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धार भोजशाला के ASI सर्वे पर बोले शंकराचार्य सदानंद सरस्वती, हाई कोर्ट के फैसले का किया स्वागत - sadanand saraswati on bhojshala

Shankaracharya On Dhar Bhojshala: इंदौर हाई कोर्ट ने सोमवार को धार भोजशाला का एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया है. जिसे लेकर हिंदू संगठनों में खुशी की लहर है. वहीं इस मुद्दे पर द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने भी खुशी जताते हुए कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.

Shankaracharya On Dhar Bhojshala
धार भोजशाला के एएसआई सर्वे पर बोले शंकराचार्य सदानंद सरस्वती
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 4:18 PM IST

भोजशाला के ASI सर्वे पर बोले शंकराचार्य सदानंद सरस्वती

भोपाल। द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने इंदौर हाईकोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है. जिसमें कहा गया है कि ज्ञानवापी की तरह धार की भोजशाला का भी एएसआई (ASI) (Archaeological Survey of India) से सर्वे कराया जाएगा. शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा है कि 'ये उत्तम निर्णय है. उन्होंने कहा कि धर्मावलंबी तो लंबे समय से मांग कर ही रहे हैं, लेकिन अब इस विवाद का पटाक्षेप होना चाहिए. भूतकाल में जो गलतियां हुई, उनका सुधार होना ही चाहिए.'

हाईकोर्ट के निर्णय पर क्या बोले शंकराचार्य

द्वारकापीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने ईटीवी भारत से बातचीत में इंदौर हाईकोर्ट के आदेश को उत्तम निर्णय बताया. उन्होंने कहा कि 'भारतीय संस्कृति के जितने भी प्राचीन स्थल हैं, वो आकर्षण के केन्द्र हैं. हमारी भारत की संस्कृति उन स्थानों पर निवास करती है. उन क्षेत्रों में निवास करती है. शकराचार्य ने कहा कि किसी भी वस्तु के दो प्रमाण होते हैं. एक तो शास्त्र प्रमाण है, जो शास्त्र को नहीं मानने वाले लोग हैं, या शास्त्र को भी मानते हैं. पुरातत्व विभाग उसका प्रमाण है. जैसे राम जन्मभूमि के संबंध में हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट में तमाम प्रमाण प्रस्तुत किए गए, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा कि 'पुरातत्व विभाग इसका सर्वे करे.

उन्होंने खोज किया वहां पृथ्वी के अंदर मंदिर के सबूत मिले. इसी तरह यदि भोजशाला के संबध में पुरातत्व विभाग अन्वेक्षण करता है और यदि साक्ष्य हिंदुओं के पक्ष में मिलते हैं, तो वह स्थल हिंदुओं का है. शास्त्रों के अनुसार परंपरा के अनुसार तो हिंदू धर्मावलम्बी मांग कर ही रहे हैं.'

अब इस विवाद का पटाक्षेप हो

शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने ने कहा कि 'बहुत दिनों से ये विवाद चल रहा है. इस विवाद का पटाक्षेप होना चाहिए. आपस में एक ही स्थान पर रहना है. उनको भी रहना है और हम को भी रहना है. संविधान दोनों को रहने की अनुमति भी देता है. भारत देश तो सबका स्वागत करता है, लेकिन अपनी-अपनी संस्कृति की सुरक्षा का अधिकार भी निवास करने वालों को प्राप्त है. अगर कहीं गलतियां हुई है, भूतकाल में तो उनका सुधार होना चाहिए. उच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है.

यहां पढ़ें...

ज्ञानवापी की तरह होगा धार के भोजशाला का सर्वे, इंदौर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

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क्या है हाईकोर्ट का आदेश

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इदौर बैंच ने धार भोजशाला में भी ज्ञानवापी की तरह एएसआई का सर्वे कराने के आदेश दे दिए हैं. इसके लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को पांच एक्सपर्ट की टीम बनाने को कहा गया है. 6 हफ्ते का समय दिया गया है. जिसमें ये टीम अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. हिंदू पक्ष की ओर से भोजशाला का पुरातात्विक सर्वेक्षण करवाए जाने की मांग रखी थी.

भोजशाला के ASI सर्वे पर बोले शंकराचार्य सदानंद सरस्वती

भोपाल। द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने इंदौर हाईकोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है. जिसमें कहा गया है कि ज्ञानवापी की तरह धार की भोजशाला का भी एएसआई (ASI) (Archaeological Survey of India) से सर्वे कराया जाएगा. शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा है कि 'ये उत्तम निर्णय है. उन्होंने कहा कि धर्मावलंबी तो लंबे समय से मांग कर ही रहे हैं, लेकिन अब इस विवाद का पटाक्षेप होना चाहिए. भूतकाल में जो गलतियां हुई, उनका सुधार होना ही चाहिए.'

हाईकोर्ट के निर्णय पर क्या बोले शंकराचार्य

द्वारकापीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने ईटीवी भारत से बातचीत में इंदौर हाईकोर्ट के आदेश को उत्तम निर्णय बताया. उन्होंने कहा कि 'भारतीय संस्कृति के जितने भी प्राचीन स्थल हैं, वो आकर्षण के केन्द्र हैं. हमारी भारत की संस्कृति उन स्थानों पर निवास करती है. उन क्षेत्रों में निवास करती है. शकराचार्य ने कहा कि किसी भी वस्तु के दो प्रमाण होते हैं. एक तो शास्त्र प्रमाण है, जो शास्त्र को नहीं मानने वाले लोग हैं, या शास्त्र को भी मानते हैं. पुरातत्व विभाग उसका प्रमाण है. जैसे राम जन्मभूमि के संबंध में हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट में तमाम प्रमाण प्रस्तुत किए गए, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा कि 'पुरातत्व विभाग इसका सर्वे करे.

उन्होंने खोज किया वहां पृथ्वी के अंदर मंदिर के सबूत मिले. इसी तरह यदि भोजशाला के संबध में पुरातत्व विभाग अन्वेक्षण करता है और यदि साक्ष्य हिंदुओं के पक्ष में मिलते हैं, तो वह स्थल हिंदुओं का है. शास्त्रों के अनुसार परंपरा के अनुसार तो हिंदू धर्मावलम्बी मांग कर ही रहे हैं.'

अब इस विवाद का पटाक्षेप हो

शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने ने कहा कि 'बहुत दिनों से ये विवाद चल रहा है. इस विवाद का पटाक्षेप होना चाहिए. आपस में एक ही स्थान पर रहना है. उनको भी रहना है और हम को भी रहना है. संविधान दोनों को रहने की अनुमति भी देता है. भारत देश तो सबका स्वागत करता है, लेकिन अपनी-अपनी संस्कृति की सुरक्षा का अधिकार भी निवास करने वालों को प्राप्त है. अगर कहीं गलतियां हुई है, भूतकाल में तो उनका सुधार होना चाहिए. उच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है.

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क्या है हाईकोर्ट का आदेश

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इदौर बैंच ने धार भोजशाला में भी ज्ञानवापी की तरह एएसआई का सर्वे कराने के आदेश दे दिए हैं. इसके लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को पांच एक्सपर्ट की टीम बनाने को कहा गया है. 6 हफ्ते का समय दिया गया है. जिसमें ये टीम अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. हिंदू पक्ष की ओर से भोजशाला का पुरातात्विक सर्वेक्षण करवाए जाने की मांग रखी थी.

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