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नवरात्र: 260 वर्ष पुराने अंबिका देवी मंदिर में नगाड़े की थाप से खुश होतीं हैं मां, ये है मान्यता - SHARDIYA NAVRATRI 2024

जहानाबाद की मां अंबिका देवी प्राचीन सिद्ध पीठ, 260 वर्ष पूर्व काशीराज ने बनवाया था मंदिर

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प्राचीन सिद्ध पीठ मां अंबिका देवी मंदिर (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 8, 2024, 1:20 PM IST

फतेहपुर:जनपद के कोड़ा जहानाबाद कस्बा स्थित प्राचीन सिद्ध पीठ मां अंबिका देवी मंदिर में मातारानी की पूजा अर्चना के लिए भीड़ उमड़ रही है. इस सिद्ध पीठ के बारे में भक्तों में मान्यता है कि यहां पहुंच कर जो भी भक्त नगाड़ा बजाकर मां के चरणों में माथा टेकता है, मां खुश होकर उसकी सारी मुरादें पूरी करती हैं.

जनपद के कस्बा कोड़ा जहानाबाद के मोहल्ला क्योंटरा के समीप रोटी मार्ग के किनारे प्राचीन सिद्ध पीठ मां अंबिका देवी का मंदिर है. ऐतिहासिक शक्तिपीठ मां अंबिका देवी का अति प्राचीन मंदिर है. इसकी स्थापना 260 वर्ष पूर्व काशीराज ने करवाई थी, इसकी शिला मंदिर के पूर्व की ओर लगी है. इस प्राचीन मंदिर के विषय में ऐसी मान्यता है कि मुगल राजाओं को भी देवी मंदिर में आस्था रहती थी. यहां पर अब भी हिंदुओं के साथ गैर हिंदू भी दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं और मन्नत पूरी होने पर लोग कन्या भोज, भंडारा व अन्य धार्मिक अनुष्ठान समय-समय पर कराते हैं. यह मंदिर मुगलकालीन समय का है.


मंदिर में स्थापित मां अंबिका देवी की मूर्ति बेहद आकर्षक है. मंदिर परिसर में मुगलकालीन नक्काशी की झलक दिखाई देती है. मंदिर में दो मुख्य दरवाजे हैं. मंदिर के अंदर जाने के बाद तीन दिशाओं के लिए तीन दरवाजे लगे हैं. मंदिर के अंदर देवी जी के पास ही बड़ा शिवलिंग स्थापित है. इसके अलावा मंदिर परिसर में बजरंगबली, नंदी बाबा व अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां विराजमान हैं.

इसे भी पढ़े-प्रयागराज का मां ललिता देवी माता मंदिर है बेहद खास, जानें क्यों नवरात्र में यहां लगती हैं श्रद्धालुओं की लंबी कतारें - Maa Lalita Devi Mandir in Prayagraj

मां अंबिका देवी के दर्शन के लिए यूं तो प्रतिदिन मां के चरणों में माथा टेकने भक्त आते हैं. किंतु नवरात्रों में भक्तों की भारी भीड़ रहती है. मंदिर परिसर में विशाल मेला लगता है. इस सिद्ध पीठ मंदिर की मान्यता है, कि नागाढ़े की आवाज सुनकर मां अंबिका देवी खुश होती हैं. जब भी कोई भक्त मां के दर्शन करने के लिए मंदिर आता है, तो मां की मूर्ति के पास रखे नगाड़े में एक चोभ जरूर मारता है. कहते हैं कि ऐसा करने से मां खुश होती हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं.

मां अंबिका देवी के दरबार में पूरे वर्ष जहां प्रतिदिन मां के भक्त माथा टेकने मुंडन संस्कार होते है. नव विवाहित जोड़े यहां पर मां का आशीर्वाद लेने पहुंचते है. अंबिका देवी मंदिर में जनपद के अतिरिक्त गैर जिलों से भी भक्त मां का आशीर्वाद लेने पहुंचते है. मां के दरबार में माथा टेकने पर सभी मनोरथ पूरे होते हैं, नवरात्र में भक्त मनौती पूरी होने पर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, साल भर मंदिर में देवी भक्तों का आना जाना लगा रहता है.

मंदिर के पुजारी रंगीलाल ने बताया, कि मां अंबिका देवी के दर्शन मात्र से ही दुखों का नाश होता है. भक्त श्रद्धा से मंदिर में घंटे चढ़ाते है और कन्या भोज कराते हैं. मां अंबिका देवी सेवा समिति के व्यवस्थापक मुकुंद गोपाल गुप्ता ने बताया कि कस्बा कोड़ा जहानाबाद में मां अंबिका देवी का एक शक्तिपीठ मंदिर है. भक्तों में अटूट श्रद्धा है. मंदिर में नवरात्रि में भारी भीड़ उमड़ती है. धार्मिक अनुष्ठान कराने के लिए पुजारी की व्यवस्था कराई जाती है.

(नोट: यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है)

यह भी पढ़े-मां कूष्मांडा देवी मंदिर की पिंडी से आज भी रिसता है पानी, जानिए मातारानी की महिमा.... - Shardiya Navratri 2024

फतेहपुर:जनपद के कोड़ा जहानाबाद कस्बा स्थित प्राचीन सिद्ध पीठ मां अंबिका देवी मंदिर में मातारानी की पूजा अर्चना के लिए भीड़ उमड़ रही है. इस सिद्ध पीठ के बारे में भक्तों में मान्यता है कि यहां पहुंच कर जो भी भक्त नगाड़ा बजाकर मां के चरणों में माथा टेकता है, मां खुश होकर उसकी सारी मुरादें पूरी करती हैं.

जनपद के कस्बा कोड़ा जहानाबाद के मोहल्ला क्योंटरा के समीप रोटी मार्ग के किनारे प्राचीन सिद्ध पीठ मां अंबिका देवी का मंदिर है. ऐतिहासिक शक्तिपीठ मां अंबिका देवी का अति प्राचीन मंदिर है. इसकी स्थापना 260 वर्ष पूर्व काशीराज ने करवाई थी, इसकी शिला मंदिर के पूर्व की ओर लगी है. इस प्राचीन मंदिर के विषय में ऐसी मान्यता है कि मुगल राजाओं को भी देवी मंदिर में आस्था रहती थी. यहां पर अब भी हिंदुओं के साथ गैर हिंदू भी दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं और मन्नत पूरी होने पर लोग कन्या भोज, भंडारा व अन्य धार्मिक अनुष्ठान समय-समय पर कराते हैं. यह मंदिर मुगलकालीन समय का है.


मंदिर में स्थापित मां अंबिका देवी की मूर्ति बेहद आकर्षक है. मंदिर परिसर में मुगलकालीन नक्काशी की झलक दिखाई देती है. मंदिर में दो मुख्य दरवाजे हैं. मंदिर के अंदर जाने के बाद तीन दिशाओं के लिए तीन दरवाजे लगे हैं. मंदिर के अंदर देवी जी के पास ही बड़ा शिवलिंग स्थापित है. इसके अलावा मंदिर परिसर में बजरंगबली, नंदी बाबा व अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां विराजमान हैं.

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मां अंबिका देवी के दर्शन के लिए यूं तो प्रतिदिन मां के चरणों में माथा टेकने भक्त आते हैं. किंतु नवरात्रों में भक्तों की भारी भीड़ रहती है. मंदिर परिसर में विशाल मेला लगता है. इस सिद्ध पीठ मंदिर की मान्यता है, कि नागाढ़े की आवाज सुनकर मां अंबिका देवी खुश होती हैं. जब भी कोई भक्त मां के दर्शन करने के लिए मंदिर आता है, तो मां की मूर्ति के पास रखे नगाड़े में एक चोभ जरूर मारता है. कहते हैं कि ऐसा करने से मां खुश होती हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं.

मां अंबिका देवी के दरबार में पूरे वर्ष जहां प्रतिदिन मां के भक्त माथा टेकने मुंडन संस्कार होते है. नव विवाहित जोड़े यहां पर मां का आशीर्वाद लेने पहुंचते है. अंबिका देवी मंदिर में जनपद के अतिरिक्त गैर जिलों से भी भक्त मां का आशीर्वाद लेने पहुंचते है. मां के दरबार में माथा टेकने पर सभी मनोरथ पूरे होते हैं, नवरात्र में भक्त मनौती पूरी होने पर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, साल भर मंदिर में देवी भक्तों का आना जाना लगा रहता है.

मंदिर के पुजारी रंगीलाल ने बताया, कि मां अंबिका देवी के दर्शन मात्र से ही दुखों का नाश होता है. भक्त श्रद्धा से मंदिर में घंटे चढ़ाते है और कन्या भोज कराते हैं. मां अंबिका देवी सेवा समिति के व्यवस्थापक मुकुंद गोपाल गुप्ता ने बताया कि कस्बा कोड़ा जहानाबाद में मां अंबिका देवी का एक शक्तिपीठ मंदिर है. भक्तों में अटूट श्रद्धा है. मंदिर में नवरात्रि में भारी भीड़ उमड़ती है. धार्मिक अनुष्ठान कराने के लिए पुजारी की व्यवस्था कराई जाती है.

(नोट: यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है)

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