शहडोल। कुछ साल पहले पीएम मोदी ने अपने भाषण में मशरूम की खेती को बढ़ावा देने की बात कही थी. इसके बाद लाल बाबू सिंह सेंगर ने मशरूम की खेती में अपना भविष्य संवारा. सब्जियों की खेती छोड़ उन्होंने शुरू मशरूम की खेती की. मशरूम की खेती से वह लखपति किसान बन चुके हैं. हाल ही में इस नवाचार के लिए उन्हें जिला प्रशासन ने सम्मानित भी किया है. शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर है भमरहा गांव. यहीं के रहने वाले हैं लाल बाबू सिंह सेंगर. लाल बाबू सिंह कहते हैं कि मशरूम की खेती ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है.
कैसे शुरू की मशरूम की खेती
मशरूम की खेती की शुरुआत लाल बाबू सिंह ने 3 साल पहले की. तब किसी को नहीं पता था कि लाल बाबू सिंह इस खेती के एक्सपर्ट हो जाएंगे और लोग उनके सेट को देखने पहुंचेंगे. उनसे प्रेरणा लेकर खुद भी इसकी खेती की शुरुआत करेंगे. लाल बाबू सिंह कहते हैं कि मशरूम की खेती से ही वह अच्छी कमाई कर लेते हैं. महीने का खर्चा काटकर लगभग ₹30 हज़ार तक वह फायदा कमा लेते हैं. सालाना साढ़े तीन से 4 लाख रुपए तक वह कमा लेते हैं. लाल बाबू सिंह बताते हैं कि पहले वह सब्जी की खेती किया करते थे. उसमें लागत ज्यादा लगती थी, मुनाफा कम होता था. इसी दौरान एक बार पीएम मोदी का भाषण सुन रहे थे. कानपुर में सम्मेलन था, वहां मेरे कुछ परिचित हैं उन्होंने मुझे वहां का वीडियो भेजा था. उनके भाषण में था कि भारत में मशरूम को बढ़ावा देना है. मशरूम में बहुत प्रोटीन पाया जाता है. उन्हीं से प्रेरित होकर उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की
लोगों को ट्रेनिंग भी देते हैं
किसान लाल बाबू सिंह सेंगर कहते हैं कि वह पिछले 3 साल से लगातार मशरूम की खेती कर रहे हैं. अब वह प्रमुख तौर पर सिर्फ मशरूम की ही खेती करते हैं. शुरुआत में 6 महीने उन्होंने बहुत स्ट्रगल किया. इसके बाद सब कुछ अब सही चल रहा है. बाजार भी मिल गया है. सूखा मशरूम भी जाता है, फ्रेश मशरूम भी जाता है, पाउडर भी बेचता हूं, अचार भी बेचता हूं, ड्राई मशरूम भी बेचता हूं. इसके साथ ही मशरूम की खेती करने वाले नए किसानों को ट्रेनिंग भी देता हूं. इसके अलावा जो यहां से ट्रेनिंग लेकर खेती करते हैं उन्हें बीज भी उपलब्ध कराता हूं. उनसे मशरूम खरीदता हूं.
कितने रेट में बिकता है मशरूम
किसान लाल बाबू सिंह सेंगर कहते हैं कि ड्राई मशरूम 500 रुपये से लेकर के ₹1000 किलो तक जाता है. क्वालिटी पर निर्भर करता है. पाउडर 1200 से ₹1600 किलो तक बिकता है. मशरूम का अचार 400 से लेकर के ₹600 किलो तक बिकता है. ताजा मशरूम 200 से 250 रुपए किलो तक बिकता है. मेरे पास अब ग्राहकों के फोन कांटेक्ट हैं, अगर मेरे को फोन करते हैं तो मैं डिलीवरी कर देता हूं. बाबू सिंह कहते हैं कि उन्होंने जुगाड़ से पूरी तरह से सेट बनाया हुआ है. लकड़ियों का इस्तेमाल किया है. घास फूस का भी इस्तेमाल किया है. कुछ पॉलिथीन लगाई हैं. इस तरह से उन्होंने जुगाड़ से 30 बाई 40 का सेट तैयार किया है. इसी में मशरूम की खेती करते हैं.
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ऐसे की मार्केट की तलाश
लाल बाबू सिंह सेंगर कहते हैं कि उनके लिए भी बहुत बड़ी चुनौती थी कि वह इसे बेचें कहां, इसके लिए उन्होंने शुरुआती 6 महीने बहुत स्ट्रगल किया है. गाड़ी में घर-घर ले जाकर मशरूम की सप्लाई करते थे. लोगों से संपर्क लगातार बनाए. धीरे-धीरे लोग संपर्क में आने लगे. इसके अलावा सूखा मशरूम बेचने के लिए मार्केट की तलाश लगातार कर रहे थे. लगभग 6 महीने बाद उन्हें 5-6 लोग ऐसे मिले जो उनसे ड्राई मशरूम खरीद लेते हैं. अगर कोई युवा किसान मशरूम की खेती की शुरुआत करना चाहता है तो वह ₹2000 की लागत से कर सकता है. सफलता मिलने पर व अनुभव बढ़ने इसका रकबा बढ़ाया जा सकता है.