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यूपी वन विभाग में घोटाला; 'बाइक-स्कूटर' से पौधे ढोए, खोदे गड्ढे, वाउचर जेसीबी-ट्रैक्टर के लगाए - UP Forest Department Scam

वन विभाग ने पौधरोपण के लिए जेसीबी और ट्रैक्टर की जगह स्कूटर, बाइक और ई-रिक्शा से पौधों को ढुलाई करवाई. इनसे ही पौधों के लिए गड्ढे खोदे गए और जमीन समतल की गई, जबकि वाउचर जेसीबी और ट्रैक्टर के लगा दिए गए.

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यूपी वन विभाग में घोटाला. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 2, 2024, 3:11 PM IST

लखनऊ: यूपी विधानसभा के मानसून सत्र में विधानमंडल के दोनों सदनों में कैग रिपोर्ट पेश की गई. इसमें वन विभाग के घोटाले का राजफाश हुआ है. विभाग के अफसरों ने पौधे लगाने के लिए अपनी जेब को जमकर सींचा है. वन विभाग में पौधरोपण को लेकर कैग रिपोर्ट ने वन विभाग की परतें उधेड़ी हैं.

वन विभाग ने पौधरोपण के लिए जेसीबी और ट्रैक्टर की जगह स्कूटर, बाइक और ई-रिक्शा से पौधों को ढुलाई करवाई. इनसे ही पौधों के लिए गड्ढे खोदे गए और जमीन समतल की गई, जबकि वाउचर जेसीबी और ट्रैक्टर के लगा दिए गए.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की जांच में ये भी सामने आया है कि जिन वाहन नंबरों को जेसीबी और ट्रैक्टर का बताया गया, वे स्कूटर, बाइक और ई-रिक्शा के थे. रिपोर्ट में पौधरोपण पर भारी खर्च करने के बावजूद फॉरेस्ट कवर कम होने की बात भी है.

रिपोर्ट में 2015-16 से 2021- 22 तक के काम का ऑडिट किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम्य विकास विभाग ने बिना कार्ययोजना के ही पौधरोपण किया. 22 जिलों की जांच की गई तो इसमें पाया गया कि 20 जिलों में कार्ययोजना तैयार नहीं की.

वहीं, प्रदेश के 14 वन प्रभागों ने मृत पौधों के एवज में जो पौधे लगाए, उनको अगले साल के लक्ष्य में शामिल कर अपनी उपलब्धि में दर्शा दिया और अपनी शान में चार चांद लगा दिए.

ये खामियां भी आईं सामने

  • 19% से 39% पौधरोपण का बजट मार्च में खर्च दिखाया गया, जबकि पौधरोपण का सही समय जुलाई और अगस्त होता है.
  • 28.45% मात्र ग्राम्य विकास विभाग के लगाए पौधों का सर्वाइवल रेट रहा, जबकि छह साल में 88.77 करोड़ रुपये रखरखाव पर खर्च किए गए.
  • छह साल में कैंपा योजना से मिली 1,179 करोड़ राशि, लेकिन खर्च ही नहीं की गई.
  • 16 प्रभागों की 149 नर्सरियों में 1.25 करोड़ पौधे क्षमता से अधिक उगाए गए.

उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना से जब वन विभाग के इस घोटाले को लेकर बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से फिलहाल इनकार कर दिया.

ये भी पढ़ेंः यूपी पुलिस के सामने थर्राता था माफिया अतीक अहमद; कई बार की थी पैंट गंदी, BP हुआ हाई

लखनऊ: यूपी विधानसभा के मानसून सत्र में विधानमंडल के दोनों सदनों में कैग रिपोर्ट पेश की गई. इसमें वन विभाग के घोटाले का राजफाश हुआ है. विभाग के अफसरों ने पौधे लगाने के लिए अपनी जेब को जमकर सींचा है. वन विभाग में पौधरोपण को लेकर कैग रिपोर्ट ने वन विभाग की परतें उधेड़ी हैं.

वन विभाग ने पौधरोपण के लिए जेसीबी और ट्रैक्टर की जगह स्कूटर, बाइक और ई-रिक्शा से पौधों को ढुलाई करवाई. इनसे ही पौधों के लिए गड्ढे खोदे गए और जमीन समतल की गई, जबकि वाउचर जेसीबी और ट्रैक्टर के लगा दिए गए.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की जांच में ये भी सामने आया है कि जिन वाहन नंबरों को जेसीबी और ट्रैक्टर का बताया गया, वे स्कूटर, बाइक और ई-रिक्शा के थे. रिपोर्ट में पौधरोपण पर भारी खर्च करने के बावजूद फॉरेस्ट कवर कम होने की बात भी है.

रिपोर्ट में 2015-16 से 2021- 22 तक के काम का ऑडिट किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम्य विकास विभाग ने बिना कार्ययोजना के ही पौधरोपण किया. 22 जिलों की जांच की गई तो इसमें पाया गया कि 20 जिलों में कार्ययोजना तैयार नहीं की.

वहीं, प्रदेश के 14 वन प्रभागों ने मृत पौधों के एवज में जो पौधे लगाए, उनको अगले साल के लक्ष्य में शामिल कर अपनी उपलब्धि में दर्शा दिया और अपनी शान में चार चांद लगा दिए.

ये खामियां भी आईं सामने

  • 19% से 39% पौधरोपण का बजट मार्च में खर्च दिखाया गया, जबकि पौधरोपण का सही समय जुलाई और अगस्त होता है.
  • 28.45% मात्र ग्राम्य विकास विभाग के लगाए पौधों का सर्वाइवल रेट रहा, जबकि छह साल में 88.77 करोड़ रुपये रखरखाव पर खर्च किए गए.
  • छह साल में कैंपा योजना से मिली 1,179 करोड़ राशि, लेकिन खर्च ही नहीं की गई.
  • 16 प्रभागों की 149 नर्सरियों में 1.25 करोड़ पौधे क्षमता से अधिक उगाए गए.

उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना से जब वन विभाग के इस घोटाले को लेकर बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से फिलहाल इनकार कर दिया.

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