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Lok Sabha Election 2024: झारखंड की सभी एसटी आरक्षित सीट चाहता है झामुमो, I.N.D.I.A ब्लॉक में कहां फंसा है पेंच? - Seat Sharing Formula in Jharkhand

Seat Sharing Formula of India Alliance. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए झारखंड में बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. हालांकि इंडिया ब्लॉक की तरफ से अभी तक सीट शेयरिंग फॉर्मूला भी तय नहीं हो पाया है. माना जा रहा है कि झामुमो और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर पेंच अभी भी फंसा हुआ है.

Seat Sharing Formula in Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 7, 2024, 7:15 PM IST

Updated : Mar 7, 2024, 8:12 PM IST

झामुमो और कांग्रेस नेता का बयान

रांची: भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में से 11 लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है, लेकिन झारखंड में इंडिया ब्लॉक के दो मुख्य बड़े घटक झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच दो-दो बैठकों के बाद भी वह ये बताने की स्थिति में नहीं है कि राज्य में लोकसभा के लिए कम से कम इन दो दलों में सीट शेयरिंग का फार्मूला क्या होगा.

सीट बंटवारे पर असमंजस बरकरार

14 लोकसभा सीट के लिए सहयोगी दलों में सीटों का बंटवारा किस फॉर्मूले के तहत होगा इस पर असमंजस बरकरार है. सूत्रों का कहना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा न सिर्फ 2019 की तुलना में इस बार अपनी सीट चाहता है बल्कि उसकी नजर राज्य की अनुसूचित जनजाति आरक्षित सभी पांच लोकसभा सीट पर भी है. पिछले 2019 लोकसभा चुनाव में ST रिजर्व पांच लोकसभा क्षेत्र में से महागठबंधन के अंदर दो लोकसभा सीट दुमका और राजमहल झामुमो को और तीन अन्य लोकसभा क्षेत्र सिंहभूम, खूंटी और लोहरदगा कांग्रेस के खाते में गयी थी.

झामुमो की आदिवासी आरक्षित सीटों पर दावेदारी

ST आरक्षित लोकसभा सीटों में से राजमहल से झामुमो प्रत्याशी विजय हांसदा की और सिंहभूम लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार गीता कोड़ा की जीत हुई थी. सवाल उठता है कि अब ऐसा क्या हो गया कि झामुमो न सिर्फ आदिवासी आरक्षित लोकसभा सीटों पर अपनी दावेदारी जता रहा है बल्कि सीटें भी बढ़ाकर मांग रहा है? इस सवाल के जवाब में झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव मनोज पांडेय कहते हैं कि आज की राजनीतिक परिस्थितियां 2019 से बिल्कुल अलग है. युवा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जिस तरह से भाजपा के इशारे पर केंद्रीय एजेंसियां प्रताड़ित कर रही है, उसके खिलाफ राज्यभर के आदिवासियों और मूलवासियों में एक स्वभाविक गुस्सा भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ है. इसके साथ साथ आज की तारीख में लोहरदगा लोकसभा सीट पिछले 03 बार से कांग्रेस हार रही है, इसलिए वहां एक बदलाव के साथ झामुमो का उम्मीदवार उतार कर देखना चाहिए.

झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि इसी तरह सिंहभूम लोकसभा सीट से कांग्रेस की सिटिंग सांसद गीता कोड़ा भाजपा में जा चुकी हैं, उन्हें वहां से टिकट भी मिल चुका है, इसके साथ-साथ सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली 06 विधानसभा में से 05 में झामुमो का विधायक है. इसलिए पार्टी वहां से इस बार अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है. रही बात खूंटी लोकसभा सीट बेहद कम मतों से 2019 में कांग्रेस हार गई थी. वहां भी जनजातीय समाज की अच्छी खासी संख्या है और जिस तरह से हेमन्त सोरेन की लोकप्रियता बढ़ी है ऐसे में झामुमो वह सीट जीत सकता है.

मनोज पांडेय ने कहा कि अगर विनिंग फैक्टर को देखते हुए कुछ सीटों की अदला-बदली भी करनी पड़े तो वह की जा सकती है, क्योंकि लक्ष्य झामुमो-कांग्रेस और अन्य सहयोगी इंडिया ब्लॉक का एक ही हैं. केंद्र से भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकना.

झारखंड में एसटी आरक्षित लोकसभा सीट

  1. खूंटी
  2. सिंहभूम
  3. राजमहल
  4. दुमका
  5. लोहरदगा

इनमें से 2019 लोकसभा आमचुनाव में राजमहल और दुमका लोकसभा सीट झामुमो को जबकि तीन अन्य सिंहभूम, लोहरदगा और खूंटी सीट महागठबंधन में कांग्रेस के कोटे में गयी थी. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित एकमात्र लोकसभा सीट पलामू राजद को मिला था.

झारखंड में सामान्य लोकसभा सीट

  1. रांची लोकसभा सीट
  2. हजारीबाग लोकसभा सीट
  3. धनबाद लोकसभा सीट
  4. चतरा लोकसभा सीट
  5. गोड्डा लोकसभा सीट
  6. कोडरमा लोकसभा सीट
  7. जमशेदपुर लोकसभा सीट
  8. गिरिडीह लोकसभा सीट


जल्द सीट शेयरिंग फार्मूले की हो जाएगी घोषणा- कांग्रेस

झामुमो द्वारा राज्य की सभी STआरक्षित लोकसभा सीट पर उम्मीदवार खड़ा करने की इच्छा को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सोनाल शांति उर्फ रिंकू तिवारी से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हम सबका लक्ष्य एक है तो राह भी एक होगा. किसी को कोई चिंता करने की जरूरत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग का फार्मूला तय हो गया है, जल्द ही लोकसभा के लिए सीट के साथ उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी जाएगी. ऐसे में कांग्रेस के प्रवक्ता भले ही मीडिया से ऑल इज वेल की बात कहें, लेकिन कहीं न कहीं सहयोगी दलों के सीट को लेकर सामंजस्य नहीं बनने की वजह से अभी तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हो सकी है.

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झामुमो और कांग्रेस नेता का बयान

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सीट बंटवारे पर असमंजस बरकरार

14 लोकसभा सीट के लिए सहयोगी दलों में सीटों का बंटवारा किस फॉर्मूले के तहत होगा इस पर असमंजस बरकरार है. सूत्रों का कहना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा न सिर्फ 2019 की तुलना में इस बार अपनी सीट चाहता है बल्कि उसकी नजर राज्य की अनुसूचित जनजाति आरक्षित सभी पांच लोकसभा सीट पर भी है. पिछले 2019 लोकसभा चुनाव में ST रिजर्व पांच लोकसभा क्षेत्र में से महागठबंधन के अंदर दो लोकसभा सीट दुमका और राजमहल झामुमो को और तीन अन्य लोकसभा क्षेत्र सिंहभूम, खूंटी और लोहरदगा कांग्रेस के खाते में गयी थी.

झामुमो की आदिवासी आरक्षित सीटों पर दावेदारी

ST आरक्षित लोकसभा सीटों में से राजमहल से झामुमो प्रत्याशी विजय हांसदा की और सिंहभूम लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार गीता कोड़ा की जीत हुई थी. सवाल उठता है कि अब ऐसा क्या हो गया कि झामुमो न सिर्फ आदिवासी आरक्षित लोकसभा सीटों पर अपनी दावेदारी जता रहा है बल्कि सीटें भी बढ़ाकर मांग रहा है? इस सवाल के जवाब में झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव मनोज पांडेय कहते हैं कि आज की राजनीतिक परिस्थितियां 2019 से बिल्कुल अलग है. युवा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जिस तरह से भाजपा के इशारे पर केंद्रीय एजेंसियां प्रताड़ित कर रही है, उसके खिलाफ राज्यभर के आदिवासियों और मूलवासियों में एक स्वभाविक गुस्सा भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ है. इसके साथ साथ आज की तारीख में लोहरदगा लोकसभा सीट पिछले 03 बार से कांग्रेस हार रही है, इसलिए वहां एक बदलाव के साथ झामुमो का उम्मीदवार उतार कर देखना चाहिए.

झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि इसी तरह सिंहभूम लोकसभा सीट से कांग्रेस की सिटिंग सांसद गीता कोड़ा भाजपा में जा चुकी हैं, उन्हें वहां से टिकट भी मिल चुका है, इसके साथ-साथ सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली 06 विधानसभा में से 05 में झामुमो का विधायक है. इसलिए पार्टी वहां से इस बार अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है. रही बात खूंटी लोकसभा सीट बेहद कम मतों से 2019 में कांग्रेस हार गई थी. वहां भी जनजातीय समाज की अच्छी खासी संख्या है और जिस तरह से हेमन्त सोरेन की लोकप्रियता बढ़ी है ऐसे में झामुमो वह सीट जीत सकता है.

मनोज पांडेय ने कहा कि अगर विनिंग फैक्टर को देखते हुए कुछ सीटों की अदला-बदली भी करनी पड़े तो वह की जा सकती है, क्योंकि लक्ष्य झामुमो-कांग्रेस और अन्य सहयोगी इंडिया ब्लॉक का एक ही हैं. केंद्र से भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकना.

झारखंड में एसटी आरक्षित लोकसभा सीट

  1. खूंटी
  2. सिंहभूम
  3. राजमहल
  4. दुमका
  5. लोहरदगा

इनमें से 2019 लोकसभा आमचुनाव में राजमहल और दुमका लोकसभा सीट झामुमो को जबकि तीन अन्य सिंहभूम, लोहरदगा और खूंटी सीट महागठबंधन में कांग्रेस के कोटे में गयी थी. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित एकमात्र लोकसभा सीट पलामू राजद को मिला था.

झारखंड में सामान्य लोकसभा सीट

  1. रांची लोकसभा सीट
  2. हजारीबाग लोकसभा सीट
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  4. चतरा लोकसभा सीट
  5. गोड्डा लोकसभा सीट
  6. कोडरमा लोकसभा सीट
  7. जमशेदपुर लोकसभा सीट
  8. गिरिडीह लोकसभा सीट


जल्द सीट शेयरिंग फार्मूले की हो जाएगी घोषणा- कांग्रेस

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Last Updated : Mar 7, 2024, 8:12 PM IST
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