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शहीद दिवस स्पेशल: डीयू के इस तहखाने में कैद थे भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव...यहां आज भी गूंजता है 'इंकलाब जिंदाबाद' - Shaheed diwas 2024

Shaheed diwas 2024: देश की आजादी के लिए हंसते हंसते अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू की यादें दिल्ली विश्वविद्यालय की उस कोठरी में आज भी जिंदा है जहां इन तीनों को कभी कैद करके रखा गया था.

शहीद दिवस 2024
शहीद दिवस 2024
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 23, 2024, 8:17 AM IST

Updated : Mar 23, 2024, 11:03 AM IST

नई दिल्लीः 23 मार्च 1931 के दिन भारत के वीर सपूत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए थे. इन तीनों वीरों की शहादत और बलिदान को याद रखते हुए हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है. ये दिन हमें देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को न्यौछावकर करने वाले तीन वीर सपूतों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू की याद दिलाता है. इस दिन अंग्रेजों ने इन तीनों वीर सपूतों को फांसी दी थी. इन तीनों शहीदों की दिल्ली से कई यादें जुड़ी हुई हैं. जिनमें से एक प्रमुख याद है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से जुड़ी हुई.

बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से इन तीनों सपूतों का बहुत गहरा नाता था. जिस वक्त इन सपूतों ने ब्रिटिश हुकूमत का विरोध करते हुए दिल्ली असेंबली में बम फेंका था तो उन्हें मुकदमे के दौरान कई दिन तक दिल्ली विश्वविद्यालय के मौजूदा कुलपति कार्यालय (तब वायसराय का निवास स्थान) के नीचे स्थित तहखाने में कैद करके रखा गया था.

शहीद दिवस स्पेशल

इस तहखाने को डीयू ने शहीद भगत सिंह स्मारक का नाम दिया है. इसमें भगत सिंह को कैद के समय लेटने के लिए जो चारपाई दी गई थी वैसी प्रतीकात्मक रूप में एक चारपाई, भगत सिंह की लालटेन और पानी पीने की सुराही सहित कई चीजें यादगार के तौर पर संरक्षित करके रखी गई हैं.

जानकारों की मानें तो भगत सिंह अंग्रेजों की कैद में रहने से पहले साल1923 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे को कवर करने के लिए बतौर पत्रकार आए थे. उन दिनों वो गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा संपादित अखबार प्रताप के लिए रिपोर्टिंग करते थे. कई लेखों और पुस्तकों में इसका जिक्र किया गया है.

दिल्ली में कवरेज के दौरान ही घूमते हुए उन्होंने कश्मीरी गेट पर स्थित उस समय के प्रसिद्ध रामनाथ स्टूडियो पर एक फोटो भी खिंचवाई थी. बताया जाता है कि वह फोटो हैट में खिंचवाई गई थी. ये भगत सिंह की वही फोटो थी जिसमें अधिकतर उन्हें (हैट लगाए हुए) देखा जाता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय में शहीद दिवस के अवसर पर हर साल इस कोठरी को खोलकर तीनों शहीदों भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू को श्रद्धांजलि दी जाती है. डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कोठरी में लगाई गई तीनों शहीदों की तस्वीरों पर माला पहनाकर उन्हें श्रृद्धा सुमन अर्पित किये.

इस दिन यह कोठरी दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए भी खुली रहती है. दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति रहे प्रोफेसर पीसी जोशी ने साल 2021 में इस कोठरी का जीर्णोद्धार कराकर इसे भगत सिंह स्मारक का नाम दिया था. इस स्मारक का उद्घाटन तत्कालीन शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने किया था.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में 'सेल्फ डिस्कवरी वाया रीडिस्कवरिंग इंडिया' प्रदर्शनी का किया गया आयोजन, जानें कब तक उठा सकते हैं लुत्फ - Exhibition On Indian Culture

नई दिल्लीः 23 मार्च 1931 के दिन भारत के वीर सपूत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए थे. इन तीनों वीरों की शहादत और बलिदान को याद रखते हुए हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है. ये दिन हमें देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को न्यौछावकर करने वाले तीन वीर सपूतों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू की याद दिलाता है. इस दिन अंग्रेजों ने इन तीनों वीर सपूतों को फांसी दी थी. इन तीनों शहीदों की दिल्ली से कई यादें जुड़ी हुई हैं. जिनमें से एक प्रमुख याद है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से जुड़ी हुई.

बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से इन तीनों सपूतों का बहुत गहरा नाता था. जिस वक्त इन सपूतों ने ब्रिटिश हुकूमत का विरोध करते हुए दिल्ली असेंबली में बम फेंका था तो उन्हें मुकदमे के दौरान कई दिन तक दिल्ली विश्वविद्यालय के मौजूदा कुलपति कार्यालय (तब वायसराय का निवास स्थान) के नीचे स्थित तहखाने में कैद करके रखा गया था.

शहीद दिवस स्पेशल

इस तहखाने को डीयू ने शहीद भगत सिंह स्मारक का नाम दिया है. इसमें भगत सिंह को कैद के समय लेटने के लिए जो चारपाई दी गई थी वैसी प्रतीकात्मक रूप में एक चारपाई, भगत सिंह की लालटेन और पानी पीने की सुराही सहित कई चीजें यादगार के तौर पर संरक्षित करके रखी गई हैं.

जानकारों की मानें तो भगत सिंह अंग्रेजों की कैद में रहने से पहले साल1923 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे को कवर करने के लिए बतौर पत्रकार आए थे. उन दिनों वो गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा संपादित अखबार प्रताप के लिए रिपोर्टिंग करते थे. कई लेखों और पुस्तकों में इसका जिक्र किया गया है.

दिल्ली में कवरेज के दौरान ही घूमते हुए उन्होंने कश्मीरी गेट पर स्थित उस समय के प्रसिद्ध रामनाथ स्टूडियो पर एक फोटो भी खिंचवाई थी. बताया जाता है कि वह फोटो हैट में खिंचवाई गई थी. ये भगत सिंह की वही फोटो थी जिसमें अधिकतर उन्हें (हैट लगाए हुए) देखा जाता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय में शहीद दिवस के अवसर पर हर साल इस कोठरी को खोलकर तीनों शहीदों भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू को श्रद्धांजलि दी जाती है. डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कोठरी में लगाई गई तीनों शहीदों की तस्वीरों पर माला पहनाकर उन्हें श्रृद्धा सुमन अर्पित किये.

इस दिन यह कोठरी दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए भी खुली रहती है. दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति रहे प्रोफेसर पीसी जोशी ने साल 2021 में इस कोठरी का जीर्णोद्धार कराकर इसे भगत सिंह स्मारक का नाम दिया था. इस स्मारक का उद्घाटन तत्कालीन शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने किया था.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में 'सेल्फ डिस्कवरी वाया रीडिस्कवरिंग इंडिया' प्रदर्शनी का किया गया आयोजन, जानें कब तक उठा सकते हैं लुत्फ - Exhibition On Indian Culture

Last Updated : Mar 23, 2024, 11:03 AM IST
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