रांचीः राज्य सरकार के लिए अंत्योदय लाभुकों को रियायती दर पर चीनी उपलब्ध कराना गले की हड्डी बन गई है. हालत यह है कि कई महीनों से लाभुकों को चीनी की मिठास नहीं मिली है. इसके पीछे की वजह सरकार के नियम अनुरूप आपूर्तिकर्ता का अभाव माना जा रहा है.
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कामकाज की जानकारी देते हुए विभागीय सचिव अमिताभ कौशल ने भी माना कि लाभुकों को ससमय चीनी उपलब्ध कराने में परेशानी हो रही है. इसके पीछे की वजह टेंडर में सप्लायर का उपलब्ध न होने के साथ साथ ब्लॉक स्तर पर सप्लायर के द्वारा उपलब्ध होने वाली चीनी की कीमत के अधिक होने की वजह से सप्लायर को होने वाला घाटा माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार इसके समाधान के लिए विचार कर रही है और जल्द ही इस संदर्भ में समुचित निर्णय लिए जाएंगे.
गौरतलब है कि चीनी वितरण योजना भारत सरकार से 18 रुपए 50 पैसे प्रति किलोग्राम अनुदान से लोगों को मिलना है. इस योजना के अंतर्गत अंत्योदय परिवारों को हर महीने 1 किलोग्राम चीनी अनुदानित दर पर मिलना है. राज्य में इस योजना से 8 लाख 93 हजार 026 परिवार आच्छादित हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री सपोर्ट योजना के तहत मिले लाभुकों की संख्या और पूछे गए सवाल का जवाब देने से कतराते हुए अमिताभ कौशल ने कहा कि विभाग के स्तर पर यह विचार किया जा रहा है कि आखिर किस वजह से यह योजना जिसके तहत दोपहिया वाहनों के लिए पेट्रोल क्रय हेतु अनुदान राशन कार्डधारी को प्रतिमाह 250 रुपए दिया जाता था कारगर साबित नहीं हो सकी.
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग चला रही है कई योजनाः खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कार्यों की सराहना करते हुए विभागीय सचिव अमिताभ कौशल ने कहा कि खाद्य सुरक्षा को लेकर विभाग गंभीरता के साथ कार्य कर रहा है. राज्य की एक बड़ी आबादी को खाद्य सुरक्षा विभाग की विभिन्न योजनाओं से आच्छादित किया गया है. झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 5 किलोग्राम प्रति लाभुक हर महीने चावल उपलब्ध कराया जा रहा है. इस योजना के अंतर्गत शुरू में 15 लाख लोगों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 20 लाख कर दिया गया है. इस योजना अंतर्गत अब तक 33 लाख 16 हजार 489 लाभुकों आच्छादित हुए हैं. उन्होंने कहा कि जन वितरण प्रणाली दुकानों में डिजिटल मशीन की व्यवस्था की गई है, जिसमें अब तक 25282 में से 23944 दुकानों में अधिष्ठापन हो चुका है.