लखनऊ : मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में हो रहे घोटाले को रोकने के लिए समाज कल्याण विभाग में नए अमेंडमेंट की तैयारी है. समाज कल्याण विभाग में सामूहिक विवाह योजना में गोलमाल न हो सके, इसके लिए इस योजना में पड़ोसियों की गवाही के बाद ही आवेदन स्वीकार करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. पड़ोसियों की गवाही इस बात की होगी कि आवेदनकर्ता का कोई विवाह तो नहीं हुआ है. योजना के तहत गृहस्थी के लिए दिए जाने वाले ₹10000 भी अब सीधे आवेदनकर्ता के खाते में ही भेजे जाने की तैयारी है. मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत कई जिलों में लगातार गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रहीं हैं.जिसके बाद समाज कल्याण विभाग में इस योजना में अब बदलाव करने जा रहा है.
वर और वधू पक्ष से पांच-पांच लोगों की गवाही का प्रस्ताव : विभाग की ओर से तैयार नए प्रस्ताव में कहा गया है कि विभिन्न जिलों से मिल रही शिकायतों के बाद यह तय हुआ है, कि इस बार वर और वधू पक्ष के आस पड़ोस के पांच-पांच लोगों की गवाही कराई जाएगी. जो यह प्रमाणित करेंगे कि वर या वधू का विवाह हुआ है या नहीं. इसमें गवाहों का नाम, उनका पता, मोबाइल नंबर आदि सब दर्ज करना होगा. गवाही के बाद ही इस योजना के लिए आवेदन पर आगे की प्रक्रिया पूरी होगी.
ज्ञात हो की समाज कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना पर 51000 खर्च होते हैं. इसमें 35000 रुपये वधू के खाते में जमा होते हैं. जबकि ₹10000 में गृहस्थी का सामान दिया जाता है. वहीं, ₹6000 आयोजन के मध्य में खर्च होते हैं. अब गृहस्थी के सामान की जगह ₹10000 वधू के खाते में भेजने की लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है.
अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है, तो अब वधू के खाते में सीधे 45000 रुपये भेजे जाएंगे. समाज कल्याण विभाग आचार संहिता खत्म होने के बाद इस योजना पर निर्णय लगा है. साल 2023- 24 में पूरे प्रदेश में 1,14,000 जोड़ों का विवाह का लक्ष्य रखा गया था. साथ ही 500 करोड़ से अधिक का बजट इस योजना के लिए निर्धारित किया गया था. पिछले वर्ष 105000 से अधिक जोड़ों का विवाह मुख्यमंत्री विवाह योजना के तहत हुआ था.
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झांसी-बलिया-महाराजगंज में मिली थी गड़बड़ी की शिकायत : पिछले वित्तीय वर्ष प्रदेश में झांसी, बलिया और महाराजगंज जिलों में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में गड़बड़ियों की शिकायत मिली थी. बुंदेलखंड महाविद्यालय में आयोजित समारोह में 96 जोड़े शामिल हुए थे. इसमें एक दूल्हे ने खुद मांग भर ली, कई जोड़ों के साथ फेरे नहीं लिए. वहीं झांसी के पॉलिटेक्निक कॉलेज में दूल्हे के ना आने पर दुल्हन की शादी जीजा से कराई गई थी.
जबकि, बलिया के मनियर ब्लॉक में सुल्तानपुर ककरघट्टा खास और मनिकापुर में 8 आपात्रों को योजना का लाभ देने का मामला पकड़ में आया था. इस पूरे मामले में एक अधिकारी को निलंबित करने के साथ 9 से अधिक एफआईआर दर्ज कराई गई थी. जबकि महाराजगंज के लक्ष्मीपुर ब्लॉक में दूल्हे के स्थान पर भाई ने बहन से शादी कर ली थी. यह मामला काफी चर्चा में रहा था.
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत अब हर आवेदन की जांच सख्ती से कराई जा रही है. आस पड़ोस की गवाही के बाद ही अब आवेदन स्वीकार किया जाएगा. प्रस्ताव में गवाहों को यह पुष्टि करनी होगी कि आवेदन करने वाले का विवाह नहीं हुआ है. इसके अलावा गृहस्थी के लिए मिलने वाला पैसा भी अब सीधे वधू के बैंक खाते में ही भेजे जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
योजना के नाम पर इस तरह हो रहा फर्जीवाड़ा: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में फर्जीवाड़े का एक मामला मार्च 2024 में आया था. यूपी के कानपुर जिले का सामूहिक विवाह समारोह महाराजपुर में हुआ था. यहां योजना का लाभ पाने के लिए महिला ने दोबारा शादी की और उपहार लेकर घर चली गई. अगले दिन जब मामले की जांच हुई तो पोल खुल गई. इसके बाद योजना के तहत दी जाने वाली 35 हजार की राशि जारी करने पर रोक लगा दी गई.
भाई-बहन के करा दिए फेरे: यूपी के महाराजगंज में भी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में फर्जीवाड़ा सामने आया था. यहां अनुदान राशि और गृहस्थी के सामान के लिए बिचौलियों ने भाई-बहन के सात फेरे करा दिए थे. जब ये मामला सामने आया तो बीडीओ ने सामान को वापस मंगवा लिया.