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गरीबी नहीं रोक सकी हौसले, पैरा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले कपिल परमार के पैरेंट्स से सुनें संघर्ष की दास्तां - Struggle Story Kapil Parmar - STRUGGLE STORY KAPIL PARMAR

सीहोर के रहने वाले कपिल परमार ने इतिहास रच दिया है. कपिल ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर साबित कर दिया कि प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती. कपिल बेहद गरीब परिवार से हैं. उनके पैरेंट्स ने बेटे को जूडो की प्रैक्टिस कराने के लिए कभी हम्माली की तो कभी मजदूरी की.

Struggle Story Kapil Parmar
कपिल परमार ने रचा इतिहास (ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 6, 2024, 1:22 PM IST

सीहोर। पेरिस पैरा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले कपिल परमार की सफलता के पीछे उनके माता-पिता का कड़ा संघर्ष है. कपिल की मेहनत-लगन और माता-पिता का संघर्ष आखिरकार कामयाब रहा. बता दें कि मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले कपिल के पिता बेहद गरीब हैं. फिलहाल वह अपने परिवार का जीवनयापन दूध के धंधे से कर रहे हैं. 4 भाई-बहनों पर कपिल चौथे नंबर पर हैं.

पैरा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले कपिल परमार के परिजन खुश (ETV Bharat)

कपिल को करंट लगने से आंखों की रोशनी गायब

गौरतलब है कि 12 साल की उम्र में करंट लगने के कारण कपिल की आंखें 80 प्रतिशत तक खराब हो गई थीं. जिंदगी के इस अंधरे में कपिल ने उम्मीद की रोशनी ढूंढी ओर जूडो में हाथ आजमाना शुरू किया. एक तरफ गरीबी और दूसरी आंखों से परेशान कपिल के पिता ने हिम्मत नहीं हारी. कपिल को हरसंभव सुविधा देने के लिए लिए पिता ने कुछ दिन तक टैक्सी चलाई. इसके बाद चाय की दुकान खोल ली. इस दौरान कपिल के पिता ने हम्माली करने के अलावा ईंट-भट्ठों पर भी मजदूरी की. कपिल की मां भी कभी कंडे पाथकर तो कभी अन्य स्रोतों से हल्की-फुल्की कमाई करती रही.

मेडल जीतने वाले कपिल देश के पहले पैरा जूडो खिलाड़ी

सीहोर जिले के कपिल ने पुरुष 60 किग्रा के मुकाबले में ब्राजील के एलिएलटन डि ओलिवेरा को 10-0 से हराकर कांस्य पदक पर कब्जा किया. भारत ने इस तरह पेरिस पैरालंपिक में अपने पदकों की संख्या 25 पहुंचा दी है. भारत के पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया. वह भारत के पहले पैरा जूडो के खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पैरालंपिक में कोई पदक अपने नाम किया है.

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एशियाई खेलों में जीता था रजत पदक

कपिल परमार ने 2022 एशियाई खेलों में इसी वर्ग में रजत पदक जीता था. उन्होंने क्वार्टर फाइनल में वेनेजुएला के मार्को डेनिस ब्लांको को 10-0 से शिकस्त दी थी. लेकिन सेमीफाइनल में ईरान के एस बनिताबा खोर्रम अबादी से पराजित हो गए. कपिल परमार को दोनों मुकाबलों में पीला कार्ड भी मिला. कपिल भले ही स्वर्ण नहीं ला सके, लेकिन कांस्य पदक जीतने में सफल रहे.

सीहोर। पेरिस पैरा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले कपिल परमार की सफलता के पीछे उनके माता-पिता का कड़ा संघर्ष है. कपिल की मेहनत-लगन और माता-पिता का संघर्ष आखिरकार कामयाब रहा. बता दें कि मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले कपिल के पिता बेहद गरीब हैं. फिलहाल वह अपने परिवार का जीवनयापन दूध के धंधे से कर रहे हैं. 4 भाई-बहनों पर कपिल चौथे नंबर पर हैं.

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कपिल को करंट लगने से आंखों की रोशनी गायब

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सीहोर जिले के कपिल ने पुरुष 60 किग्रा के मुकाबले में ब्राजील के एलिएलटन डि ओलिवेरा को 10-0 से हराकर कांस्य पदक पर कब्जा किया. भारत ने इस तरह पेरिस पैरालंपिक में अपने पदकों की संख्या 25 पहुंचा दी है. भारत के पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया. वह भारत के पहले पैरा जूडो के खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पैरालंपिक में कोई पदक अपने नाम किया है.

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कपिल परमार ने 2022 एशियाई खेलों में इसी वर्ग में रजत पदक जीता था. उन्होंने क्वार्टर फाइनल में वेनेजुएला के मार्को डेनिस ब्लांको को 10-0 से शिकस्त दी थी. लेकिन सेमीफाइनल में ईरान के एस बनिताबा खोर्रम अबादी से पराजित हो गए. कपिल परमार को दोनों मुकाबलों में पीला कार्ड भी मिला. कपिल भले ही स्वर्ण नहीं ला सके, लेकिन कांस्य पदक जीतने में सफल रहे.

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