सीहोर: इन दिनों मंडियों में भरपूर सब्जियां आ रही हैं, लेकिन उनके दामों ने किसानों को चिंता में डाल दिया है. सब्जियों की पर्याप्त उपलब्धता के चलते उनके दाम एकदम गिर गए हैं. ऐसे में किसानों को लागत निकालना तो दूर सब्जी को मंडी तक लाने में लगे खर्च को भी निकाल पाना मुश्किल हो गया है. इससे परेशान कई किसान अपनी सब्जियों को मवेशियों को खिला दे रहे हैं. किसानों की मांग है उनका बहुत नुकसान हो रहा है. सरकार उनकी मदद करे और उन्हें सब्जियों में भी एमएसपी देने का प्रावधान करे.
किसानों के लिए लागत निकालना भी हुआ मुश्किल
सिहोर सब्जी मंडी में अपनी सब्जी बेचने के लिए आए ग्राम बड़ी मुंगावली के किसान सुरेंद्र कुशवाहा ने बताया कि "मंडी में व्यापारी बेहद कम दाम पर सब्जी खरीद रहे हैं, जिससे लागत निकालना मुश्किल हो गया है. धनिया 2 रुपए, पत्तागोभी 5 रुपए , टमाटर 5 रुपए, बैंगन 5 रुपए, पालक 3 रुपए, सेम 5 रुपए, मटर 10 रुपए, गाजर 20 रुपए, मेथी 3 रुपए किलो के भाव से बिक रही है."
सुरेंद्र कुशवाहा ने बताया कि "गोभी का बीज 80 हजार से 1 लाख 20 हजार रुपए तक में लाकर हम बुआई करते हैं. लगभग डेढ़ महीने तक टमाटर के पौधे की देखभाल करनी होती है, तब जाकर उसमें टमाटर आना शुरू होता है, लेकिन यहां हमें हमारी लागत भी नहीं मिल पा रही है. महंगे बीज के अलावा खाद, सिंचाई और कीटनाशक दवाओं पर भी भारी खर्च आता है."
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किसानों ने सब्जियों पर की समर्थन मूल्य की मांग
जमोनिया गांव निवासी किसान भगवान सिंह कहते हैं "बीज बहुत महंगा है, लेकिन उपज के बाद दाम एकदम गिर जाता है. जिससे हमें सब्जी की खेती में घाटा हो रहा है. मंडियों में दाम कम होने के कारण कई किसान अपनी उपज को मंडी तक लेकर जा ही नहीं रहे हैं. किसान अपनी उपज को मवेशियों को खिलाने को मजबूर हैं, क्योंकि सब्जी की लागत तो छोड़िए, सब्जी को मंडी तक ले जाने में जो खर्च होता है उसकी भी भरपाई नहीं हो पाती. इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि अन्य फसलों की तरह सब्जियों पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देना चाहिए."