि एएसआई में अधिकारी पद से रिटायर डीबी शर्मा ने अपने कार्यकाल में फतेहपुर सीकरी के बीर छबीली टीले की खुदाई कराई थी. जिसमें उन्हें सरस्वती और जैन मूर्तियां मिली थीं. जो 1000 ईं की थीं. इस बारे में डीबी शर्मा ने अपनी पुस्तक 'आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी- न्यू डिस्कवरीज़' में इसका विस्तार से लिखा है. इसी पुस्तक के पेज संख्या 86 पर वाद संपत्ति का निर्माण हिन्दू व जैन मंदिर के अवशेषों से बताया है. इस बारे में अंग्रेज अफसर ई बी हावेल ने वाद संपत्ति के खम्भों व छत को हिन्दू शिल्पकला बताया है. उन्होंने इसे मस्जिद होने से इंकार किया है.

खानवा युद्ध में गवाह था मंदिर: वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का दावा है कि, खानवा युद्ध के समय सीकरी के राजा राव धामदेव थे. उन्होंने भी खानवा युद्ध में भाग लिया था. खानवा के युद्ध में राणा सांगा घायल हो गए तो राजा राव धामदेव धर्म बचाने के लिए माता कामाख्या के प्राण प्रतिष्ठित विग्रह को ऊंट पर रखकर पूर्व दिशा की ओर चले गए. उन्होंने यूपी के गाजीपुर जिले के सकराडीह में कामाख्या माता का मंदिर बनाकर ये विग्रह को पुनः स्थापित किया. इन तथ्यों का उल्लेख राव धामदेव के राजकवि विद्याधर ने अपनी पुस्तक में किया है.

शेख सलीम चिश्ती की दरगाह: बता दें कि फतेहपुर सीकरी में सूफी संत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है. मुगलकाल में मुगल बादशाह अकबर के जब कोई संतान नहीं थी. इससे अबकर परेशान था. बादशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी में जाकर शेख सलीम चिश्ती से पूछा था कि, उसके कितने पुत्र होंगे. जिस पर शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से बादशाह अकबर के यहां पर बेटा पैदा हुआ. अकबर ने जिसका नाम सलीम रखा. जो जहांगीर के नाम से मुगल बादशाह बना. अकबर ने सलीम चिश्ती की समाधि का निर्माण सन् 1580 से 1581 के दाैरान करवाया था.

ये भी पढ़ेंः ताजमहल में तैनात होगी एंटी ड्रोन गन; बंदरों के आतंक से बचाएगी ये मशीन; मंकी अटैक से सेफ रहेंगे पर्यटक

आगरा: आगरा के लघुवाद न्यायालय में मंगलवार को आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट के फतेहपुर सीकरी की शेख सलीम चिश्ती दरगाह और कामाख्या माता मंदिर केस की सुनवाई हुई. जिसमें वादी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत अन्य प्रतिवादी भी हाजिर हुए. न्यायालय के आदेश पर सभी प्रतिवादियों को वाद पत्र की छाया प्रति उपलब्ध कराई गई. इसके साथ ही न्यायाधीश ने सभी प्रतिवादियों को इस मामले में अपना लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. अब इस मामले की 18 अक्टूबर को होगी.

बता दें कि लघुवाद न्यायालय में पहले से ही ताजमहल या तेजोमहालय, जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे भगवान केशव देव के विग्रह दबे होने का मामला और ताजमहल में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक का मामला विचाराधीन है. इन मामलों में लगातार सुनवाई हो रही है. ऐसे अब फतेहपुर सीकरी स्थित शेख सलीम चिश्ती की दरगाह और कामाख्या माता मंदिर का मामला भी सुर्खियों में है. क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने आगरा के लघुवाद न्यायालय में इसको लेकर वाद दायर किया है.

लिखित जवाब के लिए दिया समय: क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने फतेहपुर सीकरी में स्थित सलीम चिश्ती की दरगाह को कामाख्या माता का मंदिर और जामा मस्जिद को कामाख्या माता मंदिर परिसर बताकर कोर्ट में एक वाद दायर किया था. इस मामले में माता कामाख्या, आस्थान माता कामाख्या, आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट और अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी हैं. इस मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन कमेटी दरगाह सलीम चिश्ती, प्रबंधन कमेटी जामा मस्जिद प्रतिवादी हैं.

वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सुनवाई में सभी प्रतिवादी को वाद पत्र की छाया प्रति उपलब्ध करवाई गई है. सुनवाई में न्यायालय ने प्रतिवादियों को अपना लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है. प्रतिवादी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता राशिद सलीम शम्सी, जामा मस्जिद, सलीम चिश्ती दरगाह की ओर से अधिवक्ता उपस्थित हुए.

सिकरवार वंश का था राज्य: वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि वर्तमान में विवादित संपत्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीन एक संरक्षित स्मारक है. जिस पर सभी प्रतिवादी अतिक्रमणी हैं. फतेहपुर सीकरी का मूल नाम सीकरी है. जिसे विजयपुर सीकरी भी कहते थे. जो सिकरवार क्षत्रियों का राज्य था. जहां पर विवादित संपत्ति माता कामाख्या देवी का मूल गर्भ गृह व मंदिर परिसर था.

बाबरनामा में सीकरी का जिक्र: वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि प्रचलित ऐतिहासिक कहानी के मुताबिक अकबर ने फतेहपुर सीकरी को बसाया था. एक झूठ है. मुगलवंश के संस्थापक बाबर की जीवनी बाबरनामा में सीकरी का उल्लेख है. वर्तमान में बुलंद दरवाजे के नीचे दक्षिण पश्चिम में एक अष्टभुजीय कुआं है. दक्षिण पूर्वी हिस्से में एक गरीब घर है. जिसके निर्माण का वर्णन बाबर ने किया है. एएसआई के अभिलेख भी यही मानते हैं.

एएसआई अधिकारी की पुस्तक में उल्लेख: वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का कहना है कि एएसआई में अधिकारी पद से रिटायर डीबी शर्मा ने अपने कार्यकाल में फतेहपुर सीकरी के बीर छबीली टीले की खुदाई कराई थी. जिसमें उन्हें सरस्वती और जैन मूर्तियां मिली थीं. जो 1000 ईं की थीं. इस बारे में डीबी शर्मा ने अपनी पुस्तक 'आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी- न्यू डिस्कवरीज़' में इसका विस्तार से लिखा है. इसी पुस्तक के पेज संख्या 86 पर वाद संपत्ति का निर्माण हिन्दू व जैन मंदिर के अवशेषों से बताया है. इस बारे में अंग्रेज अफसर ई बी हावेल ने वाद संपत्ति के खम्भों व छत को हिन्दू शिल्पकला बताया है. उन्होंने इसे मस्जिद होने से इंकार किया है.

खानवा युद्ध में गवाह था मंदिर: वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का दावा है कि, खानवा युद्ध के समय सीकरी के राजा राव धामदेव थे. उन्होंने भी खानवा युद्ध में भाग लिया था. खानवा के युद्ध में राणा सांगा घायल हो गए तो राजा राव धामदेव धर्म बचाने के लिए माता कामाख्या के प्राण प्रतिष्ठित विग्रह को ऊंट पर रखकर पूर्व दिशा की ओर चले गए. उन्होंने यूपी के गाजीपुर जिले के सकराडीह में कामाख्या माता का मंदिर बनाकर ये विग्रह को पुनः स्थापित किया. इन तथ्यों का उल्लेख राव धामदेव के राजकवि विद्याधर ने अपनी पुस्तक में किया है.

शेख सलीम चिश्ती की दरगाह: बता दें कि फतेहपुर सीकरी में सूफी संत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है. मुगलकाल में मुगल बादशाह अकबर के जब कोई संतान नहीं थी. इससे अबकर परेशान था. बादशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी में जाकर शेख सलीम चिश्ती से पूछा था कि, उसके कितने पुत्र होंगे. जिस पर शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से बादशाह अकबर के यहां पर बेटा पैदा हुआ. अकबर ने जिसका नाम सलीम रखा. जो जहांगीर के नाम से मुगल बादशाह बना. अकबर ने सलीम चिश्ती की समाधि का निर्माण सन् 1580 से 1581 के दाैरान करवाया था.

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