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जींद में लिंगानुपात मामलों में सुधार, रेवाड़ी-चरखी दादरी व गुरुग्राम में हालात चिंताजनक - SEX RATIO IN JIND HARYANA

जींद के लिए राहत भरी खबर है कि लिंगानुपात 900 के ऊपर हैं. यानी जींद के लोगों को बेटियां खूब रास आ रही हैं.

Sex ratio in Jind Haryana
Sex ratio in Jind Haryana (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 17 hours ago

जींद: हरियाणा के जींद में लिंगानुपात के मामले में जींद जिला प्रदेशभर में सातवें स्थान पर हैं. जींद के लिए राहत भरी खबर यह है कि लिंगानुपात 900 के ऊपर हैं. इसका मतलब यह है कि जींद के लोगों को बेटियां खूब रास आ रही हैं. वहीं रेवाड़ी-चरखी दादरी व गुरुग्राम लिंगानुपात के मामले में सबसे पीछे चल रहे हैं. एक समय था जब लिंगानुपात के मामले में जींद जिला सिरमौर था. वर्ष 2024 में लिंगानुपात 900 से नीचे आया. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अपनी मेहनत से इसे फिर से 911 पर ला दिया है. प्रदेश में लिंगानुपात के मामले में प्रथम स्थान पर यमुनानगर है. यहां लिंगानुपात 938 प्रति हजार है. इसके बाद दूसरे नंबर पर सिरसा और करनाल व फतेहाबाद संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर है.

जींद में भ्रूण हत्या: पिछले दिनों जिला में कन्या भ्रूण हत्या के दो मामले भी सामने आए. गांव डूमरखां कलां में किसी मां ने अपनी बेटी को जन्म लेने से पहले कोख में ही मरवा दिया था. उसका भ्रूण खाली प्लाट में फेंक दिया था. दूसरी घटना जींद के रेलवे स्टेशन के पास की थी. जिसमें झाड़ियों में एक नवजात कन्या का शव मिला था. जिस पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें अलर्ट मोड पर आ गई. हालांकि 2018 से 2023 तक जिले का लिंगानुपात 900 से ऊपर रहा. लेकिन वर्ष 2024 में यह 900 से कम हो गया. जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने मेहनत की और फिर से जींद का लिंगानुपात 911 पर आ गया है. वर्ष 2022 में जींद जिला लिंगानुपात के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर था. कई महीने तक जींद जिले की लिंगानुपात में प्रदेश में पहले स्थान पर रहा.

'लिंगानुपात में सुधार के प्रयास': पीएनडीटी के प्रभारी डिप्टी सीएमओ डॉ. पालेराम कटारिया ने कहा कि जिले में लिंगानुपात सुधारने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है. एनडीटी एक्ट की उल्लंघना करने वालों को पकड़वाने पर एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाता है. इसमें जानकारी देने वाले का नाम भी गुप्त रखा जाता है. जिला में अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर समय-समय पर औचक निरीक्षण भी किया जाता है. इसके अलावा, कम लिंगानुपात वाले क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जाती है. लिंगानुपात को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर पंचायतों को सम्मानित भी किया जाता है. इन पंचायतों को कैश अवॉर्ड दिया जाता है. ताकि यह पंचायतें दूसरी पंचायतों के लिए मिसाल बन सकें.

जींद: हरियाणा के जींद में लिंगानुपात के मामले में जींद जिला प्रदेशभर में सातवें स्थान पर हैं. जींद के लिए राहत भरी खबर यह है कि लिंगानुपात 900 के ऊपर हैं. इसका मतलब यह है कि जींद के लोगों को बेटियां खूब रास आ रही हैं. वहीं रेवाड़ी-चरखी दादरी व गुरुग्राम लिंगानुपात के मामले में सबसे पीछे चल रहे हैं. एक समय था जब लिंगानुपात के मामले में जींद जिला सिरमौर था. वर्ष 2024 में लिंगानुपात 900 से नीचे आया. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अपनी मेहनत से इसे फिर से 911 पर ला दिया है. प्रदेश में लिंगानुपात के मामले में प्रथम स्थान पर यमुनानगर है. यहां लिंगानुपात 938 प्रति हजार है. इसके बाद दूसरे नंबर पर सिरसा और करनाल व फतेहाबाद संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर है.

जींद में भ्रूण हत्या: पिछले दिनों जिला में कन्या भ्रूण हत्या के दो मामले भी सामने आए. गांव डूमरखां कलां में किसी मां ने अपनी बेटी को जन्म लेने से पहले कोख में ही मरवा दिया था. उसका भ्रूण खाली प्लाट में फेंक दिया था. दूसरी घटना जींद के रेलवे स्टेशन के पास की थी. जिसमें झाड़ियों में एक नवजात कन्या का शव मिला था. जिस पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें अलर्ट मोड पर आ गई. हालांकि 2018 से 2023 तक जिले का लिंगानुपात 900 से ऊपर रहा. लेकिन वर्ष 2024 में यह 900 से कम हो गया. जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने मेहनत की और फिर से जींद का लिंगानुपात 911 पर आ गया है. वर्ष 2022 में जींद जिला लिंगानुपात के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर था. कई महीने तक जींद जिले की लिंगानुपात में प्रदेश में पहले स्थान पर रहा.

'लिंगानुपात में सुधार के प्रयास': पीएनडीटी के प्रभारी डिप्टी सीएमओ डॉ. पालेराम कटारिया ने कहा कि जिले में लिंगानुपात सुधारने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है. एनडीटी एक्ट की उल्लंघना करने वालों को पकड़वाने पर एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाता है. इसमें जानकारी देने वाले का नाम भी गुप्त रखा जाता है. जिला में अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर समय-समय पर औचक निरीक्षण भी किया जाता है. इसके अलावा, कम लिंगानुपात वाले क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जाती है. लिंगानुपात को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर पंचायतों को सम्मानित भी किया जाता है. इन पंचायतों को कैश अवॉर्ड दिया जाता है. ताकि यह पंचायतें दूसरी पंचायतों के लिए मिसाल बन सकें.

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