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बाजरे की खेती से आप भी बन सकते हैं लखपति, इन चीजों को जान लेने से आपको होगी आसानी - millionaire by farming baajara

Millionaire by Farming Baajara : खेती करने से लखपति और करोड़पति बना जा सकता है बर्शर्ते आपको कई चीजों का ध्यान रखना होगा. मिलेट्स को लेकर लोग अब जागरुक हो चुके हैं. बाजार में अच्छी डिमांड है. ऐसे में आप बाजरे की खेती से लखपति बन सकते हैं. कैसे पढ़िए ये पूरी खबर.

millionaire by farming baajara
अन्य फसलों की अपेक्षा आसान है बाजरे की खेती
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 22, 2024, 8:29 PM IST

बाजरे की खेती से आप भी बन सकते हैं लखपति

शहडोल। आजकल ज्यादातर युवा अपना खुद का काम करना चाहते हैं, कई जगहों पर तो ऐसा देखा गया है कि कई युवा बड़ी-बड़ी नौकरियों को छोड़कर खुद का काम स्टार्ट कर रहे हैं. कुछ लोग कृषि की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं, कई युवा कृषि में बेहतर कर भी रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे बाजरे की खेती करके आप लखपति बन सकते हैं. यूं कहें कि बाजरे की खेती से लाखों कमा सकते हैं, बाजरे की खेती कब की जाती है, क्या-क्या इसमें सावधानियां बरतनी चाहिए, क्यों बाजरे की खेती बहुत आसान है, बाजरे की खेती कम खर्चीली क्यों है, और किस तरह की जमीन पर बाजरे की खेती की जा सकती है.

बाजरे की खेती कहां-कहां की जाती है

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि बाजरा मोटे अनाज की फसल है और ये स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है. बाजरे का पूरे देश में लगभग 7 मिलियन हेक्टेयर इसका एरिया है. 9 से 10 मिलियन टन इसका पूरे देश में उत्पादन है, ये फसल राजस्थान और गुजरात में खरीफ के मौसम में भी उगाई जाती है और गर्मी के मौसम में भी उगाई जाती है. तमिलनाडु में जैसा कि रबी के मौसम में उगाया जाता है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश इन राज्यों में ये खरीफ के मौसम में उगाया जाता है. आप देखेंगे की औसतन जो हमारे बाजरे की फसल है, देश के सभी राज्यों में इसका उत्पादन किया जाता है.

baajara cultivation in mp
आसानी से की जा सकती है बाजरे की खेती

अन्य फसलों की अपेक्षा इसकी खेती आसान

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि बाजरे की खेती मुख्य रूप से सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. बस इस बात का ध्यान रखना है कि जहां पर आप बाजरे की फसल लगाने जा रहे हैं वहां जल भराव की स्थिति नहीं होनी चाहिए. पीएच मान यानि अम्लीयता और छारीयता की जो बात होती है वह 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इसके अलावा इसका उत्पादन धान की तुलना की अपेक्षा तो बहुत ही आसान है. इसे उगाने के लिए केवल चार से पांच किलो बीज प्रति हेक्टेयर लगता है.

बाजरे की फसल ऐसे लगाएं

इस फसल को लगाने के लिए पहले खेत की अच्छे से गहरी जुताई करवा लें, जिससे मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाए. इसके बाद 2 से 3 सेंटीमीटर गहराई में इसकी रोपाई करनी होती है, मतलब बीज डालना होता है, ड्रिलिंग करनी होती है , इसमें इस बात का भी ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होना चाहिए और लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर होना चाहिए. इसके बुवाई का समय 15 जुलाई के आसपास का होता है. तमिलनाडु में मुख्य रुप से 15 अक्टूबर के आसपास इसकी बुवाई की जाती है. इसमें थिनिंग की भी प्रक्रिया होती है, जिस जगह पर पौधे नहीं होते हैं वहां 10 से 12 दिन देखने के बाद वहां फिर से बीज डाल दिए जाते हैं.

अच्छे उत्पादन के लिए जरूरी पोषक तत्व

बाजरे की खेती के लिए पोषक तत्व की बात करें तो 15 से 20 टन सड़ी गोबर की खाद खेत में जुताई से पहले मिलाना चाहिए और मिट्टी की जांच के आधार पर जो कमी हो उस पोषक तत्व को देने की आवश्यकता होती है. साधारण भाषा में हम बात करें तो 80 से 100 किलो नाइट्रोजन, 40 से 60 किलो फास्फोरस, 30 से 40 प्रति किलो हेक्टेयर की दर से पोटास डालना होता है.

पानी की आवश्यकता

इसमें मुख्य रूप से सिंचाई की जो क्रांतिक अवस्था होती है उसमें कल्ले निकलने की अवस्था में जब फ्लॉवरिंग होती है फूल निकलने की अवस्था, जब दाने निकलने की अवस्था होती है, तब सिंचाई की सबसे अधिक आवश्यकता होती है. खरपतवार की बात करें तो 30 से 35 दिन की जो अवस्था होती है, खरपतवार निकालने की बहुत ही क्रांतिक अवस्था होती है.

बाजरे के साथ और फसल भी ले सकते हैं

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि बाजरे के साथ हम अंतर्वती फसलें भी ले सकते हैं, मुख्य रूप से अगर खरीफ के सीजन में हमें बाजरे की खेती करनी है, तो बाजरे के साथ में हम उड़द और मूंग जैसी फसलों की भी खेती कर सकते हैं. सोयाबीन की भी खेती कर सकते हैं, मुख्य रूप से राजस्थान गुजरात के क्षेत्रों में जो है मूंग उड़द के अलावा गवार फली की भी खेती बाजरे के साथ की जाती है. तमिलनाडु में बाजरे के साथ सूरजमुखी की खेती की जाती है.

कितने दिन में तैयार

बाजरे की फसल मुख्य रूप से लगभग 90 से 95 दिन की फसल होती है, अगर हम प्रति हेक्टेयर बात करें तो 14 से लेकर के 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक इसका उत्पादन हमें आसानी से प्राप्त हो सकता है. सही तरीके से खेती करने पर बहुत आसानी से प्राप्त हो सकता है.बाज़ार में इसके कीमत की बार करें तो बाजरे का बाजार मूल्य 40 से 50 रुपये प्रति केजी की दर से आसानी से बाजार में मिल जाते हैं, बाजरे के आटे की बात करें तो 140 से ₹180 प्रति केजी की दर से बिक रहा है.

ये भी पढ़ें:

बाजरा सेहत के लिए गुणकारी

बाजरा सेहत के लिए बहुत गुणकारी है, इसमें पोषक तत्वों की भरमार है, बाजरा में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, पोटास जो हमारे पोषण के लिए बहुत जरूरी होता है, वो सब पाए जाते हैं, इसके अलावा विटामिन्स की भरमार होती है, विटामिन B6 होता है, इसके साथ ही सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी है, और कई सारे न्यूट्रिएंट्स पोषक तत्व इसमें पाए जाते हैं.

बाजरे की खेती से आप भी बन सकते हैं लखपति

शहडोल। आजकल ज्यादातर युवा अपना खुद का काम करना चाहते हैं, कई जगहों पर तो ऐसा देखा गया है कि कई युवा बड़ी-बड़ी नौकरियों को छोड़कर खुद का काम स्टार्ट कर रहे हैं. कुछ लोग कृषि की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं, कई युवा कृषि में बेहतर कर भी रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे बाजरे की खेती करके आप लखपति बन सकते हैं. यूं कहें कि बाजरे की खेती से लाखों कमा सकते हैं, बाजरे की खेती कब की जाती है, क्या-क्या इसमें सावधानियां बरतनी चाहिए, क्यों बाजरे की खेती बहुत आसान है, बाजरे की खेती कम खर्चीली क्यों है, और किस तरह की जमीन पर बाजरे की खेती की जा सकती है.

बाजरे की खेती कहां-कहां की जाती है

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि बाजरा मोटे अनाज की फसल है और ये स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है. बाजरे का पूरे देश में लगभग 7 मिलियन हेक्टेयर इसका एरिया है. 9 से 10 मिलियन टन इसका पूरे देश में उत्पादन है, ये फसल राजस्थान और गुजरात में खरीफ के मौसम में भी उगाई जाती है और गर्मी के मौसम में भी उगाई जाती है. तमिलनाडु में जैसा कि रबी के मौसम में उगाया जाता है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश इन राज्यों में ये खरीफ के मौसम में उगाया जाता है. आप देखेंगे की औसतन जो हमारे बाजरे की फसल है, देश के सभी राज्यों में इसका उत्पादन किया जाता है.

baajara cultivation in mp
आसानी से की जा सकती है बाजरे की खेती

अन्य फसलों की अपेक्षा इसकी खेती आसान

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि बाजरे की खेती मुख्य रूप से सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. बस इस बात का ध्यान रखना है कि जहां पर आप बाजरे की फसल लगाने जा रहे हैं वहां जल भराव की स्थिति नहीं होनी चाहिए. पीएच मान यानि अम्लीयता और छारीयता की जो बात होती है वह 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इसके अलावा इसका उत्पादन धान की तुलना की अपेक्षा तो बहुत ही आसान है. इसे उगाने के लिए केवल चार से पांच किलो बीज प्रति हेक्टेयर लगता है.

बाजरे की फसल ऐसे लगाएं

इस फसल को लगाने के लिए पहले खेत की अच्छे से गहरी जुताई करवा लें, जिससे मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाए. इसके बाद 2 से 3 सेंटीमीटर गहराई में इसकी रोपाई करनी होती है, मतलब बीज डालना होता है, ड्रिलिंग करनी होती है , इसमें इस बात का भी ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होना चाहिए और लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर होना चाहिए. इसके बुवाई का समय 15 जुलाई के आसपास का होता है. तमिलनाडु में मुख्य रुप से 15 अक्टूबर के आसपास इसकी बुवाई की जाती है. इसमें थिनिंग की भी प्रक्रिया होती है, जिस जगह पर पौधे नहीं होते हैं वहां 10 से 12 दिन देखने के बाद वहां फिर से बीज डाल दिए जाते हैं.

अच्छे उत्पादन के लिए जरूरी पोषक तत्व

बाजरे की खेती के लिए पोषक तत्व की बात करें तो 15 से 20 टन सड़ी गोबर की खाद खेत में जुताई से पहले मिलाना चाहिए और मिट्टी की जांच के आधार पर जो कमी हो उस पोषक तत्व को देने की आवश्यकता होती है. साधारण भाषा में हम बात करें तो 80 से 100 किलो नाइट्रोजन, 40 से 60 किलो फास्फोरस, 30 से 40 प्रति किलो हेक्टेयर की दर से पोटास डालना होता है.

पानी की आवश्यकता

इसमें मुख्य रूप से सिंचाई की जो क्रांतिक अवस्था होती है उसमें कल्ले निकलने की अवस्था में जब फ्लॉवरिंग होती है फूल निकलने की अवस्था, जब दाने निकलने की अवस्था होती है, तब सिंचाई की सबसे अधिक आवश्यकता होती है. खरपतवार की बात करें तो 30 से 35 दिन की जो अवस्था होती है, खरपतवार निकालने की बहुत ही क्रांतिक अवस्था होती है.

बाजरे के साथ और फसल भी ले सकते हैं

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि बाजरे के साथ हम अंतर्वती फसलें भी ले सकते हैं, मुख्य रूप से अगर खरीफ के सीजन में हमें बाजरे की खेती करनी है, तो बाजरे के साथ में हम उड़द और मूंग जैसी फसलों की भी खेती कर सकते हैं. सोयाबीन की भी खेती कर सकते हैं, मुख्य रूप से राजस्थान गुजरात के क्षेत्रों में जो है मूंग उड़द के अलावा गवार फली की भी खेती बाजरे के साथ की जाती है. तमिलनाडु में बाजरे के साथ सूरजमुखी की खेती की जाती है.

कितने दिन में तैयार

बाजरे की फसल मुख्य रूप से लगभग 90 से 95 दिन की फसल होती है, अगर हम प्रति हेक्टेयर बात करें तो 14 से लेकर के 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक इसका उत्पादन हमें आसानी से प्राप्त हो सकता है. सही तरीके से खेती करने पर बहुत आसानी से प्राप्त हो सकता है.बाज़ार में इसके कीमत की बार करें तो बाजरे का बाजार मूल्य 40 से 50 रुपये प्रति केजी की दर से आसानी से बाजार में मिल जाते हैं, बाजरे के आटे की बात करें तो 140 से ₹180 प्रति केजी की दर से बिक रहा है.

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बाजरा सेहत के लिए गुणकारी

बाजरा सेहत के लिए बहुत गुणकारी है, इसमें पोषक तत्वों की भरमार है, बाजरा में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, पोटास जो हमारे पोषण के लिए बहुत जरूरी होता है, वो सब पाए जाते हैं, इसके अलावा विटामिन्स की भरमार होती है, विटामिन B6 होता है, इसके साथ ही सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी है, और कई सारे न्यूट्रिएंट्स पोषक तत्व इसमें पाए जाते हैं.

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