कानपुर: चने की खेती करने वाले देश भर के किसानों के सामने सालों से एक बड़ा सवाल था. फसल पककर तैयार होती है और जब उसकी कटाई का समय आता है तो पूरी फसल में 20 से 25% भाग कटाई के दौरान बेकार चला जाता था. दरअसल, जो किसान चने की फसल उगाते हैं, उसकी फलियां जमीन से लगभग 15 सेंटीमीटर ऊपर होती है. ऐसे में जब किसान फसलों की कटाई करते थे तो फलियां भी कट जाती थीं.
किसानों ने जब अपनी इस व्यथा को भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को बताया तो संस्थान के वैज्ञानिकों ने तय किया कि वह चने की एक ऐसी प्रजाति तैयार करेंगे, जिसकी फली जब तैयार होगी तो वह नीचे की सतह से लगभग 20 सेंटीमीटर ऊपर होगी. ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना था कि बंपर पैदावार के साथ किसान जब फसलों की कटाई करेंगे, तो उनकी फली कहीं से भी बर्बाद नहीं होगी.
कई साल तक चला शोध, तैयार हो गई चने की नई प्रजाति कुंदन : इस पूरे मामले पर भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर जीप दीक्षित ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने कई साल तक शोध कार्य करने के बाद चने की एक नई प्रजाति विकसित कर दी है. जिसे कुंदन नाम दिया गया है. कुंदन की खासियत यह है, कि जब उसकी फसल उगेंगी, तो सात से 20 सेंटीमीटर ऊपर उनकी फली मिलेगी. ऐसे में उनकी पूरी की पूरी फसल आसानी से कट जाएगी और किसानों को किसी तरह से नुकसान भी नहीं होगा.
अगले साल से किसानों के पास पहुंचेंगे कुंदन के बीज : आईपीआर के निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने बताया, कि अगले साल से किसानों के पास कुंदन के बीज पहुंच जाएंगे. उन्होंने बताया, कि चने की फसल की खेती मुख्य रूप से सूबे के अलावा पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में होती है. ऐसे में जहां-जहां से किसानों को बीज की मांग आएगी तो वह संस्थान की ओर से बहुत जल्द ही वहां आपूर्ति की जाएगी. डॉ.जीपी दीक्षित ने यह भी कहा कि किसान अब चने की फसल की कटाई भी मशीन से कर सकेंगे. ऐसे में उन्हें किसी तरीके की समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ेगा.
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