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दगना एक दंश, कुप्रथा को खत्म करने इस आदिवासी जिले में उठाया गया ये बड़ा कदम

Shahdol Dagna Kupratha:आदिवासी इलाकों में दगना कुप्रथा एक दंश बन चुकी है. निमोनिया से पीड़ित नवजात को गर्मसलाखों से दागा जाता है जिससे इलाज के अभाव में उसकी मौत हो जाती है. शहडोल कलेक्टर ने इसे रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं.

Shahdol Dagna Kupratha
शहडोल दगना कुप्रथा
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 6, 2024, 9:31 PM IST

शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, और यहां पर दगना कुप्रथा के मामले लगातार आते ही रहते हैं. जिसमें मासूम नवजात बच्चे इस कुप्रथा के शिकार होते हैं. जिसमें कई बच्चों की हालत बहुत नाजुक हो जाती है तो कई मासूम बच्चों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है. अब इस दगना कुप्रथा के खिलाफ शहडोल जिला प्रशासन भी पूरी तरह से सख्त हो गया है. कलेक्टर ने दगना कुप्रथा को रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं.

दगना कुप्रथा के खिलाफ विशेष अभियान

शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य ने जिले में दगना कुप्रथा को रोकने के लिए कई अहम निर्देश जारी किए हैं. जिसमें 7 फरवरी से लेकर 9 फरवरी तक शहडोल जिले में जगह-जगह पर विशेष अभियान चलाए जाएंगे. जिसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला बाल विकास अधिकारी को यह निर्देश दिए गए हैं. कलेक्टर ने कहा है कि विशेष अभियान के तहत ब्लॉक परियोजना स्तर से ग्राम स्तरीय दल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम एवं आशा कार्यकर्ताओं का दल गठन करते हुए जीरो से एक वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग एवं स्वास्थ्य जांच के लिए विशेष अभियान चलाएं जाएं.

विशेष अभियान में क्या होगा ?

कलेक्टर ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि इस विशेष अभियान में जीरो से एक वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग की जाए, उनके स्वास्थ्य की पूरी जांच की जाए, जिन बच्चों में सर्दी, जुखाम, निमोनिया पेट फूलना सांस लेने में तकलीफ जैसी बीमारियां मिलती हैं, उन बच्चों की लिस्टिंग करें और उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाकर उसे संपूर्ण इलाज दिलाया जाए.

घटना सामने आने पर लें संज्ञान

कलेक्टर ने कहा कि नवजात शिशु के दगना की घटना का संज्ञान होने पर संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा कार्यकर्ता के सहयोग से शिशु को तत्काल इलाज हेतु नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया जाए.परियोजना अधिकारी एवं संबंधित पर्यवेक्षक चिकित्सा अधिकारी के संपर्क में रहकर नवजात शिशु के स्वास्थ्य की निगरानी स्वयं करें.

दगना इलाके में स्पेशल प्लानिंग

कलेक्टर वंदना वैद्य ने कहा है कि इस विशेष अभियान के तहत दगना वाले जो क्षेत्र हैं उन क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए. महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और आरबीएस के साथ क्षेत्र के नवजात शिशुओं का सर्वे किया जाए. उनके स्वास्थ्य वजन एवं टीकाकरण की जानकारी लेकर आवश्यक स्वास्थ्य सेवा उन्हें तुरंत प्रदान की जांए. जहां दगना जैसे मामले सामने आए हैं उन क्षेत्रों में महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग गर्भवती माता व अन्य स्थानीय जनमानस के साथ इन कुप्रथाओं के उन्मूलन के संबंध में चौपाल लगाएंगे, संगोष्ठी करेंगे और बैठक कर उन्हें समझाइश भी प्रदान करेंगे.

ये भी पढ़ें:

ऐसे लोगों को किया जाएगा चिन्हित

इस विशेष अभियान के तहत दगना वाले जो क्षेत्र हैं जहां से ऐसे मामले सामने आए हैं, वहां के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक परियोजना अधिकारी तत्काल उस क्षेत्र के जादू टोटका करने वाले ओझा गुनिया आदि को चिन्हित करेंगे और इसकी सूचना स्थानीय थाना को भेजी जाएगी. दगना कुप्रथा जैसे काम करने वाले लोगों को जनप्रतिनिधि, धर्मगुरु, पंडा आदि साथ बैठक कर उन्हें सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन करने हेतु प्रेरित करेंगे.

शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, और यहां पर दगना कुप्रथा के मामले लगातार आते ही रहते हैं. जिसमें मासूम नवजात बच्चे इस कुप्रथा के शिकार होते हैं. जिसमें कई बच्चों की हालत बहुत नाजुक हो जाती है तो कई मासूम बच्चों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है. अब इस दगना कुप्रथा के खिलाफ शहडोल जिला प्रशासन भी पूरी तरह से सख्त हो गया है. कलेक्टर ने दगना कुप्रथा को रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं.

दगना कुप्रथा के खिलाफ विशेष अभियान

शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य ने जिले में दगना कुप्रथा को रोकने के लिए कई अहम निर्देश जारी किए हैं. जिसमें 7 फरवरी से लेकर 9 फरवरी तक शहडोल जिले में जगह-जगह पर विशेष अभियान चलाए जाएंगे. जिसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला बाल विकास अधिकारी को यह निर्देश दिए गए हैं. कलेक्टर ने कहा है कि विशेष अभियान के तहत ब्लॉक परियोजना स्तर से ग्राम स्तरीय दल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम एवं आशा कार्यकर्ताओं का दल गठन करते हुए जीरो से एक वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग एवं स्वास्थ्य जांच के लिए विशेष अभियान चलाएं जाएं.

विशेष अभियान में क्या होगा ?

कलेक्टर ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि इस विशेष अभियान में जीरो से एक वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग की जाए, उनके स्वास्थ्य की पूरी जांच की जाए, जिन बच्चों में सर्दी, जुखाम, निमोनिया पेट फूलना सांस लेने में तकलीफ जैसी बीमारियां मिलती हैं, उन बच्चों की लिस्टिंग करें और उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाकर उसे संपूर्ण इलाज दिलाया जाए.

घटना सामने आने पर लें संज्ञान

कलेक्टर ने कहा कि नवजात शिशु के दगना की घटना का संज्ञान होने पर संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा कार्यकर्ता के सहयोग से शिशु को तत्काल इलाज हेतु नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया जाए.परियोजना अधिकारी एवं संबंधित पर्यवेक्षक चिकित्सा अधिकारी के संपर्क में रहकर नवजात शिशु के स्वास्थ्य की निगरानी स्वयं करें.

दगना इलाके में स्पेशल प्लानिंग

कलेक्टर वंदना वैद्य ने कहा है कि इस विशेष अभियान के तहत दगना वाले जो क्षेत्र हैं उन क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए. महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और आरबीएस के साथ क्षेत्र के नवजात शिशुओं का सर्वे किया जाए. उनके स्वास्थ्य वजन एवं टीकाकरण की जानकारी लेकर आवश्यक स्वास्थ्य सेवा उन्हें तुरंत प्रदान की जांए. जहां दगना जैसे मामले सामने आए हैं उन क्षेत्रों में महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग गर्भवती माता व अन्य स्थानीय जनमानस के साथ इन कुप्रथाओं के उन्मूलन के संबंध में चौपाल लगाएंगे, संगोष्ठी करेंगे और बैठक कर उन्हें समझाइश भी प्रदान करेंगे.

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इस विशेष अभियान के तहत दगना वाले जो क्षेत्र हैं जहां से ऐसे मामले सामने आए हैं, वहां के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक परियोजना अधिकारी तत्काल उस क्षेत्र के जादू टोटका करने वाले ओझा गुनिया आदि को चिन्हित करेंगे और इसकी सूचना स्थानीय थाना को भेजी जाएगी. दगना कुप्रथा जैसे काम करने वाले लोगों को जनप्रतिनिधि, धर्मगुरु, पंडा आदि साथ बैठक कर उन्हें सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन करने हेतु प्रेरित करेंगे.

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