गया: गया वो शहर है जिसके कण कण में भगवान शिव बसे हैं. भगवान शिव को लेकर लोगों में गहरी श्रद्धा है, इसलिए गया लोगों की श्रद्धा का केंद्र माना जाता है. यहां अक्षय वट के सपीम प्रपिता वृद्ध महेश्वर महादेव मंदिर है. जिसको लेकर लोगों के मन में गहरी श्रद्धा है. भगवान शिव के इस पावन और चमत्कारी धाम को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. उज्जैन के महाकाल से मिलता जुलता यह शिवलिंग भक्तों के लिए चमत्कार से कम नहीं है.
महाकाल की तरह है शिवलिंग: अभी श्रावण मास का पावन महीना चल रहा है तो ऐसे में शिवालियों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. गया में स्थापित यह तीनों मंदिर परपिता वृद्ध महेश्वर मंदिर, पिता महेश्वर मंदिर और मार्कंडेय मंदिर में बिहार ही नहीं बल्कि देश भर से शिव भक्त आते हैं. अक्षयवट के समीप प्रपिता वृद्ध महेश्वर महादेव का मंदिर है. यहां उज्जैन की तर्ज पर बिहार का महाकाल मंदिर है.
पूजा करने मात्र से दूर होता है कालसर्प दोष: यहां कालसर्प दोष हो तो यहां आकर पूजा करने वाले भक्त इससे मुक्त हो जाते हैं. यहां महामृत्युंजय जाप करने से हर बाधा दूर होती है. यहां के पुजारी बताते हैं कि परपिता वृद्ध महेश्वर महादेव के चमत्कार भक्तों से जाना जा सकता है. भक्त यहां दुखी मन से आते हैं और फिर दोबारा जब आते हैं, तो खुशी उनके चेहरे पर दिखती है. दुख दारिद्रय संतान का कष्ट जहां दूर होता है.
तीन पीढियों के रूप में विराजमान हैं भोले नाथ: गया में तीन पीढ़ियां के रूप में महादेव विराजमान हैं. यह तीनों मंदिर काफी भव्य और प्राचीन है. महादेव के इन मंदिरों में प्रपिता वृद्ध महेश्वर महादेव अक्षयवट में 60 फीट ऊंचे मंदिर में विराजमान हैं. वहीं आदि पिता महेश्वर महादेव मां शीतला मंदिर में विराजमान हैं. इसी प्रकार मार्कण्डेय महादेव मंगला गौरी के समीप विराजमान है. तीनों मंदिरों में शिवलिंग रूप में विराजमान भगवान भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं.
खुद ब्रह्मा जी ने की थी शिवलिंग की स्थापना: कहा जाता है कि यह शिवलिंग आदिकाल से है. शिवलिंग की स्थापना खुद ब्रह्मा जी ने की थी. यही वजह है कि यहां स्थापित शिवलिंग को ब्रह्म कल्पित शिवलिंग कहा जाता है. माना जाता है इस शिवलिंग के दर्शन करने से लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं. यहां के शिवलिंग के बारे में मान्यता है, कि भगवान भोलेनाथ शिवलिंग रूप में दर्शन देकर भक्तों का कल्याण करते हैं.
महामृत्युंजय जाप कष्ट होते हैं दूर: बताया जाता है कि यहां वही भक्त पहुंचते हैं जिसे भगवान भोलेनाथ का बुलावा आता है. पिता महेश्वर मंदिर में शिवलिंग के पास महामृत्युंजय जाप करने से कई तरह के दोष दूर हो जाते हैं और परिवार खुशहाल हो जाता है. यहां महामृत्युंजय जाप करने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन के दिनों में भक्तों का सैलाब उमड़ता है.
मंगला गौरी के समीप है मारकंडेय महादेव: वहीं मार्कण्डेय महादेव का मंदिर भी प्राचीन कालीन है. यहां के बारे में मान्यता है कि यहां जो शिवलिंग स्थापित है उसे मिरकण्डु ऋषि के पुत्र मार्कंडेय ऋषि ने स्थापित किया था. मिरकंडू ऋषि को कोई संतान नहीं था. उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न किया था. भगवान शिव ने दर्शन देकर अल्पायु पुत्र होने का आशीर्वाद दिया था. उसके बाद मार्कंडेय ऋषि के रूप में उनके घर में पुत्र हुआ.
यमराज भी हार गए: बताया जाता है कि मार्कंडेय ऋषि अल्पायु थे, लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग की पूजा की. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग की पूजा करने के बाद यमराज भी हार गए और मार्कंडेय ऋषि दीर्घायु हुए. कहा जाता है कि मार्कंडेय ऋषि ने गया में मंगला गौरी के समीप खुद ही इस शिवलिंग की स्थापना की थी. मार्कंडेय मंदिर में भक्तों का तांता इन दिनों लगा रहता है.
"गया जी शिव भक्तों के लिए बड़ी स्थली के रूप में भी है. त्रिकाल के हिसाब से देखा जाए तो तीन महादेव आदिकाल से गया जी की रक्षा कर रहे हैं. इसमें प्रपिता बृद्ध महेश्वर महादेव, पिता महेश्वर महादेव और मार्कण्डेय महादेव है. वायु पुराण समेत अन्य धार्मिक ग्रंथों में इन तीनों मंदिरों और शिवलिंग की चर्चा है. भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करने वाले हैं. श्रावण मास में यहां जो भक्त पूजा करते हैं उन्हें दुख दरिद्र निसंतान जैसे कष्ट से छुटकारा मिल जाता है. - मनोज मिश्रा, पंडित
राजा मानसिंह ने कराया था मंदिर का जीर्णोद्धार: प्रपिता वृद्ध महेश्वर महादेव के पुजारी रितेश कुमार मिश्रा बताते हैं, कि यह बहुत पुराना मंदिर है. इतिहास में भी इसका जिक्र है. राजा मानसिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. इस मंदिर का जिक्र पुराणों में भी है. उज्जैन के महाकालेश्वर की तरह महाकाल का यह शिवलिंग अर्धनारीश्वर महादेव के रूप में स्थित है. यहां माता सती के साथ भोलेनाथ विराजमान है. इस मंदिर में पूजा करने से कालसर्प दोष कट जाता है.
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