पटना : छठ बिहार में लोक आस्था का महापर्व है और बिहार की सांस्कृतिक पहचान छठ से जुड़ी हुई है. छठ पर्व का समय जैसे नजदीक आने लगता है, चारों तरफ का माहौल भक्तिमय हो जाता है. यह एक ऐसा पर्व है जिसको लेकर घर परिवार में बच्चों के बीच भी इसका एक अलग उल्लास देखने को मिलता है. छठ का समय नजदीक आता है तो जो छठी मैया के गीत बजते हैं वह एक अलग ही भाव से जोड़ देते हैं. बच्चों से लेकर बूढ़े की जुबान तक छठ के गीत होते हैं.
विद्यालय में बच्चे गा रहे छठ गीत : यही नजारा राजधानी पटना के शेखपुरा स्थित पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय इवनिंग शिफ्ट स्कूल में देखने को मिल रहा है. यहां संगीत के गुरु जी स्कूल के विभिन्न कक्षाओं के बच्चों को छठी मैया के गीत सीखा रहे हैं. बच्चे भी हारमोनियम, नाल, झाल जैसे वाद्य यंत्रों के साथ छठी मैया के लोकगीतों की प्रैक्टिस करते नजर आ रहे हैं. बच्चों में भी इसको लेकर एक अलग उत्साह देखने को मिल रहा है और पूरे भक्ति के साथ बच्चे झूम कर छठी मैया के गीत सीखते दिख रहे हैं.
'तेजी से छठ गीत सीख रहे बच्चे' : विद्यालय में बच्चों को संगीत सीखा रहे गुरुजी प्रदीप कुमार ने बताया कि छठ के लोकगीतों को वह बच्चों को सुना रहे हैं और बहुत तेजी में बच्चे यह सीख भी रहे हैं. ऐसा इसलिए कि यह सभी पारंपरिक गीत है. छठ पर्व के समय बच्चों के घरों में भी यह गीतें गाईं जाती हैं. 'कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए' के साथ-साथ 'पटना के घाट पर उगेलें सूरज देव' जैसे गीत की बच्चों प्रेक्टिस कर रहे हैं और काफी खूबसूरती से यह बच्चे पूरी गीत गा रहे हैं.
''छठ आता है तो इसका मतलब है कि गांव में जाइए खूब मजे कीजिए. दिन भर छठ के गीत बजते रहते हैं. दूर सूदूर रहने वाले परिवार के सदस्य एकजुट होते हैं. छठ पर्व को लेकर तैयारी पहले से शुरू हो जाती है जिसमें काफी शुद्धता से गेहूं धोया जाता है. खरना के दिन खीर बनाने के लिए शुद्धता से चावल धोकर खीर पकाया जाता है. खरना के दिन शाम में जो गुड़ का खीर बनता है उसका स्वाद कहीं नहीं मिलता है. चाहे आप साल में कभी भी खीर बनाकर खा लें लेकिन खरना के दिन के खीर का स्वाद अद्भुत होता है.''- वैष्णवी, स्कूल की छात्रा
'प्रकृति से जोड़ती है छठ' : विद्यालय के प्रिंसिपल पीके सिंह ने कहा कि बच्चों को छठ पर्व के बारे में जानकारी देने के लिए और छठ महापर्व की विशेषताओं से अवगत कराने के लिए बच्चों के बीच में यह तैयारी कराई जा रही है. छठ पर्व के पहले विद्यालय में मॉर्निंग असेंबली के समय बच्चों को छठ पर्व की विशेषता बताई जाती है कि किस प्रकार छठ पर्यावरण को समर्पित पर्व है, जिसमें साफ सफाई का विशेष महत्व होता है. नदी तालाबों की साफ सफाई होती है.
''इस पर्व में यह संदेश दिया जाता है कि जल ही जीवन है और जल की शुद्धता और साफ सफाई बेहद महत्वपूर्ण है. इसलिए हम अपने नदियों को तालाबों को गंदा नहीं करें. छठ पर्व के समय सभी अपने घर के आसपास साफ सफाई करते हैं, और इस पर्व में बच्चों को भी शिक्षा दी जाती है कि अपने आसपास साफ सफाई रखें क्योंकि साफ सफाई बेहतर स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है.''- पीके सिंह, स्कूल के प्रिंसिपल
'छठ बिहार की सांस्कृतिक पहचान' : छात्रा स्वीटी कुमारी ने बताया कि आमतौर पर सभी उगते हुए सूर्य की पूजा करते हैं लेकिन छठ एक ऐसा पर्व है जिसमें हम सभी डूबते हुए सूर्य की भी आराधना करते हैं. छठ पर्व में सभी घाट तक की रास्ते की निस्वार्थ भाव से साफ सफाई करते हैं. छठ पर्व में परिवार के सभी सदस्य एकजुट होते हैं. छठ बिहार की सांस्कृतिक पहचान है और अब विदेशों में भी छठ पर्व होने लगे हैं.
''जब छठ नजदीक आता है तो हम लोगों के दिल में काफी खुशी होती है. हम खुशी से गदगद हो जाते हैं. छठ में हम सभी समूह में एक साथ जुटकर पर्व मनाते हैं, सभी छठ का घाट तैयार करते हैं और छठ के गीत गाते हैं.''- आकर्षण राज, स्कूल के छात्र
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