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रेल हड़ताल के 50 साल होने पर मुंगेर ERMU कार्यालय में संगोष्ठी, रेलवे कर्मियों ने केंद्र सरकार पर बोला हमला - 50 YEARS OF RAILWAY STRIKE - 50 YEARS OF RAILWAY STRIKE

SEMINAR IN MUNGER ERMU OFFICE: मुंगेर के ईआरएमयू कार्यालय में रेल हड़ताल के 50 साल पूरे होने पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान वीर शहीदों को नमन किया गया. इस दौरान रेलवे पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार पर हमला किया.

मुंगेर में रेल हड़ताल के शहीदों को किया गया नमन
मुंगेर में रेल हड़ताल के शहीदों को किया गया नमन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 9, 2024, 7:32 AM IST

मुंगेर: ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन कारखाना शाखा जमालपुर के कार्यालय में 8 मई 1974 में हुए रेल हड़ताल के 50 वर्ष पूरा होने पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान 1974 के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शहीद बेदी पर माल्यार्पण और दो मिनट का मौन धारण कर नमन किया गया. हड़ताल में शामिल ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन के पूर्व शाखा पदाधिकारी विष्णु देव प्रसाद यादव, सखीचंद मंडल, भोलानाथ यादव ने संयुक्त रूप से संगोष्ठी को संबोधित किया और केंद्र सरकार पर हमला बोला.

रेल हड़ताल के 50 साल: इस दौरान उन्होंने हड़ताल में घटित आंखों देखी घटना को पूरे विस्तार से कारखाना कर्मियों के सामने रखा. उन्होंने बताया कि 'उस समय की केंद्र सरकार द्वारा हड़ताली कर्मचारियों पर विभिन्न तरह का दबाव दिया गया, जिसके कारण चार रेलकर्मी पुलिस की गोली से शहीद हो गए. उनमें कॉमरेड बीआर मालगी (सेंट्रल रेलवे), कॉमरेड श्रीपाल दिवेदी (उत्तर रेलवे), कॉमरेड भाववारिया (पश्चिम रेलवे) और कॉमरेड एस रामामस्वामी (दक्षिण रेलवे) थे. वहीं हजारों लोग नौकरी से बर्खास्त कर दिए गए.'

20 दिनों तक चला था हड़ताल: बताया कि यह हड़ताल पूरे देश में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के नेतृत्व में तत्कालीन महामंत्री कामरेड प्रिया गुप्ता और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के अध्यक्ष जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में 20 दिनों तक चली थी. जबकि जमालपुर कारखाने में यह हड़ताल 22 दिनों तक जारी रही. मजदूर एकता के इस मंजर ने पूरे देश का राजनीतिक फिजा ही बदल कर रख दिया, जिसके कारण आम चुनाव में सत्ताधारी दल को हर का सामना करना पड़ा.

"जब 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार बनी एवं उस समय के रेल मंत्री मधु दंडवते बने. जिन्होंने मजदूरों की प्रमुख मांग उत्पादकता आधारित बोनस को स्वीकार कर लिया एवं लाखों बर्खास्त रेल कर्मियों को कार्य पर वापस बुला लिया गया. आज रेल में जितने भी संगठन काम कर रहे हैं. उसमें ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन, ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन अपना एक अलग स्थान रखती है और रेल कर्मियों के लिए इस संगठन के लोगों ने अपनी शहादत दी है. आज जो भी सुविधा हम प्राप्त कर रहे हैं. यह हमारे शहीदों की शहादत के द्वारा ही मिली है."- विष्णु देव प्रसाद यादव, ईआरएमयू, पूर्व शाखा पदाधिकारी

'रेलवे कर्मियों पर कुठाराघात कर रही सरकार': पूर्व शाखा पदाधिकारी ने कहा कि वर्तमान सरकार कर्मचारियों को मिल रही सुविधाओं पर भी कुठाराघात कर रही है. इसके खिलाफ वर्तमान समय में भी सभी रेल कर्मियों को एकजुट होकर अपने अधिकार की लड़ाई लड़नी होगा. इस बैठक में शाखा के भुतपूर्व नेतागण, कारखाना से लगभग 400 से ज्यादा रेलकर्मियों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम का नेतृत्व शाखा अध्यक्ष दीपक कुमार सिन्हा ने किया. वहीं मुख्य अतिथि केंद्रीय उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें: रेल यात्रियों के अच्छी खबर, जियो फेसिंग दूरी का प्रतिबंध हटा, अनारक्षित और प्लेटफार्म टिकट लेना हुआ आसान - uts mobile app

मुंगेर: ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन कारखाना शाखा जमालपुर के कार्यालय में 8 मई 1974 में हुए रेल हड़ताल के 50 वर्ष पूरा होने पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान 1974 के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शहीद बेदी पर माल्यार्पण और दो मिनट का मौन धारण कर नमन किया गया. हड़ताल में शामिल ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन के पूर्व शाखा पदाधिकारी विष्णु देव प्रसाद यादव, सखीचंद मंडल, भोलानाथ यादव ने संयुक्त रूप से संगोष्ठी को संबोधित किया और केंद्र सरकार पर हमला बोला.

रेल हड़ताल के 50 साल: इस दौरान उन्होंने हड़ताल में घटित आंखों देखी घटना को पूरे विस्तार से कारखाना कर्मियों के सामने रखा. उन्होंने बताया कि 'उस समय की केंद्र सरकार द्वारा हड़ताली कर्मचारियों पर विभिन्न तरह का दबाव दिया गया, जिसके कारण चार रेलकर्मी पुलिस की गोली से शहीद हो गए. उनमें कॉमरेड बीआर मालगी (सेंट्रल रेलवे), कॉमरेड श्रीपाल दिवेदी (उत्तर रेलवे), कॉमरेड भाववारिया (पश्चिम रेलवे) और कॉमरेड एस रामामस्वामी (दक्षिण रेलवे) थे. वहीं हजारों लोग नौकरी से बर्खास्त कर दिए गए.'

20 दिनों तक चला था हड़ताल: बताया कि यह हड़ताल पूरे देश में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के नेतृत्व में तत्कालीन महामंत्री कामरेड प्रिया गुप्ता और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के अध्यक्ष जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में 20 दिनों तक चली थी. जबकि जमालपुर कारखाने में यह हड़ताल 22 दिनों तक जारी रही. मजदूर एकता के इस मंजर ने पूरे देश का राजनीतिक फिजा ही बदल कर रख दिया, जिसके कारण आम चुनाव में सत्ताधारी दल को हर का सामना करना पड़ा.

"जब 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार बनी एवं उस समय के रेल मंत्री मधु दंडवते बने. जिन्होंने मजदूरों की प्रमुख मांग उत्पादकता आधारित बोनस को स्वीकार कर लिया एवं लाखों बर्खास्त रेल कर्मियों को कार्य पर वापस बुला लिया गया. आज रेल में जितने भी संगठन काम कर रहे हैं. उसमें ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन, ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन अपना एक अलग स्थान रखती है और रेल कर्मियों के लिए इस संगठन के लोगों ने अपनी शहादत दी है. आज जो भी सुविधा हम प्राप्त कर रहे हैं. यह हमारे शहीदों की शहादत के द्वारा ही मिली है."- विष्णु देव प्रसाद यादव, ईआरएमयू, पूर्व शाखा पदाधिकारी

'रेलवे कर्मियों पर कुठाराघात कर रही सरकार': पूर्व शाखा पदाधिकारी ने कहा कि वर्तमान सरकार कर्मचारियों को मिल रही सुविधाओं पर भी कुठाराघात कर रही है. इसके खिलाफ वर्तमान समय में भी सभी रेल कर्मियों को एकजुट होकर अपने अधिकार की लड़ाई लड़नी होगा. इस बैठक में शाखा के भुतपूर्व नेतागण, कारखाना से लगभग 400 से ज्यादा रेलकर्मियों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम का नेतृत्व शाखा अध्यक्ष दीपक कुमार सिन्हा ने किया. वहीं मुख्य अतिथि केंद्रीय उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव मौजूद रहे.

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