रायपुर: कोई भी व्यक्ति अपराधी कब बनता है? यह व्यक्ति के पराक्रम भाव से संबंधित है. उनके साहस के भाव से संबंधित है. अतः जहां पर पराक्रम और साहस होगा और इसका नकारात्मक प्रभाव कुंडली में होगा. ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर होगा. पराक्रम और साहस का संबंध तीसरे और छठवें भाव से है.
जानिए क्या कहते हैं ज्योतिष: इस बारे में ईटीवी भारत ने ज्योतिष शास्त्री डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, " जिनकी कुंडली में बुद्ध का नकारात्मक प्रभाव है और चंद्रमा कमजोर है तो उसका क्राइम से कनेक्शन हो सकता है. ऐसी स्थिति में भी व्यक्ति अपराध की ओर जाएगा. राहु भी अचानक अपने फल प्रदान करता है. राहु का भी नकारात्मक होना व्यक्ति को अपराध की ओर धकेल सकता है. अतः राहु कमजोर, चंद्रमा मंगल नीच तत्व होना सारी बातें अपराध के लिए व्यक्ति को प्रेरित करती हैं. इसमें शनि का भी बड़ा योगदान रहता है, क्योंकि शनि न्याय का ग्रह है. अतः शनि जब अपनी नीच राशि में होता है, तब वह मंगल के घर मेष राशि में होता है. अतः शनि का प्रभाव भी यहां पर उसे अपराध के लिए प्रेरित कर सकता है."
यदि कुंडली में गुरु अच्छी स्थिति में है. बुद्ध अच्छी स्थिति में है, तो व्यक्ति ज्ञान और तर्क का सहारा लेकर अच्छे रास्ते की ओर जाएगा. सत्कर्म करेगा और वह कितना भी साहसी हो कितना भी पराक्रमी हो, लेकिन अपराध की ओर न जाकर वह ज्ञान और आध्यात्म की ओर जाएगा. यह उनके ग्रहों की स्थिति और भाव के आधार पर निश्चित होगा. लेकिन शनि, राहु, मंगल अच्छी स्थिति में नहीं है, तो व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर होगा. -डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर, ज्योतिष शास्त्री
इन उपायों से दोष को करें दूर: ज्योतिष शास्त्री डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर की मानें तो ऐसे व्यक्ति को चाहिए इन ग्रहों का जो नकारात्मक सोच पैदा करते हैं. उनके लिए उपाय करें. गुरु और बुध को बलशाली बनाएं. इन ग्रहों की नकारात्मकता को दूर करने के लिए नकारात्मक चंद्रमा, मंगल शनि एवं राहु के लिए उन ग्रहों से संबंधित उपाय करें तो वह अपराध से बच जाएगा. इसके लिए उसे ग्रहों के अनुसार उपाय करने चाहिए. किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह लेनी चाहिए. ताकि वह अपराध की ओर अग्रसर ना हो. इसके लिए हनुमान चालीसा का नियमित पाठ भी आवश्यक है, क्योंकि हनुमान चालीसा का मतलब मंगल ग्रह को सकारात्मक बनाना है. भगवान राम की उपासना भी इसके लिए श्रेष्ठ होगी.