सीहोर। जिले में जंगलों का रकबा लगातार सिमट रहा है. जंगल की जमीन को हथियाने के लिए लोग हमेशा प्रयास में रहते हैं. जिसके चलते लोग जंगलों के मुहाने तक पहुंच रहे हैं. इस कारण से जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों पर हिंसक जानवरों के हमले भी बढ़े हैं. गांवों तक बाघ और तेंदुए पहुंचने लगे हैं, जो कभी लोगों को घायल कर रहे हैं, तो कभी पालतू पशुओं को शिकार बना रहे हैं.
हिंसक जानवरों ने बढ़ाई वन विभाग की टेंशन
उल्लेखनीय है कि वन क्षेत्रों में बाघ और तेंदुए की संख्या में इजाफा हो रहा है. बाघों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है, तो वहीं तेंदुओं की संख्या 350 के आसपास पहुंच गई है. हिंसक पशुओं का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. जंगलों के आसपास करीब 50 वन ग्राम हैं, जहां बड़ी आबादी निवास करती है. खेतों पर बने मकानों में कई किसान परिवार रहने लगे हैं. बढ़ते हिंसक जानवरों के कुनबे के कारण वन विभाग की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं.
पांच साल में 4 की मौत, 115 घायल
वन विभाग के आंकड़ों की बात करें तो बीते पांच सालों में जिले में हिंसक पशु टाइगर और तेंदुओं के हमलों में 4 लोगों की जान गई है. जबकि 115 लोग घायल हुए हैं. इसमें 2019-2020 में घायलों की संख्या 15, वर्ष 2020-21 में घायलों की संख्या 48, वर्ष 2021-22 में 8 लोगों को घायल किया है. तो वहीं 2022-2023 में 23 लोगों को घायल कर दिया है. 2023-24 में हिंसक जानवरों ने अभी तक 21 लोगों को घायल किया है. मृतकों के परिजनों को क्षतिपूर्ति राशि 16 लाख रूपए बांटी गई है. जबकि घायलों को करीब 10 लाख रुपये राशि प्रदान की गई है. इन पांच सालों में 800 पशु हानि के प्रकरण सामने आए हैं. इसमें पशुपालकों को 80 लाख रूपए वितरित की गई है.
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इनका कहना है
इस संबंध में वन विभाग के डीएफओ एमएस डाबर ने बताया कि ''जिले के 7 वन परिक्षेत्रों में 15 कैमरे लगे हुए हैं. ग्रामीणों को शामिल कर सुरक्षा समिति बनाई गई है. वन कर्मी और सुरक्षा समिति के सदस्य गश्ती करते हैं और कैमरे पर हिंसक पशुओं के मूवमेंट की लोगों को जानकारी दी जाती है.''