ETV Bharat / state

सूख न जाये कहीं लहलहाती फसल, धान में तेजी से फैल रहा ये रोग, जानिए लक्षण और उपचार के तरीके - Shahdol Paddy Crop Blast Disease

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 10:15 PM IST

बारिश के उतार चढ़ाव की वजह से शहडोल में धान के पौधों में ब्लास्ट नामक रोग लग गया है. इस बीमारी की शुरुआत में धान की पत्तियों पर कत्थे और भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं फिर धीरे-धीरे पूरी पत्ती सूख जाती है. अगर समय पर इसके रोकथाम के लिए उपाय किए जाएं तो फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है. इसके कारण व उपचार के बारे में कृषि वैज्ञानिक ने विस्तार से जानकारी दी.

SHAHDOL PADDY CROP BLAST DISEASE
धान की खेत में लगा ब्लास्ट रोग (ETV Bharat)

शहडोल: इस समय खरीफ का सीजन चल रहा है. खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में से एक धान की खेती शहडोल संभाग में सबसे ज्यादा की जाती है. अभी तक यह साल बारिश के लिहाज से काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है. मानसून सीजन के शुरुआत में बारिश नहीं हुई. आगे चलकर काफी बारिश हो गई. मौसम के इस उतार चढ़ाव ने किसानों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. बरसात नहीं होने की वजह से किसानों को धान की नर्सरी रोपने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. अब अधिक बारिश फिर धूप की वजह से धान के पौधों में रोग लग गया है, जिससे फसल का नुकसान हो रहा है.

कृषि वैज्ञानिक ने बताया रोग से बचाव का तरीका (ETV Bharat)

धान की पत्तियां सूख रही हैं

धान की फसल में लगे रोग से किसान, अनिल सिंह बहुत चिंतित हैं. उनको अपनी फसल के चौपट होने का डर सता रहा है. अनिल सिंह बताते हैं कि, "धान के पौधों की पत्तियों पर धब्बे नजर आ रहे हैं और पत्तियां सूख रही हैं. फसल में न जाने कौन सा रोग लग गया है, जो पौधों को नुकसान पहुंचा रहा है." किसानों का कहना है कि वह धान की खेती के लिए बहुत ज्यादा पूंजी लगा चुके हैं. अब धान में लगे इस रोग ने फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. रोग की समस्या क्षेत्र के कई हिस्सों में देखने को मिल रही है.

Shahdo Blast disease ATTACK paddy
धान के पौधों में लगा ब्लास्ट रोग (ETV Bharat)

कृषि वैज्ञानिक से जाने कारण और रोकथाम के उपाय

किसानों की समस्या को लेकर ईटीवी भारत ने कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति से बात की, उन्होंने बताया कि, "क्षेत्र के किसानों के धान के खेतों में जो बीमारी दिख रही है, यह ब्लास्ट रोग यानी झोंका बीमारी है. यह तेजी से फैल रही है. यह मुख्यत: फफूंद द्वारा फैलने वाली बीमारी है. जब तापमान 22 से 30 डिग्री के बीच होता है और आद्रता 94 फीसदी के ऊपर होती और इसके साथ पत्तियों पर ओस की बूंदे 10 घंटे से ज्यादा समय तर रहती हैं, तो उस अवस्था में इस बीमारी की संभावना बन जाती है."

paddy blast disease prevention
रोग की वजह से सूख रही पत्तियां (ETV Bharat)

ब्लास्ट रोग के लक्षण

डॉ. बीके प्रजापति ने ब्लास्ट बीमारी को पहचाने के तरीके को लेकर बताया, "ब्लास्ट बीमारी लगने से धान की पत्तियां पर कत्थे और भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं. उनका आकार नाव के जैसा हो जाता है. इन धब्बों की लंबाई 1 से डेढ़ सेंटीमीटर तक होती है और चौड़ाई 0.5 सेंटीमीटर तक होती है. धब्बों के बीच का भाग राख की तरह रहता है. यह धब्बा धीरे धीरे पूरी पत्तियों पर फैल जाता है, जिससे पत्तियां सूख जाती हैं. यह रोग पौधे की शुरुआती अवस्था से लेकर पौधे में दाना आ जाने तक कभी भी हो सकता है. दाना आ जाने पर इस रोग की वजह से पौधे की गर्दन झुक जाती है. उस अवस्था में इसको नेक ब्लास्ट कहते हैं."

रोग के रोकथाम के तरीके

इसके रोकथाम को लेकर बीके प्रजापति ने बताया कि, "ब्लास्ट के नियंत्रण के लिए सबसे पहले इस रोग की पहचान करना जरूरी है. अगर धान की फसल में किसी भी तरह का कोई रोग नजर आता है तो किसान भाइयों को जिला कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करना चाहिए. उनकी सलाह पर दवा लेकर डॉक्टर के निर्देशानुसार उसका इस्तेमाल करना चाहिए. ब्लास्ट की रोकथाम के लिए कई दवाईयां आती हैं. जिसे डॉक्टर की सलाह लेकर उसका पौधों पर छिड़काव करें. अगर समय पर दवा का छिड़काव हो जाता है तो, बीमारी पर काबू पाया जा सकता है और फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है. इसके अलावा खेतों की मेड़ को साफ रखना चाहिए. खेत में खरपतवार हो तो उसको भी निकाल दें."

यह भी पढ़ें:

बैतूल में खतरनाक वायरस की चपेट में सोयाबीन की खेती, बर्बाद फसल लेकर अधिकारी के पैरों में गिरा किसान

धान का म्यूजियम: बालाघाट में किसान के पास मौजूद है 150 किस्म से अधिक धान के बीज

कहीं बौना न हो जाये पौधा

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं, "इस रोग की वजह से धान का पौधा बौना भी हो सकता है. ऐसा इसलिए होता है कि जब बीमारी की वजह से पत्तियां पूरी तरह से सूख जाती हैं तो पौधा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पूरी नहीं कर पाता, जिस वजह से पौधा बौना हो जाता है. पौधा पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता, वह जला हुआ नजर आता है."

शहडोल: इस समय खरीफ का सीजन चल रहा है. खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में से एक धान की खेती शहडोल संभाग में सबसे ज्यादा की जाती है. अभी तक यह साल बारिश के लिहाज से काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है. मानसून सीजन के शुरुआत में बारिश नहीं हुई. आगे चलकर काफी बारिश हो गई. मौसम के इस उतार चढ़ाव ने किसानों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. बरसात नहीं होने की वजह से किसानों को धान की नर्सरी रोपने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. अब अधिक बारिश फिर धूप की वजह से धान के पौधों में रोग लग गया है, जिससे फसल का नुकसान हो रहा है.

कृषि वैज्ञानिक ने बताया रोग से बचाव का तरीका (ETV Bharat)

धान की पत्तियां सूख रही हैं

धान की फसल में लगे रोग से किसान, अनिल सिंह बहुत चिंतित हैं. उनको अपनी फसल के चौपट होने का डर सता रहा है. अनिल सिंह बताते हैं कि, "धान के पौधों की पत्तियों पर धब्बे नजर आ रहे हैं और पत्तियां सूख रही हैं. फसल में न जाने कौन सा रोग लग गया है, जो पौधों को नुकसान पहुंचा रहा है." किसानों का कहना है कि वह धान की खेती के लिए बहुत ज्यादा पूंजी लगा चुके हैं. अब धान में लगे इस रोग ने फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. रोग की समस्या क्षेत्र के कई हिस्सों में देखने को मिल रही है.

Shahdo Blast disease ATTACK paddy
धान के पौधों में लगा ब्लास्ट रोग (ETV Bharat)

कृषि वैज्ञानिक से जाने कारण और रोकथाम के उपाय

किसानों की समस्या को लेकर ईटीवी भारत ने कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति से बात की, उन्होंने बताया कि, "क्षेत्र के किसानों के धान के खेतों में जो बीमारी दिख रही है, यह ब्लास्ट रोग यानी झोंका बीमारी है. यह तेजी से फैल रही है. यह मुख्यत: फफूंद द्वारा फैलने वाली बीमारी है. जब तापमान 22 से 30 डिग्री के बीच होता है और आद्रता 94 फीसदी के ऊपर होती और इसके साथ पत्तियों पर ओस की बूंदे 10 घंटे से ज्यादा समय तर रहती हैं, तो उस अवस्था में इस बीमारी की संभावना बन जाती है."

paddy blast disease prevention
रोग की वजह से सूख रही पत्तियां (ETV Bharat)

ब्लास्ट रोग के लक्षण

डॉ. बीके प्रजापति ने ब्लास्ट बीमारी को पहचाने के तरीके को लेकर बताया, "ब्लास्ट बीमारी लगने से धान की पत्तियां पर कत्थे और भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं. उनका आकार नाव के जैसा हो जाता है. इन धब्बों की लंबाई 1 से डेढ़ सेंटीमीटर तक होती है और चौड़ाई 0.5 सेंटीमीटर तक होती है. धब्बों के बीच का भाग राख की तरह रहता है. यह धब्बा धीरे धीरे पूरी पत्तियों पर फैल जाता है, जिससे पत्तियां सूख जाती हैं. यह रोग पौधे की शुरुआती अवस्था से लेकर पौधे में दाना आ जाने तक कभी भी हो सकता है. दाना आ जाने पर इस रोग की वजह से पौधे की गर्दन झुक जाती है. उस अवस्था में इसको नेक ब्लास्ट कहते हैं."

रोग के रोकथाम के तरीके

इसके रोकथाम को लेकर बीके प्रजापति ने बताया कि, "ब्लास्ट के नियंत्रण के लिए सबसे पहले इस रोग की पहचान करना जरूरी है. अगर धान की फसल में किसी भी तरह का कोई रोग नजर आता है तो किसान भाइयों को जिला कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करना चाहिए. उनकी सलाह पर दवा लेकर डॉक्टर के निर्देशानुसार उसका इस्तेमाल करना चाहिए. ब्लास्ट की रोकथाम के लिए कई दवाईयां आती हैं. जिसे डॉक्टर की सलाह लेकर उसका पौधों पर छिड़काव करें. अगर समय पर दवा का छिड़काव हो जाता है तो, बीमारी पर काबू पाया जा सकता है और फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है. इसके अलावा खेतों की मेड़ को साफ रखना चाहिए. खेत में खरपतवार हो तो उसको भी निकाल दें."

यह भी पढ़ें:

बैतूल में खतरनाक वायरस की चपेट में सोयाबीन की खेती, बर्बाद फसल लेकर अधिकारी के पैरों में गिरा किसान

धान का म्यूजियम: बालाघाट में किसान के पास मौजूद है 150 किस्म से अधिक धान के बीज

कहीं बौना न हो जाये पौधा

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं, "इस रोग की वजह से धान का पौधा बौना भी हो सकता है. ऐसा इसलिए होता है कि जब बीमारी की वजह से पत्तियां पूरी तरह से सूख जाती हैं तो पौधा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पूरी नहीं कर पाता, जिस वजह से पौधा बौना हो जाता है. पौधा पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता, वह जला हुआ नजर आता है."

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.