नई दिल्ली: शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करके मोटा मुनाफा कमाने के नाम पर ठगी करने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है. दिल्ली पुलिस के शाहदरा जिले के शाहदरा साइबर थाना पुलिस की टीम ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो ठगी के पैसे को बैंक अकाउंट में जमा करने और उसे निकलवाने का गोरखधंधा करते थे. इन सभी आरोपियों को साइबर पुलिस टीम ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से गिरफ्तार किया है. इन आरोपियों ने एक शख्स से इन्वेस्टमेंट कराने के नाम पर 23.26 लाख रुपए की ठगी की थी.
शाहदरा जिला पुलिस उपायुक्त सुरेंद्र चौधरी के मुताबिक, शाहदरा साइबर पुलिस स्टेशन को शिकायत मिली थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने शेयर बाजार में निवेश के संबंध में टेलीग्राम पर एक मैसेज प्राप्त करने और इस पर मोटा रिटर्न पाने की बात कही गई थी. इसके बाद उसने शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करना शुरू कर दिया. शुरुआत में उसको पहले की गई इन्वेस्टमेंट की राशि पर बढ़ा रिटर्न प्राप्त हुआ. बाद में उसको (शिकायतकर्ता) को इन्वेस्टमेंट की गई राशि की वापसी के लिए जालसाजों ने इसमें और रुपए इन्वेस्टमेंट करने के लिए कहा गया. शिकायतकर्ता से जालसाजों ने 23 लाख 26 हजार रुपए की ठगी अलग-अलग खातों में राशि जमा करवा कर की.
मामले की गंभीरता को लेकर टीम का गठनः डीसीपी के मुताबिक, इस पूरे मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए सब-इंस्पेक्टर लवली शौकीन के नेतृत्व में हेड कांस्टेबल हितेंद्र, अक्षय और रजनी की एक टीम गठित की गई. इसने अपराधियों की पहचान करने और पता लगाने के लिए मैन्युअल और टेक्निकल सर्विलांस की. इस दौरान एक संदिग्ध की मोबाइल की पूरी मॉनीटरिंग की गई. टेक्निकल सर्विलांस के आधार पर पुलिस टीम को खास जानकारी हासिल हुई, जिसके आधार पर 13 अगस्त को बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में दबिश दी गई. छापेमारी के दौरान एक आरोपी मयंक देवांगन की पहचान की गई, जो अकाउंट होल्डर था. इसमें धोखाधड़ी की राशि जमा की गई थी.
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आरोपी ने पूछताछ में किया खुलासाः आरोपी को पकड़ने के बाद पूछताछ में खुलासा हुआ कि उसने अपने बचपन के दोस्त शिवा श्रीवास को अपने अकाउंट की डिटेल्स दी थी. शिवा श्रीवास और अमन श्रीवास्तव को यह राशि सौंप दी गई. मयंक ने बताया कि वह दोनों उसके पड़ोस में रहते थे. आरोपी मयंक देवांगन की निशानदेही पर ही दोनों आरोपियों के रेजिडेंस पर साइबर टीम ने एक और छापेमारी की, लेकिन वह दोनों पहले ही मौके से फरार हो गए. पुलिस टीम ने फिर इन दोनों आरोपियों की पकड़ने के लिए मोबाइल डिटेल्स खंगाली. इसके बाद 18 अगस्त को बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में एक और छापेमारी की जहां पर दोनों आरोपियों को धरदबोचने में कामयाबी मिली.
कमीशन बेसिज पर करते थे कामः पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने खुलासा किया कि वह कमीशन बेसिज पर यह सब काम किया करते थे. अमन श्रीवास्तव ने आदर्श तिवारी नाम के एक शख्स के नाम का भी खुलासा किया, जिसको वह यह पूरी नगदी सौंपी थी. अमन श्रीवास्तव के कहने पर एक और छापेमारी की गई. इसके बाद सह-आरोपी आदर्श तिवारी को पकड़ने में कामयाबी मिली. उसने पूछताछ में खुलासा किया कि इसका एक अन्य सह-आरोपी भी है, जिसके नाम का खुलासा नहीं किया गया. उसके लिए ही वह ठगी की रकम को निपटाने का काम किया करता था.
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इस शख्स को ही आदर्श तिवारी ने मयंक देवांगन समेत करीब 8 बैंक अकाउंट्स की डिटेल मुहैया करवाई थी, जिसमें शिकायतकर्ता की धोखाधड़ी की राशि प्राप्त की गई थी. अकाउंट की इस पूरी रकम को चेक के जरिए बैंक से निकाला गया था और बाद में इसको आदर्श तिवारी (23) को दी गई. आदर्श तिवारी ने अपने उसे दोस्त के खाते में रकम ठिकाने लगाई थी, जिसके नाम का अभी खुलासा नहीं किया गया. इस सब गोरखधंधे के लिए आदर्श तिवारी को कमीशन मिलता था. वह छत्तीसगढ़ से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है. मामले में आरोपी आदर्श तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया और टीम मामले में टेक्निकल एंगल पर आगे की जांच में जुटी है. आरोपियों के कब्जे से अपराध में इस्तेमाल किए गए 5 मोबाइल फोन और 5 सिम कार्ड भी बरामद कर लिए गए हैं.
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