नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली की निचली अदालत के एक जज की सीनियरिटी से जुड़े दावे को खारिज करते हुए प्रमोशन करने की उनकी मांग को खारिज कर दिया है. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने महिला जज हिमानी मल्होत्रा की याचिका में कोई भी मेरिट न पाते हुए उसे खारिज कर दिया.
हाईकोर्ट ने कहा कि 2006 में फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए नियुक्त किए गए 17 जज याचिकाकर्ता से सीनियर ही माने जाएंगे क्योंकि याचिकाकर्ता की नियुक्ति 2008 में हुई थी. हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता का मकसद अपने आप की सीनियरिटी ऊपर ले जाना नहीं है बल्कि उन सात जजों को नीचे लाना है जिन्हें उचित तरीके से याचिकाकर्ता से पहले प्रमोट किया गया और उन्हें दस साल से अधिक के करियर को देखते हुए फैसला लिया गया.
हाईकोर्ट ने कहा कि सेवा में सभी पद चाहे स्थायी हों या अस्थायी वे आमतौर पर कैडर के पद ही होते हैं. कोर्ट ने कहा कि उन जजों को जिन्हें प्रमोट किया गया है उन्हें सीनियरिटी लिस्ट से बाहर रखना उनके साथ भेदभाव और गैरकानूनी होगा, जिन जजों को प्रमोट किया गया था उनकी नियुक्ति अस्थायी पद के लिए हुई थी और उन्हें समान स्थिति वाले लोगों के साथ अलग-अलग पैमाना नहीं अपनाया जा सकता है.
याचिकाकर्ता जज हिमानी मल्होत्रा ने हाईकोर्ट की सीनियरिटी कमेटी के 8 अक्टूबर 2022 और 16 दिसंबर 2022 के फैसले को चुनौती दी थी जिसके जरिये याचिकाकर्ता की सीनियरिटी तय की गई थी. याचिकाकर्ता ने सीनियरिटी कमेटी के 25 मई 2016 के आदेश को लागू करने और उसके मुताबिक सेलेक्शन ग्रेड, सुपर टाइम स्केल और प्रमोशन देने की मांग की थी.
याचिकाकर्ता का कहना था कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में तदर्थ आधार पर जिन जजों को नियुक्त किया गया था उनकी नियुक्ति कभी भी दिल्ली हायर जुडिशियल सर्विस कैडर में नियमित पदों पर नहीं हुई थी और इन नियुक्तियों में प्रमोशन नहीं होता है.