रामनगर: उत्तराखंड अपने वनों के लिए विश्व में प्रसिद्ध है. इन वनों में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ पौधे होते हैं. इनमें कई पेड़ पौधे औषधीय गुण भी रखते हैं. इन्हीं में से एक पेड़ है पारिजात जिसे हरसिंगार भी कहते हैं. आयुर्वेदाचार्य इसे बहुगुण वाला औषधीय पेड़ मानते हैं. हमारे रामनगर संवाददाता कैलाश सुयाल ने पारिजात के गुणों और उपयोगों को लेकर वरिष्ठ आयुर्वेदिक डॉक्टर जीएस कोटिया से खास बातचीत की.
बहुपयोगी है पारिजात का पेड़: आज हम आपको उत्तराखंड में पाए जाने वाले पारिजात या हरसिंगार के नाम से जाने जाने वाले पेड़ के चमत्कारी गुण बताने जा रहे हैं. ऐसा कहानियां बताई जाती हैं कि यह पेड़ परियों के देश से आया था. इसलिए इसको पारिजात भी कहा जाता है.
आयुर्वेदिक डॉक्टर पारिजात को कई बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण औषधि मानते हैं. वरिष्ठ आयुर्वेदिक डॉक्टर जीएस कोटिया कहते हैं कि पारिजात या हरसिंगार के पेड़ से बने तत्व गठिया, खांसी, जुकाम और बुखार ठीक करता है.
![medicinal uses of Parijat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04-12-2024/uknai01vis10035_03122024090857_0312f_1733197137_108.jpg)
पारिजात से आयुर्वेदिक दवाइयां बनती हैं: वरिष्ठ आयुर्वेदिक डॉक्टर जीएस कोटिया बताते हैं कि पारिजात एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. वो इसके सेवन की विधि भी बताते हैं. पारिजात के पौधे का वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है. अंग्रेज़ी में इसे नाइट जैस्मिन कहते हैं. पारिजात के फूल सफेद रंग के होते हैं और बहुत सुगंधित होते हैं.
![medicinal uses of Parijat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04-12-2024/uknai01vis10035_03122024090857_0312f_1733197137_600.jpg)
पारिजात का धार्मिक महत्व: औषधीय महत्व के साथ पारिजात का धार्मिक उपयोग भी है. पारिजात के फूलों का इस्तेमाल भगवान शंकर, विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा में किया जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि पारिजात की सुगंध से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. इसकी खास बात ये है कि इसके पेड़ पर रात में फूल आते हैं और सुबह होने तक गिर जाते हैं.
कौन हैं डॉक्टर जीएस कोटिया? डॉ जीएस कोटिया आयुर्वेद के वरिष्ठ चिकित्सक हैं. इन्हें मरीजों की सेवा करते हुए करीब 40 वरिष हो चुके हैं. डॉ जीएस कोटिया ने स्नातक तक नैनीताल में पढ़ाई की. उसके बाद इंडियन मेडिसिन बोर्ड लालबाग लखनऊ से 1984 में BAMS (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery) डिग्री हासिल की. BAMS की डिग्री के बाद उन्होंने धामपुर में सेल्फ प्रैक्टिस की. धामपुर में प्रैक्टिस के बाद 1990 से श्रीरामा म्युनिसिपल औषधालय रामनगर में प्रैक्टिस की. सन् 2000 से पतंजलि रामनगर में प्रैक्टिस कर रहे हैं.
![medicinal uses of Parijat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04-12-2024/uknai01vis10035_03122024090857_0312f_1733197137_390.jpg)
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