कानपुर: नगर निगम की ओर से स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट संबंधी कार्य में अफसरों का दावा था कि मानकों के अनुरूप किया गया और गुणवत्ता का भी पूरा ध्यान रखा गया है. लेकिन मगर अब स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर ही नगर निगम में करोड़ों रुपए के घपले की बात सामने आ गई है. पार्षद मनीष मिश्रा की ओर से शासन में शिकायत की गई है. अंकुश समिति के माध्यम से यह बात रखी गई कि नगर निगम ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जो काम हुए उनमें करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है. पार्षद की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए विशेष सचिव अरुण प्रकाश ने कानपुर के कमिश्नर से पूरी रिपोर्ट मंगा ली है.
कानपुर के कमिश्नर से कहा गया है कि रिपोर्ट में किसी भी तरह की हीला हवाली नहीं होनी चाहिए. जहां-जहां जो, जो शिकायतें हुई हैं उनके संदर्भ में क्या काम कराए गए और कितनी उन कामों में लागत आई इसका पूरा ब्योरा और जिक्र होना चाहिए. स्मार्ट सिटी कामों में करोड़ों रुपये के घोटाला की जानकारी मिलते ही नगर निगम में हड़कंप की स्थिति है.
भ्रष्टाचार को लेकर भी पहले उठते रहे हैं सवाल: शहर में नगर निगम की ओर से स्मार्ट सिटी के जो काम कराए गए उनको लेकर कई बार पार्षदों ने जहां नगर निगम सदन में हंगामा किया. वहीं इन कामों में भ्रष्टाचार को लेकर भी तमाम सवाल उठाते रहे हैं. कई पार्षदों ने तो यहां तक कहा कि नगर निगम की ओर से जो स्मार्ट सिटी प्रभारी है, उन्होंने ही अधिकतर जो काम है वह अपनी मर्जी से कराये. कामों में मानकों को ध्यान में नहीं रखा गया. फूल बाग स्थित स्मार्ट सिटी पार्किंग का काम इसकी एक प्रमुख बानगी भी है, जिसमें करोड़ों रुपए खर्च हुए मगर अभी तक पार्किंग शुरू नहीं हो सकी. इसी तरीके से गंगा में स्किमर मशीन से सफाई को लेकर भी करोड़ों रुपये का ब्योरा तैयार किया गया. लेकिन गंगा में सफाई के नाम पर कोई काम नहीं किया गया.
कई अफसरों पर गिर सकती गाज: नगर निगम मुख्यालय के अंदर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि शासन ने जो पत्र नगर निगम में स्मार्ट सिटी कामों में करोड़ों रुपए के घोटाला संबंधी जारी किया है, उसमें जांच के बाद कई अफसरों पर गाज गिर सकती है. दरअसल लगातार स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर नगर निगम के अफसर शासन के राडार पर पहले भी रहे हैं. अब माना यह जा रहा है कि कमिश्नर की जो रिपोर्ट होगी उसे रिपोर्ट के आधार पर कई अफसरों को सस्पेंड किया जा सकता है.