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हरछठ व्रत की डेट को लेकर हैं कन्फ्यूजन, जानें 24 या 25 अगस्त में किस दिन है व्रत मुहूर्त - Harchhath Vrat 2024 Date

हरछठ व्रत को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है कि इस साल हरछठ 24 अगस्त को है या 25 अगस्त को है. कुछ कैलेंडरों में व्रत को लेकर सही तारीख 24 अगस्त दी गई है, जबकि कुछ कैलेंडरों में 25 अगस्त को हरछठ व्रत बताया गया है. यहां ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानिए कब व्रत रखने से आपको व्रत का पूरा लाभ मिलेगा.

24 OR 25 AUGUST HARCHATH VRAT DATE
हरछठ व्रत 2024 का शुभ मुहुर्त (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 22, 2024, 5:36 PM IST

Updated : Aug 22, 2024, 5:49 PM IST

Harchhath Vrat 2024 Date : अगस्त का महीना चल रहा है और इसी महीने में हरछठ का व्रत भी है. जिसे लेकर कुछ लोगों में कंफ्यूजन है कि आखिर हरछठ का व्रत कब करना है. कुछ लोगों का मानना है कि 24 अगस्त को हरछठ है. वहीं, अन्य कुछ लोगों का कहना है कि 25 अगस्त को हरछठ है. जिससे लोग हरछठ को लेकर कंफ्यूज है कि किस दिन इसका व्रत रखा जाए जिससे व्रत का पूरा लाभ मिले.

इस दिन करें हरछठ का व्रत होगा शुभ (ETV Bharat)

इस दिन करें हरछठ का व्रत, होगा शुभ

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि ये जो हरछठ का त्योहार होता है, कुछ लोग इसे हलषष्ठी भी कहते हैं, तो कुछ लोग ललही छठ भी कहते हैं. हरछठ कब है इसे लेकर इस बार लोगों में बहुत कंफ्यूजन है. किसी पंचांग में 24 अगस्त बताया गया है तो किसी पंचांग में 25 अगस्त. अलग-अलग पंचांग में अलग-अलग मत होते हैं. ज्योतिष अचार्य कहते हैं कि "वैसे शास्त्र संवत देखें तो 24 तारीख को दोपहर में 12 बजकर 10 मिनट से हरछठ प्रारंभ हो रही है. इस दिन सूर्योदय के समय पंचमी भी प्रारंभ हो रही है. शास्त्रों में उल्लेख है कि मध्य काल हो, उदया तिथि हो, तो वो दिन मान्य होता है. लेकिन 24 तारीख को न मध्यकाल फंस रहा है और न ही उदया तिथि फंस रही है. 25 तारीख को सुबह 4 बजे से लेकर 8 बजे तक मध्यकाल मिल रहा है और 25 तारीख को हलषष्ठी की तिथि मिल रही है. सूर्योदय के समय हरछठ है. इसलिए शास्त्र संवत 25 अगस्त को हरछठ मनाया जाएगा."

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हरछठ व्रत की ऐसे करें शुरुआत

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने हरछठ व्रत की शुरुआत करने को लेकर कहा कि "महिलाएं प्रातः कालीन किसी जलाशय में जाकर स्नान करें और व्रत प्रारंभ कर दें. इस बात का ख्याल रखें कि जब व्रत शुरू कर दें, तो पूजा होने तक भोजन या प्रसाद न लें. मध्यकाल के समय हेलियों के साथ मिलकर तालाब बना लें. जिसके बाद महुआ का फूल, पसही का चावल, भैंस का दूध आदि रखकर शिव पार्वती को समर्पित करें. पूजन समाप्त होने के बाद भोग लगे हुए प्रसाद का सेवन करें. जब दिन डूब रहा हो तो हलषष्ठी का किसी नदी या तालाब में विसर्जन करें. इस तरह विधि विधान से महिलाएं पूजा करती हैं, तो उनके पुत्र को सुख-शांति और और स्वास्थ्य लाभ मिलता है. जिन महिलाओं को संतान नहीं है उनको संतान की प्राप्ति होती है."

Harchhath Vrat 2024 Date : अगस्त का महीना चल रहा है और इसी महीने में हरछठ का व्रत भी है. जिसे लेकर कुछ लोगों में कंफ्यूजन है कि आखिर हरछठ का व्रत कब करना है. कुछ लोगों का मानना है कि 24 अगस्त को हरछठ है. वहीं, अन्य कुछ लोगों का कहना है कि 25 अगस्त को हरछठ है. जिससे लोग हरछठ को लेकर कंफ्यूज है कि किस दिन इसका व्रत रखा जाए जिससे व्रत का पूरा लाभ मिले.

इस दिन करें हरछठ का व्रत होगा शुभ (ETV Bharat)

इस दिन करें हरछठ का व्रत, होगा शुभ

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि ये जो हरछठ का त्योहार होता है, कुछ लोग इसे हलषष्ठी भी कहते हैं, तो कुछ लोग ललही छठ भी कहते हैं. हरछठ कब है इसे लेकर इस बार लोगों में बहुत कंफ्यूजन है. किसी पंचांग में 24 अगस्त बताया गया है तो किसी पंचांग में 25 अगस्त. अलग-अलग पंचांग में अलग-अलग मत होते हैं. ज्योतिष अचार्य कहते हैं कि "वैसे शास्त्र संवत देखें तो 24 तारीख को दोपहर में 12 बजकर 10 मिनट से हरछठ प्रारंभ हो रही है. इस दिन सूर्योदय के समय पंचमी भी प्रारंभ हो रही है. शास्त्रों में उल्लेख है कि मध्य काल हो, उदया तिथि हो, तो वो दिन मान्य होता है. लेकिन 24 तारीख को न मध्यकाल फंस रहा है और न ही उदया तिथि फंस रही है. 25 तारीख को सुबह 4 बजे से लेकर 8 बजे तक मध्यकाल मिल रहा है और 25 तारीख को हलषष्ठी की तिथि मिल रही है. सूर्योदय के समय हरछठ है. इसलिए शास्त्र संवत 25 अगस्त को हरछठ मनाया जाएगा."

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हरछठ व्रत की ऐसे करें शुरुआत

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने हरछठ व्रत की शुरुआत करने को लेकर कहा कि "महिलाएं प्रातः कालीन किसी जलाशय में जाकर स्नान करें और व्रत प्रारंभ कर दें. इस बात का ख्याल रखें कि जब व्रत शुरू कर दें, तो पूजा होने तक भोजन या प्रसाद न लें. मध्यकाल के समय हेलियों के साथ मिलकर तालाब बना लें. जिसके बाद महुआ का फूल, पसही का चावल, भैंस का दूध आदि रखकर शिव पार्वती को समर्पित करें. पूजन समाप्त होने के बाद भोग लगे हुए प्रसाद का सेवन करें. जब दिन डूब रहा हो तो हलषष्ठी का किसी नदी या तालाब में विसर्जन करें. इस तरह विधि विधान से महिलाएं पूजा करती हैं, तो उनके पुत्र को सुख-शांति और और स्वास्थ्य लाभ मिलता है. जिन महिलाओं को संतान नहीं है उनको संतान की प्राप्ति होती है."

Last Updated : Aug 22, 2024, 5:49 PM IST
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