शिमला: बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से लगातार हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर विभिन्न संगठनों ने शिमला में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कई संगठन एकजुट हुए और बांग्लादेश में हिंदुओं के मानवाधिकारों की रक्षा करने की मांग की. सभी संगठनों ने बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र से संज्ञान लेने की मांग की.
शिमला में प्रदर्शन के दौरान संगठनों ने बांग्लादेश में कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद युनुस से नोबेल पुरस्कार वापस लेने की मांग की है. इस दौरान संगठनों ने दुनिया भर के हिंदुओं से एकजुट होने और बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए आवाज उठाने की भी मांग की है.
डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स में कार्यकारिणी सदस्य अजय श्रीवास्तव ने कहा, "बांग्लादेश की 17 करोड़ आबादी में करीब 8% फीसदी हिंदू हैं. 5 अगस्त को शेख हसीना की आवामी लीग सरकार के गिरने के बाद से बांग्लादेश के 50 से ज्यादा जिलों में हिंदुओं पर 200 से ज्यादा हिंसक हमले हो चुके हैं.
उन्होंने कहा कि दुनिया भर के हिंदुओं को अब जागने की जरूरत है. दुनिया भर में हिंदुओं को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की आवश्यकता है. साथ ही अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से मामले पर संज्ञान लेने और मोहम्मद युनुस से नोबेल पुरस्कार वापस लेने की मांग की है.
वहीं, रामकृष्ण मिशन शिमला के सचिन स्वामी तन्ममहिमानंद ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहा अत्याचार एक चेतावनी है. दुनिया भर में हिंदुओं को जगाने और एकजुट होने की जरूरत है. स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि बलि हमेशा बकरे की दी जाती है. ऐसे में अपनी और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए हिंदुओं को स्वयं खड़े होना होगा.
स्वामी तन्ममहिमानंद ने कहा कि यह देश कृष्ण का वंशज है. भगवत गीता का ज्ञान जानता है तो महाभारत करना भी जानता है. हिंदुओं ने राम को अपना आदर्श माना है, जिसने अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करने से भी गुरेज नहीं किया. उन्होंने कहा कि हिंदू शांत है, लेकिन शांति के साथ हिंदू जवाब देना भी जानता है.
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