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सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 50 बायसन जाएंगे बांधवगढ़, इनकी शिफ्टिंग बड़ा चैलेंज क्यों - STR BISON SHIFTING

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बायसन अगले माह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की शान बढ़ाएंगे. इनकी शिफ्टिंग हमेशा से बड़ी चुनौती रही है.

STR bison shifting
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 50 बायसन जाएंगे बांधवगढ़ (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 11, 2024, 2:01 PM IST

नर्मदापुरम : सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) के बायसन के शिफ्टिंग की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. प्रबंधन के मुताबिक पापुलेशन एनालिसिस के बाद इन 50 बायसन का एसटीआर के डॉक्टरों द्वारा जांच कर निगरानी की जा रही है. इन बायसान की हाथियों से लगातार निगरानी की जा रही. इन्हें अलग झुंड में रखा जा रहा है. बायसन की शिफ्टिंग के दौरान स्टेट लेवल की पूरी टीम निगरानी करेगी.

एसटीआर से बायसन की शिफ्टिंग अगले माह

डिप्टी डायरेक्टर पूजा नागले ने बताया "सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बांधवगढ़ में लगभग 50 बायसन भेजे जाने हैं. जनवरी माह में एसटीआर से बायसन भेजे जाएंगे. बायसन का हेल्थ एनालिसिस कर लिया गया है. उनके लंग्स सैंपल की भी रिपोर्ट भी आ गई है. टीवी संबंधित कोई बीमारी नहीं मिली है. साथ ही किसी भी प्रकार की अन्य कोई बीमारी नहीं पाई गई. इसके साथ ही प्रबंधन द्वारा हाथियों से बायसन के झुंडों की निगरानी की जा रही है.

एक बायसन का वजन करीब 700 किलोग्राम

बता दें कि एक बायसन का वजन करीब 700 किलो तक हो सकता है. इसको बेहोश करने से लेकर गाड़ी में शिफ्ट करने तक सैकड़ों कर्मचारी लगते हैं. एसटीआर प्रबंधन के मुताबिक जून 2023 में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से संजय टाइगर रिजर्व मे भी बायसन को विशेष निगरानी दल के साथ भेजा गया था. बता दें कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के करीब 2150 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पिछले एक दशक के दौरान 50 से अधिक वन्य ग्रामों को खाली कराया गया. वहां रहने वाले लोगों को दूसरे स्थानों पर विस्थापित किया गया. करीब 11 हजार हेक्टेयर भूमि को बाघों के रहवास के लिए आरक्षित किया गया. 85 प्रकार की घास लगाकर शाकाहारी वन्य प्राणियों के पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई.

बायसन की शिफ्टिंग में जुटेंगे व्यापक स्तर पर कर्मचारी

बायसन को शिफ्ट करना बड़ी चुनौती होती है. ज्यादा वजन होने से कड़ी मशक्कत के बाद इन्हें एक टाइगर रिजर्व से दूसरे टाइगर रिजर्व छोड़ना काफी मेहनत का काम होता है. जंगल में सबसे बड़ा और भारी जानवर भी बायसन ही होता है. गौरतलब है कि इस वन्य परिक्षेत्र क्षेत्र में हिमालय में पाई जाने वाली 26 प्रजातियां और नीलगिरि के वनों में पाई जाने वाली 42 प्रजातियां सतपुड़ा वन क्षेत्र में पाई जाती हैं. इसलिये विशाल पश्चिमी घाट की तरह इसे उत्तरी घाट का नाम भी दिया गया है. कुछ प्रजातियां जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बांस, हिसालू, दारूहल्दी सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं.

नर्मदापुरम : सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) के बायसन के शिफ्टिंग की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. प्रबंधन के मुताबिक पापुलेशन एनालिसिस के बाद इन 50 बायसन का एसटीआर के डॉक्टरों द्वारा जांच कर निगरानी की जा रही है. इन बायसान की हाथियों से लगातार निगरानी की जा रही. इन्हें अलग झुंड में रखा जा रहा है. बायसन की शिफ्टिंग के दौरान स्टेट लेवल की पूरी टीम निगरानी करेगी.

एसटीआर से बायसन की शिफ्टिंग अगले माह

डिप्टी डायरेक्टर पूजा नागले ने बताया "सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बांधवगढ़ में लगभग 50 बायसन भेजे जाने हैं. जनवरी माह में एसटीआर से बायसन भेजे जाएंगे. बायसन का हेल्थ एनालिसिस कर लिया गया है. उनके लंग्स सैंपल की भी रिपोर्ट भी आ गई है. टीवी संबंधित कोई बीमारी नहीं मिली है. साथ ही किसी भी प्रकार की अन्य कोई बीमारी नहीं पाई गई. इसके साथ ही प्रबंधन द्वारा हाथियों से बायसन के झुंडों की निगरानी की जा रही है.

एक बायसन का वजन करीब 700 किलोग्राम

बता दें कि एक बायसन का वजन करीब 700 किलो तक हो सकता है. इसको बेहोश करने से लेकर गाड़ी में शिफ्ट करने तक सैकड़ों कर्मचारी लगते हैं. एसटीआर प्रबंधन के मुताबिक जून 2023 में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से संजय टाइगर रिजर्व मे भी बायसन को विशेष निगरानी दल के साथ भेजा गया था. बता दें कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के करीब 2150 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पिछले एक दशक के दौरान 50 से अधिक वन्य ग्रामों को खाली कराया गया. वहां रहने वाले लोगों को दूसरे स्थानों पर विस्थापित किया गया. करीब 11 हजार हेक्टेयर भूमि को बाघों के रहवास के लिए आरक्षित किया गया. 85 प्रकार की घास लगाकर शाकाहारी वन्य प्राणियों के पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई.

बायसन की शिफ्टिंग में जुटेंगे व्यापक स्तर पर कर्मचारी

बायसन को शिफ्ट करना बड़ी चुनौती होती है. ज्यादा वजन होने से कड़ी मशक्कत के बाद इन्हें एक टाइगर रिजर्व से दूसरे टाइगर रिजर्व छोड़ना काफी मेहनत का काम होता है. जंगल में सबसे बड़ा और भारी जानवर भी बायसन ही होता है. गौरतलब है कि इस वन्य परिक्षेत्र क्षेत्र में हिमालय में पाई जाने वाली 26 प्रजातियां और नीलगिरि के वनों में पाई जाने वाली 42 प्रजातियां सतपुड़ा वन क्षेत्र में पाई जाती हैं. इसलिये विशाल पश्चिमी घाट की तरह इसे उत्तरी घाट का नाम भी दिया गया है. कुछ प्रजातियां जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बांस, हिसालू, दारूहल्दी सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं.

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