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आज से शारदीय नवरात्र शुरू, इस शुभ मुहूर्त में करेंगे घट स्थापना तो सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण - Shardiya Navratri 2024

Navratri Puja Vidhi : आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. मां अम्बे को समर्पित नवरात्र के त्योहार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. शारदीय नवरात्र के पहले दिन यानी प्रतिपदा को घटस्थापना की जाएगी. पञ्चांग और मुहूर्त के हिसाब से घट स्थापना मुहूर्त सुबह 6.35 से दोपहर 3.30 श्रेष्ठ है.

आज से शारदीय नवरात्र शुरू
आज से शारदीय नवरात्र शुरू (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 3, 2024, 6:42 AM IST

बीकानेर : शारदीय नवरात्र आज यानी गुरुवार से शुरू हो रहे हैं. नवरात्र में प्रतिपदा के दिन घटस्थापना या कलश का पूजन होता है. शास्त्रों में इसका विशेष महत्व है. प्रतिपदा के साथ ही नवरात्र में घट स्थापना होती है. इसका मुहूर्त भी होता है. शास्त्रानुसार सटीक मुहूर्त पर घट स्थापना से भक्त की सभी मनोकामनाएं फलित होती हैं और उसे पूजा का लाभ प्राप्त होता है. बीकानेर के पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि घटस्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 6:21 मिनट से दोपहर 3:30 बजे तक रहेगा.

कलश पूजन क्यों? : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे, इसलिए इसमें अमरत्व की भावना भी रहती है. वे बताते हैं कि जल शांत चित्त प्रवृत्ति का होता है और पूजा अर्चना करते समय हमारा मन भी जल की तरह निर्मल और शांत होना चाहिए. यही कारण है कि घर के किसी भी शुभ अवसर पर घटस्थापना या कलश स्थापना की विधि सम्पन्न कराई जाती है.

पढ़ें. इस बार 10 दिन तक मनाया जाएगा नवरात्र का पर्व, जानिए घटस्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त और पूरी विधि - Shardiya Navratri 2024

नवरात्रों में घट स्थापना : मान्यता है कि कलश में देवी-देवताओं, ग्रहों व नक्षत्रों का वास होता है और कलश को मंगल कार्य का प्रतीक माना गया है. कलश स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. मान्यता है कि नवरात्रि में कलश स्थापना कर सभी शक्तियों को निमंत्रण दिया जाता है वो जब सभी शक्तियां आती हैं नकारात्मकता ऊर्जा नष्ट हो जाती है.

कलश पूजन की विधि : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि कलश पूजन की एक विधि है और उस विधि के अनुसार ही इसका पूजन होता है. घटस्थापना के दिन सबसे पहले कलश की स्थापना होती है और शास्त्रों में स्वर्ण कलश रजत कलश ताम्र कलश और मिट्टी के कलश का क्रमानुसार महत्व बताते हुए वर्णन किया गया है.

पढ़ें. शारदीय नवरात्रि के लिए मेहरानगढ़ में व्यवस्थाएं चाक-चौबंद, सुबह 7 बजे से होंगे मां चामुंडा के दर्शन - Shardiya Navratri 2024

इन सब सामग्री से होता पूजन : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि कलश में सात तरह के धान, जिन्हें सप्तधान कहा जाता है, उनको रखा जाता है. कलश के अंदर इन धान को मिलाकर रखा जाता है. अन्यथा इन सब धान के ऊपर भी कलश को स्थापित किया जा सकता है. सप्तधान में जौ, तिल, कंगनी मूंग, चना, सावा होता है. इसके अलावा पंचरत्न जिसमें सोना, हीरा, नीलम का अंश भी कलश में रखना होता है. साथ ही पंच पल्लव यानी 5 तरह के पत्ते जिसमें बरगद, पीपल, आम, पाकड़ और गूलर के पत्ते कलश में नारियल के साथ रखे जाते हैं. इसके साथ ही सर्वे सप्तदीप वसुंधरा यानी कि सात दीपों और प्रमुख नदियों सात समुद्रों के जल का भी आह्वान उस कलश में किया जाता है.

सभी देवताओं का वास : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि कलश को स्थापित करने के साथ ही भगवान वरुण का भी आह्वान किया जाता है, क्योंकि वह जल के देवता है और कलश में जल होता है. कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्मा का वास होता है. वहीं, कलश के मध्य में देवियों का स्थान होता है. इसके अलावा चारों वेदों का भी कलश में आह्वान के जरिए स्थापना होती है. नवरात्रा में घट स्थापना में गणेश का पूजन और उसका महत्व तो है ही लेकिन विधि अनुसार शास्त्रों में गृह प्रवेश में भी स्थापित होने वाले कलश की पूजा होती है.

बीकानेर : शारदीय नवरात्र आज यानी गुरुवार से शुरू हो रहे हैं. नवरात्र में प्रतिपदा के दिन घटस्थापना या कलश का पूजन होता है. शास्त्रों में इसका विशेष महत्व है. प्रतिपदा के साथ ही नवरात्र में घट स्थापना होती है. इसका मुहूर्त भी होता है. शास्त्रानुसार सटीक मुहूर्त पर घट स्थापना से भक्त की सभी मनोकामनाएं फलित होती हैं और उसे पूजा का लाभ प्राप्त होता है. बीकानेर के पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि घटस्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 6:21 मिनट से दोपहर 3:30 बजे तक रहेगा.

कलश पूजन क्यों? : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे, इसलिए इसमें अमरत्व की भावना भी रहती है. वे बताते हैं कि जल शांत चित्त प्रवृत्ति का होता है और पूजा अर्चना करते समय हमारा मन भी जल की तरह निर्मल और शांत होना चाहिए. यही कारण है कि घर के किसी भी शुभ अवसर पर घटस्थापना या कलश स्थापना की विधि सम्पन्न कराई जाती है.

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नवरात्रों में घट स्थापना : मान्यता है कि कलश में देवी-देवताओं, ग्रहों व नक्षत्रों का वास होता है और कलश को मंगल कार्य का प्रतीक माना गया है. कलश स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. मान्यता है कि नवरात्रि में कलश स्थापना कर सभी शक्तियों को निमंत्रण दिया जाता है वो जब सभी शक्तियां आती हैं नकारात्मकता ऊर्जा नष्ट हो जाती है.

कलश पूजन की विधि : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि कलश पूजन की एक विधि है और उस विधि के अनुसार ही इसका पूजन होता है. घटस्थापना के दिन सबसे पहले कलश की स्थापना होती है और शास्त्रों में स्वर्ण कलश रजत कलश ताम्र कलश और मिट्टी के कलश का क्रमानुसार महत्व बताते हुए वर्णन किया गया है.

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इन सब सामग्री से होता पूजन : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि कलश में सात तरह के धान, जिन्हें सप्तधान कहा जाता है, उनको रखा जाता है. कलश के अंदर इन धान को मिलाकर रखा जाता है. अन्यथा इन सब धान के ऊपर भी कलश को स्थापित किया जा सकता है. सप्तधान में जौ, तिल, कंगनी मूंग, चना, सावा होता है. इसके अलावा पंचरत्न जिसमें सोना, हीरा, नीलम का अंश भी कलश में रखना होता है. साथ ही पंच पल्लव यानी 5 तरह के पत्ते जिसमें बरगद, पीपल, आम, पाकड़ और गूलर के पत्ते कलश में नारियल के साथ रखे जाते हैं. इसके साथ ही सर्वे सप्तदीप वसुंधरा यानी कि सात दीपों और प्रमुख नदियों सात समुद्रों के जल का भी आह्वान उस कलश में किया जाता है.

सभी देवताओं का वास : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि कलश को स्थापित करने के साथ ही भगवान वरुण का भी आह्वान किया जाता है, क्योंकि वह जल के देवता है और कलश में जल होता है. कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्मा का वास होता है. वहीं, कलश के मध्य में देवियों का स्थान होता है. इसके अलावा चारों वेदों का भी कलश में आह्वान के जरिए स्थापना होती है. नवरात्रा में घट स्थापना में गणेश का पूजन और उसका महत्व तो है ही लेकिन विधि अनुसार शास्त्रों में गृह प्रवेश में भी स्थापित होने वाले कलश की पूजा होती है.

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