जयपुर: प्रदेश में स्क्रब टाइफस बीमारी ने अभी तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और इस बीमारी से पॉजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बीते साल यानी वर्ष 2024 में इस बीमारी के 3000 से अधिक मामले सामने आए जो पिछले 12 सालों में सबसे अधिक है. माइट या पिस्सू के काटने से फैलने वाले स्क्रब टाइफस के बढ़ते मामले चिकित्सा विभाग के लिए लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं.
मामले को लेकर पब्लिक डायरेक्टर हेल्थ डॉक्टर रवि प्रकाश माथुर का कहना है कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम को लेकर विभाग लगातार काम कर रहा है और बुधवार को भी रिव्यू बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
वहीं, साल 2024 में इस बीमारी के कुल 3454 मरीज मिले हैं. उदयपुर, जयपुर, अलवर, राजसमंद, दौसा, कोटा, झालावाड़ समेत 30 से ज्यादा जिले इस बीमारी की चपेट में हैं. चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जयपुर और उदयपुर में इस बीमारी के सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए हैं. प्रदेश के कुछ ऐसे जिले हैं जहां लगातार स्क्रब टाइफस अपने पैर पसार रहा है. आंकड़ों की बात करें तो अभी तक...
इन जिलों में मौत : स्क्रब टाइफस से मौत के मामलों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अभी तक प्रदेश में इस बीमारी से कुल 10 मरीजों की मौत हो चुकी है. सर्वाधिक मौतें राजधानी जयपुर में दर्ज की गई हैं. जयपुर में इस बीमारी से 6 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि अलवर में दो, भरतपुर और सवाईमाधोपुर में 1-1 मरीजों की मौत दर्ज की गई है.
डेंगू जैसे प्लेटलेट्स गिरती हैं : चिकित्सकों का कहना है कि स्क्रब टाइफस बैक्टीरियल या रिकेटसियल डिजीज है, जो पिस्सू के काटने के बाद सुसुगेमोसी बैक्टीरिया से फैलती है. इसमें भी डेंगू की तरह प्लेटलेट्स गिरती हैं. सिरदर्द, ठंड के साथ तेज बुखार, निमोनिया, प्लेटलेट्स कम होना तथा माइट के काटे हुए स्थान पर काले रंग का निशान बन जाता है. गंभीर स्थिति होने पर आर्गन फेलीयर पर मौत हो सकती है. पिस्सू के काटने के 10 दिन बाद शरीर पर लक्षण दिखाई देती है. बीते कुछ वर्षों की बात करें तो स्क्रब टाइफस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ों की बात करें तो...