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जब होटल घूमने आया जंगल का 'राजा', दहाड़ सुनकर लोगों की थमी सांसें, इस तरह किया गया रेस्क्यू - Pench Tiger Reserve Tiger Rescue

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 21, 2024, 9:37 AM IST

सिवनी के रिसॉर्ट में घुसे पेंच टाइगर रिजर्व के एक बाघ शावक का मंगलवार का रेस्क्यू किया गया है. रेस्क्यू के बाद बाघ शावक को टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया गया है. रिसॉर्ट में बाघ होने की सूचना पर लोगों में हड़कंप मच गया था.

PENCH TIGER RESERVE TIGER RESCUE
रिसोर्ट में आराम फरमा रहा था जंगल का राजा (ETV Bharat)

सिवनी: जंगल से निकलकर एक रिसॉर्ट में आराम फरमा रहे वनराज ने जैसे ही दहाड़ मारी तो लोगों के होश ठिकाने लग गए. दरअसल पेंच टाइगर रिजर्व से निकलकर एक बाघ सोमवार रात को रिसॉर्ट में घुस गया, जिससे लोगों की सांसे थम गई. सूचना पाकर रेस्क्यू टीम ने अगले दिन यानी मंगलवार को बाघ को सुरक्षित कब्जे में लेकर टाइगर रिजर्व में छोड़ा है. जिसके बाद लोगों ने राहत की सास ली.

रिसोर्ट में आराम फरमा रहा था जंगल का राजा (ETV Bharat)

रिसोर्ट में आराम फरमा रहा था बाघ
पेंच टाइगर रिजर्व के उप संचालक रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि ''पेंच टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र के टुरिया गांव के एक खेत में लगभग 16 से 18 महीने का बाघ का शावक रात को खेतों में देखा गया था. मानव आबादी के बहुत करीब होने के कारण रात से ही पेंच टाइगर रिजर्व का गश्ती दल उस पर निगरानी रख रहा था, लेकिन रात करीब 3 बजे यह बाघ अंधेरे में गश्ती दलों के निगाह से ओझल हो गया. इसके बाद गश्ती दलों ने सुबह होते से ही फिर इस बाघ शावक की तलाश शुरू की तो देखा कि यह बाघ शावक टुरिया ग्राम के समीप रिसॉर्ट में मिला.''

Pench Tiger Reserve Tiger Rescue
बाघ को हाथियों की मदद से किया गया ट्रेंकुलाइज (ETV Bharat)

बाघ को हाथियों की मदद से किया गया ट्रेंकुलाइज
मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक शुभरंजन सेन को इसकी स्थिति के बारे में अवगत कराया गया. फिर इसके रेस्क्यू करने की अनुमति मिली. इसके बाद पेंच टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अखिलेश मिश्रा ने हाथियों की मदद से बाघ के पास जाकर उसे ट्रेंकुलाइज किया और रेस्क्यू कर खवासा के वन्यप्राणी चिकित्सा केंद्र लेकर आए. रेस्क्यू के दौरान जबलपुर वेटरनरी कॉलेज के वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ सेंटर की डॉ. निधि राजपूत ने बाघ के खून व अन्य नमूने जांच के लिए ले लिए.

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100 से ज्यादा हुई बाघों की संख्या
पेंच टाइगर रिजर्व में इस समय 100 से ज्यादा बाघ हैं. एक निश्चित समय के बाद बाघ अपनी टेरिटरी बना लेते हैं, लेकिन इलाका छोटा होने की वजह से अधिकतर बाघ रहवासी इलाकों में पहुंच जाते हैं. सरकार की ओर से भी इसके लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि बाघों को विचरण के लिए पर्याप्त जगह मिले सके. इसलिए करमाझिरी अभ्यारण को भी अनुमति दी गई है ताकि पेंच टाइगर रिजर्व पार्क का दायरा बढ़ाया जा सके.

सिवनी: जंगल से निकलकर एक रिसॉर्ट में आराम फरमा रहे वनराज ने जैसे ही दहाड़ मारी तो लोगों के होश ठिकाने लग गए. दरअसल पेंच टाइगर रिजर्व से निकलकर एक बाघ सोमवार रात को रिसॉर्ट में घुस गया, जिससे लोगों की सांसे थम गई. सूचना पाकर रेस्क्यू टीम ने अगले दिन यानी मंगलवार को बाघ को सुरक्षित कब्जे में लेकर टाइगर रिजर्व में छोड़ा है. जिसके बाद लोगों ने राहत की सास ली.

रिसोर्ट में आराम फरमा रहा था जंगल का राजा (ETV Bharat)

रिसोर्ट में आराम फरमा रहा था बाघ
पेंच टाइगर रिजर्व के उप संचालक रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि ''पेंच टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र के टुरिया गांव के एक खेत में लगभग 16 से 18 महीने का बाघ का शावक रात को खेतों में देखा गया था. मानव आबादी के बहुत करीब होने के कारण रात से ही पेंच टाइगर रिजर्व का गश्ती दल उस पर निगरानी रख रहा था, लेकिन रात करीब 3 बजे यह बाघ अंधेरे में गश्ती दलों के निगाह से ओझल हो गया. इसके बाद गश्ती दलों ने सुबह होते से ही फिर इस बाघ शावक की तलाश शुरू की तो देखा कि यह बाघ शावक टुरिया ग्राम के समीप रिसॉर्ट में मिला.''

Pench Tiger Reserve Tiger Rescue
बाघ को हाथियों की मदद से किया गया ट्रेंकुलाइज (ETV Bharat)

बाघ को हाथियों की मदद से किया गया ट्रेंकुलाइज
मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक शुभरंजन सेन को इसकी स्थिति के बारे में अवगत कराया गया. फिर इसके रेस्क्यू करने की अनुमति मिली. इसके बाद पेंच टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अखिलेश मिश्रा ने हाथियों की मदद से बाघ के पास जाकर उसे ट्रेंकुलाइज किया और रेस्क्यू कर खवासा के वन्यप्राणी चिकित्सा केंद्र लेकर आए. रेस्क्यू के दौरान जबलपुर वेटरनरी कॉलेज के वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ सेंटर की डॉ. निधि राजपूत ने बाघ के खून व अन्य नमूने जांच के लिए ले लिए.

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100 से ज्यादा हुई बाघों की संख्या
पेंच टाइगर रिजर्व में इस समय 100 से ज्यादा बाघ हैं. एक निश्चित समय के बाद बाघ अपनी टेरिटरी बना लेते हैं, लेकिन इलाका छोटा होने की वजह से अधिकतर बाघ रहवासी इलाकों में पहुंच जाते हैं. सरकार की ओर से भी इसके लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि बाघों को विचरण के लिए पर्याप्त जगह मिले सके. इसलिए करमाझिरी अभ्यारण को भी अनुमति दी गई है ताकि पेंच टाइगर रिजर्व पार्क का दायरा बढ़ाया जा सके.

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