रांची: झारखंड दौरे पर आयी राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक की. इस मौके पर आयोग के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्या समेत आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा, निरुपम चकमा और जाटोतु हुसैन ने राज्य के मुख्य सचिव समेत अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा की.
झारखंड सरकार लागू करें पेसा कानून
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि आने वाले समय में राज्य सरकार झारखंड में पेसा कानून लागू करें. आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को ट्रांसफर हो रही है. झारखंड में इस प्रकार का अन्याय नहीं होना चाहिए. गांव के गांव खाली हो गए हैं. उन्होंने कहा कि देश के 10 राज्यों में पेसा कानून लागू है, लेकिन झारखंड में नहीं. यहां पेसा कानून के तहत नियम भी नहीं बनाए गए हैं.
झारखंड में ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी भी नहीं
इस मौके पर आयोग के सदस्य निरुपम चकमा ने कहा कि झारखंड में पांचवीं अनुसूची लागू है, जबकि नार्थ-ईस्ट में छठी अनूसूची लागू है. झारखंड में ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी भी नहीं है. आदिवासी जमीन से संबंधित समस्या के समाधान के लिए ट्रांसफर ऑफ लैंड कानून बनाया जा सकता है.संविधान में आदिवासियों के संरक्षण के लिए पांचवीं व छठी अनुसूची है.
राज्य में आदिवासी-मूलवासी समाज खतरे मेंः डॉ. आशा
वहीं आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने कहा कि राज्य में आदिवासी-मूलवासी समाज खतरे में हैं. शिक्षा के क्षेत्र में प्राइमरी, मिडिल, हाई स्कूल और कॉलेज में कितनी संख्या में आदिवासी छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं राज्य सरकार के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है. हॉस्टल में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. रांची स्थित दीपशिखा हॉस्टल में बेड की संख्या सौ है, जबकि वहां 300 से अधिक छात्राएं रह रही हैं. इसी प्रकार साहिबगंज और गोड्डा में हॉस्टल में बेड की संख्या 250 है, जबकि वहां 700 से अधिक छात्र रह रहे हैं. झारखंड में आदिवासियों के लिए अब तक किसी भी योजना की प्लानिंग नहीं हुई है. राज्य सरकार आदिवासियों से संबंधित नई व्यवस्था और नया प्राक्कलन तैयार करें, तभी आगे की पढ़ाई और उच्च शिक्षा की व्यवस्था हो पाएगी.
संथाल में बंगलादेशी घुसपैठ का उठा मुद्दा
इस मौके पर आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने कहा कि साहिबगंज स्थित बड़हरवा संताली उत्तरी व दक्षिणी, तेतरिया, बरहेट में बांग्लादेशी घुसपैठिए घर कर गए हैं. आदिवासियों की बेटी से शादी कर रहे हैं, उनकी रोटी खा रहे हैं और उन्हीं की जमीन भी ले रहे हैं. पाकुड़ में भी कई गांव विलोपित हो चुके हैं. वहां के संताली कहां गए यह किसी को पता नहीं है. लोहरदगा, गुमला और सिमडेगा में भी ऐसी ही स्थिति है. दान पत्र के माध्यम से आदिवासियों की जमीन ली जा रही है. पांच हजार रुपये के लिए कागजात 50 हजार रुपये के बनाए जा रहे हैं. ऋण लेने वाले जिंदगी भर ब्याज ही चुकाते रहेंगे. बीडीओ, सीओ व स्थानीय थाना की पुलिस दोनों हाथ से जमीन लूट रहे हैं.
आदिवासियों की जमीन बचाने के दिए निर्देश
आयोग की ओर से अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि आदिवासियों की जमीन को बचाइए. आदिवासियों का संरक्षण कीजिए. इस बैठक में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सचिव अलका तिवारी, झारखंड राज्य सरकार के मुख्य सचिव एल ख्यांगते, एनआरएचएम डायरेक्टर कृपानंद झा, अपर सचिव सुनील कुमार, पंचायती राज सचिव विनय कुमार चौबे, वंदना दादेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता सहित वरीय अधिकारी और एनसीएसटी के अधिकारी उपस्थित रहे.
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