खूंटी: जिले में तालाब जीर्णोद्धार के नाम पर मची लूट में नया खुलासा हुआ है. विभाग और ठेकेदारों ने तालाब निर्माण से पूर्व बनवाई समिति और समिति के नाम से बैंक में खाता भी खुलवाया उसके बाद जिले में शुरू हुआ 69 तालाबों एवं 150 परकोलेशन टैंक का निर्माण. तालाबो के निर्माण कार्य में बरती गई भारी अनियमितता उसके बाद विभाग, ठेकेदार और बैंककर्मी की मिली भगत से रुपए ट्रांसफर का खेल शुरू हुआ. लेकिन समितियों को मालूम ही नहीं कि उनके नाम से किसी बैंक में खाते खुले और उस खाते से पैसों का ट्रांसफर भी हुआ.
दरअसल, ईटीवी भारत की टीम को जानकारी मिली थी कि जीर्णोद्धार के नाम पर अनियमितता बरती गई है. ईटीवी भारत की टीम ने स्थल का भौतिक निरीक्षण करने के बाद और समितियों से बातचीत में यह खुलासा हुआ है कि समितियों को लोभ लालच देकर उनके ओरिजिनल आधार कार्ड और जरूरी दस्तावेज लेकर बिचौलियों ने उनके नाम बैंकों में खाता खुलवाया है.
बैंक में खुले खाते से उनका कोई लेना देना नहीं जबकि कई समितियों ने कहा कि उनका फर्जी हस्ताक्षर का भी इस्तेमाल किया गया होगा क्योंकि वो लोग पूर्व में कागजों में अपना हस्ताक्षर किए थे उसके बाद उन्हें मालूम नहीं कि क्या हुआ, लेकिन तालाब खुदाई में भारी गड़बड़ी की गई है.
जल संचयन के लिए खूंटी के सभी छह प्रखंड क्षेत्रों के विभिन्न पंचायतों में 69 तालाबों और 150 परकोलेशन टैंक जीर्णोद्धार का कार्य कराया गया है, जिसमें अनियमितता का खुलासा हुआ. जल संचयन के लिए खोदे गए तालाबों के निर्माण से पहले से सुनियोजित तरीके से भूमि संरक्षण कार्यालय और बिचौलियों के सांठगांठ से जिले के कुछ बैंकों के कर्मियों की मिलीभगत के कारण समितियों के नाम से बैंक में खाते खोले गए. उसके बाद योजनाएं बनाई गई और योजना के नाम पर करोड़ों रुपये की निकासी की गई.
भूमि संरक्षण कार्यालय खूंटी द्वारा इस वित्तीय वर्ष जिले में 69 तालाबों के निर्माण के लिये कार्य योजना बनाई. जल संचयन के लिए बनाई गई योजना के तहत विभिन्न पंचायतों में निर्माण कार्य युद्धस्तर पर कराया गया. कार्य शुरू करने से पहले भूमि संरक्षण विभाग एवं ठेकेदारों ने ग्राम सभा के माध्यम से योजना स्वीकृति कराई और योजना के नाम से पानी पंचायत के नाम से समिति का गठन हुआ और समिति में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष बनाये गए.
अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के आधार कार्ड समेत जरूरी दस्तावेजों के जरिये बैंकों में खाते भी खुलवाए गए उसके बाद तालाब जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हुआ और जिले में बड़े पैमाने पर तालाब जीर्णोद्धार का कार्य कराया गया. जिले के सभी प्रखंडों में तालाब जीर्णोद्धार के नाम पर तालाब की खुदाई कराई गई. कहीं 200/200 तो कहीं 100/100, विभिन्न तालाबों में जेसीबी लगाकर मिट्टी की कटाई और मिट्टी निकासी का कार्य कराया गया.
ग्रामीणों के नाम जाली कागजात बनाकर बैंक से तालाब जीर्णोद्धार की रकम भी निकाली गई. तालाब जीर्णोद्धार का कार्य ठेकेदार के मन मुताबिक किया गया. रकम कितनी निकाली गयी इसकी जानकारी समिति एवं लाभुकों समेत ग्रामीणों की नहीं है. हालांकि अब ग्राम सभा भी सतर्क हो गई है.
तालाब जीर्णोद्धार के नाम से बनाई गई योजना की जानकारी ग्राम सभा को भी नहीं है. ग्राम सभा का मानना है कि इससे संबंधित किसी तरह की कोई योजना ग्राम सभा से पारित नहीं हुई. ग्राम सभा के ग्राम प्रधान सोमा मुंडा ने कहा कि जल्द ही ग्राम सभा कर जिले के अधिकारियों को मामले की जांच करने को कहेंगे. वहीं जिला परिषद सदस्य वीरेन कंडुलना ने भी तालाब जीर्णोद्धार में हुई गड़बड़ी और पैसों की निकासी मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग कर रहे हैं.
वहीं जिले के एलडीएम सनत दुबे ने कहा कि अगर जिले की बैंकों द्वारा गलत तरीके से खाता खोले गए हैं तो इसकी भी जांच कराई जाएगी और बैंक से जुड़े जो कर्मचारी होंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. एलडीएम सनत दुबे ने कहा कि जिले के बैंकों द्वारा अगर गलत कार्य किये है तो जांच कर निश्चित कार्रवाई होगी.
गौरतलब है कि ईटीवी भारत ने 29 मई को तालाब जीर्णोद्धार के नाम पर मची लूट खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. खबर प्रकाशित होने के दूसरे दिन जिले के भूमि संरक्षण विभाग एवं उससे जुड़े ठेकेदार तालाबों को फिर से बनाने की कवायद शुरू कर दी है. जबकि तालाब निर्माण में हुए गड़बड़ी की जांच की बात शुरू हो गई है.
डीडीसी श्याम नारायण राम ने कहा कि जिले में तालाब जीर्णोद्धार निर्माण में अनियमितता की शिकायतें मिली है. तालाब जीर्णोद्धार के नाम पर गलत कार्य हुए होंगे तो इसकी जांच कराई जाएगी. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
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