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नवरात्रि का पांचवां दिन आज, ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा - Shardiya Navratri 2024 - SHARDIYA NAVRATRI 2024

शारदीय नवरात्रि का आज पांचवां दिन है. आज जगतजननी मां के स्कंदमाता स्वरूप की आराधना होती है.

शारदीय नवरात्रि का आज पांचवां दिन
शारदीय नवरात्रि का आज पांचवां दिन (फोटो ईटीवी भारत GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 7, 2024, 7:10 AM IST

Updated : Oct 7, 2024, 9:43 AM IST

बीकानेर.नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता को पूजा जाता है. मान्यता है देवी स्कंदमाता की उपासना से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है और जीवन में खुशियों का संचार होता है. पहाड़ों पर रहने वाली और सांसारिक जीवों में नवचेतना का बीज बोने वाली देवी को ही मां स्कंदमाता कहते हैं. मां स्कंदमाता की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और निःसंतान लोगों को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

भगवान कार्तिकेय की मां है स्कंदमाता : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि स्कंद का अर्थ भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से है. भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है और मां को अपने बेटे के नाम से पुकारा जाना प्रिय है इसलिए इनका नाम स्कंदमाता के रूप में प्रचलित हुआ. प्रथम दिन माता शैलपुत्री का पूजन होता है और उन्हें पार्वती का स्वरूप माना जाता है और पांचवें दिन स्कंद माता का पूजन होता है और वह भी पार्वती का ही स्वरूप हैं.

पढ़ें: कौन हैं मां स्कंदमाता, पूजा से बृहस्पति होगा मजबूत, जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग, उत्पत्ति, कथा - Sharadiya Navratri 2024 Fifth day

फल में केला अतिप्रिय : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शुद्ध मन से और अपने सामर्थ्य अनुसार देवी को लगाए गए भोग का फल मिलता है. देवी को भी वो भोग स्वीकार होता है. लेकिन यदि पसंद की बात करें तो देवी को खीर, मालपुआ का भोग लगाना श्रेयस्कर होगा. इसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी मिलता है. वहीं ऋतुफल में केला देवी की पसंद है. साधक को भी पूजा करते समय इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए.

मां को कुमुद पसंद : पंडित जी कहते हैं वैसे तो पूजन में प्रयुक्त होने वाले सभी प्रकार के पुष्पों का अपना महत्व है. देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं लेकिन यदि शास्त्रसम्मत बात करें तो स्कंदमाता के पूजन में कुमुद के पुष्प से पूजन अर्चन और मंत्र अर्चन करना उत्तम होता है. कुमुद पुष्प देवी को अति प्रिय है.

बीकानेर.नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता को पूजा जाता है. मान्यता है देवी स्कंदमाता की उपासना से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है और जीवन में खुशियों का संचार होता है. पहाड़ों पर रहने वाली और सांसारिक जीवों में नवचेतना का बीज बोने वाली देवी को ही मां स्कंदमाता कहते हैं. मां स्कंदमाता की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और निःसंतान लोगों को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

भगवान कार्तिकेय की मां है स्कंदमाता : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि स्कंद का अर्थ भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से है. भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है और मां को अपने बेटे के नाम से पुकारा जाना प्रिय है इसलिए इनका नाम स्कंदमाता के रूप में प्रचलित हुआ. प्रथम दिन माता शैलपुत्री का पूजन होता है और उन्हें पार्वती का स्वरूप माना जाता है और पांचवें दिन स्कंद माता का पूजन होता है और वह भी पार्वती का ही स्वरूप हैं.

पढ़ें: कौन हैं मां स्कंदमाता, पूजा से बृहस्पति होगा मजबूत, जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग, उत्पत्ति, कथा - Sharadiya Navratri 2024 Fifth day

फल में केला अतिप्रिय : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शुद्ध मन से और अपने सामर्थ्य अनुसार देवी को लगाए गए भोग का फल मिलता है. देवी को भी वो भोग स्वीकार होता है. लेकिन यदि पसंद की बात करें तो देवी को खीर, मालपुआ का भोग लगाना श्रेयस्कर होगा. इसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी मिलता है. वहीं ऋतुफल में केला देवी की पसंद है. साधक को भी पूजा करते समय इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए.

मां को कुमुद पसंद : पंडित जी कहते हैं वैसे तो पूजन में प्रयुक्त होने वाले सभी प्रकार के पुष्पों का अपना महत्व है. देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं लेकिन यदि शास्त्रसम्मत बात करें तो स्कंदमाता के पूजन में कुमुद के पुष्प से पूजन अर्चन और मंत्र अर्चन करना उत्तम होता है. कुमुद पुष्प देवी को अति प्रिय है.

Last Updated : Oct 7, 2024, 9:43 AM IST
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