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सातवें चरण की आठ सीटों पर 50.56% मतदान, 'किसके सिर सजेगा ताज' - Lok Sabha Elections 2024

Seventh Phase Election बिहार में सातवें चरण का चुनाव संपन्न हो गया, जिसमें आठ लोकसभा सीटों पर 50.56% मतदान हुआ. इन सीटों के प्रमुख उम्मीदवारों में रामकृपाल यादव, मीसा भारती, सुधाकर सिंह, उपेंद्र कुशवाहा, पवन सिंह, आरके सिंह शामिल हैं. पिछले चुनावों की तुलना में वोटिंग प्रतिशत में मामूली गिरावट आई है. वोटिंग ट्रेंड के नजरिए से जानिए कौन किस पर कितना भारी पड़ रहा है.

सातवें चरण का मतदान.
सातवें चरण का मतदान. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 1, 2024, 10:02 PM IST

पटना: बिहार में सातवें चरण का चुनाव संपन्न हो गया. बक्सर, सासाराम, आरा, नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, काराकाट और जहानाबाद लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ. इस चरण में कुल 50.56% वोटिंग हुई, जो पिछले चुनावों की तुलना में थोड़ी कम है. 2009 में इस चरण में 40.70% मतदान हुआ था, जबकि 2014 में यह प्रतिशत बढ़कर 51.46% और 2019 में 51.49% हो गया था. इस बार 50.56% वोटिंग हुई, जो पिछले चुनाव के मुकाबले थोड़ी कम है.

प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्करः वोटिंग ट्रेंड के नजरिए से देखें तो 2009 से 2019 तक लगातार वृद्धि देखने को मिली थी, लेकिन इस बार कुछ गिरावट आई है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के चुनाव में प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. इस चुनाव में कई प्रमुख उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है, जिनमें रामकृपाल यादव, मीसा भारती, सुधाकर सिंह, उपेंद्र कुशवाहा, पवन सिंह और आरके सिंह शामिल हैं. इनके भाग्य का फैसला अब ईवीएम में बंद हो चुका है.

"कई सीटों पर एनडीए के लिए मुश्किल है. काराकाट और बक्सर में त्रिकोणात्मक मुकाबला है. वहां कोई भी जीत सकता है. जहानाबाद लोकसभा सीट जदयू के लिए परेशानी का सबब बन सकती है. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर कड़ी लड़ाई है. सासाराम, आरा, नालंदा और पटना साहिब की राहें आसान दिख रही है."- अरुण कुमार, राजनीतिक विश्लेषक.

आरा लोकसभा सीटः इस सीट की गिनती हॉट सीट में होती है. यहां से केंद्रीय मंत्री आरके सिंह भाजपा के उम्मीदवार हैं. जीत की हैट्रिक पर हैं. आरके सिंह का मुकाबला भाकपा माले के सुदामा प्रसाद के साथ है. 2009 के लोकसभा चुनाव में आरा लोकसभा सीट पर 35.78 प्रतिशत मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया था. 2014 में 48.96% मतदाताओं ने मत दिया. 2019 में आंकड़ा बढ़कर 51.72% हो गया. 2024 के चुनाव में 48.50 प्रतिशत मतदान हुआ. 2019 के मुकाबले 2024 में लगभग 3:25 प्रतिशत मतदान कम हुआ.

क्या है जातीय समीकरणः आरा लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे अधिक आबादी यादव मतदाताओं की है. इनकी संख्या 3 लाख 50 हजार के करीब है. आरा लोकसभा सीट पर अति पिछड़ा वोटरों की संख्या 5 लाख से ऊपर है. जिले में 1 लाख 15 हजार आबादी भूमिहार वोटरों की है. राजपूत वोटरों की संख्या 3 लाख के आसपास है. पिछले लोकसभा चुनाव में आरके सिंह बड़े मतों के अंतर से जीत हासिल की थी.

बक्सर लोकसभा सीटः भाजपा की पारंपरिक सीट मानी जाती है. इस बार भाजपा मुश्किल में दिख रही है. बक्सर लोकसभा सीट पर 2009 में 46.51 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2014 लोकसभा चुनाव में 54.4% वोटिंग हुई. 2019 में 53.95% मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया था. 2024 में 53.70 प्रतिशत वोटिंग हुई. पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा ने भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी है. भाजपा ने जहां मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल की ओर से पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह मैदान में हैं. ददन पहलवान भी चुनाव मैदान में हैं.

बक्सर में जातीय समीकरणः जातिगत समीकरण की अगर बात करें तो बक्सर की सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 4 लाख से ज्यादा है. इसके बाद यादव वोटरों की संख्या 3.5 लाख के करीब है. राजपूत मतदाताओं की संख्या 3 लाख है. भूमिहार मतदाता करीब 2.5 लाख हैं. बक्सर लोकसभा क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी 1.5 लाख के करीब है. इसके अलावा यहां पर कुर्मी, कुशवाहा, वैश्य, दलित वोटरों की आबादी अच्छी खासी है.

काराकाट लोकसभा सीटः यहां से अबतक तीनों चुनाव में एनडीए ने जीत हासिल की है. इस बार एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के लिए राह आसान नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा का मुकाबला भाकपा माले के राजा राम सिंह से है. काराकाट लोक सभा क्षेत्र से 2009 के चुनाव में 41.61% वोटिंग हुई थी. 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 50% हो गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 49.05 प्रतिशत ही वोटिंग हुई. 2024 में मतदान प्रतिशत बढ़कर 53.40 हो गया. 2019 के मुकाबले 2024 में करीब 4% अधिक वोटिंग हुई.

काराकाट का जातीय समीकरणः 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए काराकाट लोकसभा सीट को कुशवाहा जाति का किला कहा जा सकता है, क्योंकि इस सीट पर 2009 से हुए अभी तक तीन चुनावों में कुशवाहा जाति के ही प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. उपेंद्र कुशवाहा और राजा राम सिंह कुशवाहा जाति से आते हैं. पवन सिंह राजपूत जाति से आते हैं. यहां सबसे अधिक करीब 3 लाख यादव मतदाता हैं. वहीं कोइरी-कुर्मी मिलाकर करीब ढाई लाख वोटर्स हैं. तीसरे नंबर पर राजपूत मतदाता हैं जिनकी संख्या करीब दो लाख है. इसके अलावा 75 हजार ब्राह्मण और करीब 50 हजार भूमिहार वोटर्स भी हैं.

सासाराम लोकसभा सीटः भाजपा ने पूर्व सांसद और आईएएस अधिकारी रह चुके मुनीलाल राम के पुत्र शिवेश राम को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के टिकट पर मनोज राम चुनाव लड़ रहे हैं. 2009 में 42.70% वोटिंग हुई थी. 2014 में 52.67% मतदान हुआ. 2019 में 54.52% वोटिंग हुई. 2024 में 51 प्रतिशत मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया. 2019 के मुकाबले 2024 में 3.50 प्रतिशत कम वोटिंग हुई. सासाराम में 22 फीसदी सवर्ण मतदाता हैं. 15 फीसदी कुशवाहा और 20 फीसदी दलित मतदाता हैं.

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट: यह सीट भी हॉट सीट मानी जा रही है. लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं. भाजपा से रामकृपाल यादव दो बार चुनाव जीत चुके हैं. 2009 में 41.5% वोटिंग हुई थी. 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 56.37% हो गया. 2019 में 55.97% मतदान हुआ. 2024 में आंकड़ा बढ़कर 56.91% हो गया. रामकृपाल यादव के लिए जहां प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार किया, वहीं मीसा भारती के लिए राहुल गांधी ने वोट मांगे. यहां तकरीबन 5 लाख यादव और तीन लाख भूमिहार मतदाता हैं. चार लाख कुर्मी वोटर हैं. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में ज्यादातर ग्रामीण आबादी है.

पटना साहिब लोकसभा सीटः यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भाजपा के उम्मीदवार हैं. इनका मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के बेटे अंशुल अविजीत से है. 2009 के लोकसभा चुनाव में 33.64% मतदान हुआ था. 2014 में आंकड़ा बढ़कर 45.33% हो गया. 2019 में भी मतदान प्रतिशत बढ़ा. कुल 45.77 प्रतिशत मतदान हुआ. 2024 के लोकसभा चुनाव में 45% वोटिंग हुई. पटना साहिब लोकसभा सीट को कायस्थ बहुल माना जाता है. लगभग 5 लाख कायस्थ वोटर हैं. यहां से फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा दो बार सांसद रह चुके हैं.

जहानाबाद लोकसभा सीटः यहां से कुल 17 उम्मीदवार हैं. मुख्य मुकाबला चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी और सुरेंद्र यादव के बीच है. बसपा उम्मीदवार अरुण कुमार तीसरा कोण बनाने की कोशिश कर रहे हैं. 2009 में यहां 46.93% वोटिंग हुई थी. 2014 में आंकड़ा बढ़कर 57.02% हो गया. 2019 में वोटिंग प्रतिशत 51.75 रहा. 2024 के लोकसभा चुनाव में 51.20 प्रतिशत वोटिंग हुई. जहानाबाद लोकसभा सीट को यादव बहुल माना जाता है. दूसरे स्थान पर भूमिहार वोटर हैं. यहां पिछड़ा-अतिपिछड़ा-36 प्रतिशत, यादव- 17 प्रतिशत, भूमिहार-15 प्रतिशत, दलित-महादलित-21 प्रतिशत जबकि मुस्लिम-11 प्रतिशत हैं.

नालंदा लोकसभा सीटः नीतीश कुमार का सबसे मजबूत किला माना जाता है. एक वक्त था जब नीतीश कुमार नालंदा चुनाव प्रचार के लिए नहीं जाते थे और उनके प्रत्याशी चुनाव जीत जाते थे. इस बार जदयू ने फिर से कौशलेंद्र कुमार को उम्मीदवार बनाया है. उनका मुकाबला भाकपा माले के उम्मीदवार संदीप सौरभ से है. 2009 में 33.05% वोटिंग हुई थी. 2014 में 47.22% मतदान हुआ. 2019 में 48.76% लोगों ने मत डाले. 2024 में 46.50% वोटिंग हुई. जातिगत समीकरण की बात करें तो कुर्मी मतदाता-25 प्रतिशत, यादव-20 प्रतिशत, अल्पसंख्यक-9 प्रतिशत, कुशवाहा-10 प्रतिशत, अतिपिछड़ा-13 प्रतिशत, सवर्ण-9 प्रतिशत, महादलित-13 प्रतिशत तो अन्य जातियां 1 प्रतिशत है.

इसे भी पढ़ेंः पटना साहिब में रविशंकर प्रसाद और अंशुल में कड़ा मुकाबला, चार को होगा भाग्य का फैसला - VOTING IN PATNA SAHIB

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पटना: बिहार में सातवें चरण का चुनाव संपन्न हो गया. बक्सर, सासाराम, आरा, नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, काराकाट और जहानाबाद लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ. इस चरण में कुल 50.56% वोटिंग हुई, जो पिछले चुनावों की तुलना में थोड़ी कम है. 2009 में इस चरण में 40.70% मतदान हुआ था, जबकि 2014 में यह प्रतिशत बढ़कर 51.46% और 2019 में 51.49% हो गया था. इस बार 50.56% वोटिंग हुई, जो पिछले चुनाव के मुकाबले थोड़ी कम है.

प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्करः वोटिंग ट्रेंड के नजरिए से देखें तो 2009 से 2019 तक लगातार वृद्धि देखने को मिली थी, लेकिन इस बार कुछ गिरावट आई है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के चुनाव में प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. इस चुनाव में कई प्रमुख उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है, जिनमें रामकृपाल यादव, मीसा भारती, सुधाकर सिंह, उपेंद्र कुशवाहा, पवन सिंह और आरके सिंह शामिल हैं. इनके भाग्य का फैसला अब ईवीएम में बंद हो चुका है.

"कई सीटों पर एनडीए के लिए मुश्किल है. काराकाट और बक्सर में त्रिकोणात्मक मुकाबला है. वहां कोई भी जीत सकता है. जहानाबाद लोकसभा सीट जदयू के लिए परेशानी का सबब बन सकती है. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर कड़ी लड़ाई है. सासाराम, आरा, नालंदा और पटना साहिब की राहें आसान दिख रही है."- अरुण कुमार, राजनीतिक विश्लेषक.

आरा लोकसभा सीटः इस सीट की गिनती हॉट सीट में होती है. यहां से केंद्रीय मंत्री आरके सिंह भाजपा के उम्मीदवार हैं. जीत की हैट्रिक पर हैं. आरके सिंह का मुकाबला भाकपा माले के सुदामा प्रसाद के साथ है. 2009 के लोकसभा चुनाव में आरा लोकसभा सीट पर 35.78 प्रतिशत मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया था. 2014 में 48.96% मतदाताओं ने मत दिया. 2019 में आंकड़ा बढ़कर 51.72% हो गया. 2024 के चुनाव में 48.50 प्रतिशत मतदान हुआ. 2019 के मुकाबले 2024 में लगभग 3:25 प्रतिशत मतदान कम हुआ.

क्या है जातीय समीकरणः आरा लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे अधिक आबादी यादव मतदाताओं की है. इनकी संख्या 3 लाख 50 हजार के करीब है. आरा लोकसभा सीट पर अति पिछड़ा वोटरों की संख्या 5 लाख से ऊपर है. जिले में 1 लाख 15 हजार आबादी भूमिहार वोटरों की है. राजपूत वोटरों की संख्या 3 लाख के आसपास है. पिछले लोकसभा चुनाव में आरके सिंह बड़े मतों के अंतर से जीत हासिल की थी.

बक्सर लोकसभा सीटः भाजपा की पारंपरिक सीट मानी जाती है. इस बार भाजपा मुश्किल में दिख रही है. बक्सर लोकसभा सीट पर 2009 में 46.51 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2014 लोकसभा चुनाव में 54.4% वोटिंग हुई. 2019 में 53.95% मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया था. 2024 में 53.70 प्रतिशत वोटिंग हुई. पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा ने भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी है. भाजपा ने जहां मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल की ओर से पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह मैदान में हैं. ददन पहलवान भी चुनाव मैदान में हैं.

बक्सर में जातीय समीकरणः जातिगत समीकरण की अगर बात करें तो बक्सर की सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 4 लाख से ज्यादा है. इसके बाद यादव वोटरों की संख्या 3.5 लाख के करीब है. राजपूत मतदाताओं की संख्या 3 लाख है. भूमिहार मतदाता करीब 2.5 लाख हैं. बक्सर लोकसभा क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी 1.5 लाख के करीब है. इसके अलावा यहां पर कुर्मी, कुशवाहा, वैश्य, दलित वोटरों की आबादी अच्छी खासी है.

काराकाट लोकसभा सीटः यहां से अबतक तीनों चुनाव में एनडीए ने जीत हासिल की है. इस बार एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के लिए राह आसान नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा का मुकाबला भाकपा माले के राजा राम सिंह से है. काराकाट लोक सभा क्षेत्र से 2009 के चुनाव में 41.61% वोटिंग हुई थी. 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 50% हो गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 49.05 प्रतिशत ही वोटिंग हुई. 2024 में मतदान प्रतिशत बढ़कर 53.40 हो गया. 2019 के मुकाबले 2024 में करीब 4% अधिक वोटिंग हुई.

काराकाट का जातीय समीकरणः 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए काराकाट लोकसभा सीट को कुशवाहा जाति का किला कहा जा सकता है, क्योंकि इस सीट पर 2009 से हुए अभी तक तीन चुनावों में कुशवाहा जाति के ही प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. उपेंद्र कुशवाहा और राजा राम सिंह कुशवाहा जाति से आते हैं. पवन सिंह राजपूत जाति से आते हैं. यहां सबसे अधिक करीब 3 लाख यादव मतदाता हैं. वहीं कोइरी-कुर्मी मिलाकर करीब ढाई लाख वोटर्स हैं. तीसरे नंबर पर राजपूत मतदाता हैं जिनकी संख्या करीब दो लाख है. इसके अलावा 75 हजार ब्राह्मण और करीब 50 हजार भूमिहार वोटर्स भी हैं.

सासाराम लोकसभा सीटः भाजपा ने पूर्व सांसद और आईएएस अधिकारी रह चुके मुनीलाल राम के पुत्र शिवेश राम को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के टिकट पर मनोज राम चुनाव लड़ रहे हैं. 2009 में 42.70% वोटिंग हुई थी. 2014 में 52.67% मतदान हुआ. 2019 में 54.52% वोटिंग हुई. 2024 में 51 प्रतिशत मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया. 2019 के मुकाबले 2024 में 3.50 प्रतिशत कम वोटिंग हुई. सासाराम में 22 फीसदी सवर्ण मतदाता हैं. 15 फीसदी कुशवाहा और 20 फीसदी दलित मतदाता हैं.

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट: यह सीट भी हॉट सीट मानी जा रही है. लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं. भाजपा से रामकृपाल यादव दो बार चुनाव जीत चुके हैं. 2009 में 41.5% वोटिंग हुई थी. 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 56.37% हो गया. 2019 में 55.97% मतदान हुआ. 2024 में आंकड़ा बढ़कर 56.91% हो गया. रामकृपाल यादव के लिए जहां प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार किया, वहीं मीसा भारती के लिए राहुल गांधी ने वोट मांगे. यहां तकरीबन 5 लाख यादव और तीन लाख भूमिहार मतदाता हैं. चार लाख कुर्मी वोटर हैं. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में ज्यादातर ग्रामीण आबादी है.

पटना साहिब लोकसभा सीटः यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भाजपा के उम्मीदवार हैं. इनका मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के बेटे अंशुल अविजीत से है. 2009 के लोकसभा चुनाव में 33.64% मतदान हुआ था. 2014 में आंकड़ा बढ़कर 45.33% हो गया. 2019 में भी मतदान प्रतिशत बढ़ा. कुल 45.77 प्रतिशत मतदान हुआ. 2024 के लोकसभा चुनाव में 45% वोटिंग हुई. पटना साहिब लोकसभा सीट को कायस्थ बहुल माना जाता है. लगभग 5 लाख कायस्थ वोटर हैं. यहां से फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा दो बार सांसद रह चुके हैं.

जहानाबाद लोकसभा सीटः यहां से कुल 17 उम्मीदवार हैं. मुख्य मुकाबला चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी और सुरेंद्र यादव के बीच है. बसपा उम्मीदवार अरुण कुमार तीसरा कोण बनाने की कोशिश कर रहे हैं. 2009 में यहां 46.93% वोटिंग हुई थी. 2014 में आंकड़ा बढ़कर 57.02% हो गया. 2019 में वोटिंग प्रतिशत 51.75 रहा. 2024 के लोकसभा चुनाव में 51.20 प्रतिशत वोटिंग हुई. जहानाबाद लोकसभा सीट को यादव बहुल माना जाता है. दूसरे स्थान पर भूमिहार वोटर हैं. यहां पिछड़ा-अतिपिछड़ा-36 प्रतिशत, यादव- 17 प्रतिशत, भूमिहार-15 प्रतिशत, दलित-महादलित-21 प्रतिशत जबकि मुस्लिम-11 प्रतिशत हैं.

नालंदा लोकसभा सीटः नीतीश कुमार का सबसे मजबूत किला माना जाता है. एक वक्त था जब नीतीश कुमार नालंदा चुनाव प्रचार के लिए नहीं जाते थे और उनके प्रत्याशी चुनाव जीत जाते थे. इस बार जदयू ने फिर से कौशलेंद्र कुमार को उम्मीदवार बनाया है. उनका मुकाबला भाकपा माले के उम्मीदवार संदीप सौरभ से है. 2009 में 33.05% वोटिंग हुई थी. 2014 में 47.22% मतदान हुआ. 2019 में 48.76% लोगों ने मत डाले. 2024 में 46.50% वोटिंग हुई. जातिगत समीकरण की बात करें तो कुर्मी मतदाता-25 प्रतिशत, यादव-20 प्रतिशत, अल्पसंख्यक-9 प्रतिशत, कुशवाहा-10 प्रतिशत, अतिपिछड़ा-13 प्रतिशत, सवर्ण-9 प्रतिशत, महादलित-13 प्रतिशत तो अन्य जातियां 1 प्रतिशत है.

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