बुरहानपुर। जिले के लालबाग क्षेत्र में स्थित सतपुड़ा पहाड़ी 6 साल पहले तक बंजर और कंटीली झाड़ियों से घिरी हुई थी. कुछ सालों पहले तक इस पहाड़ी पर जाने में लोग घबराते थें, लेकिन श्री गजानन महाराज वाटिका के सदस्यों की कड़ी मेहनत और लगन से अब इसकी तस्वीर और पहचान बदल गई है. अब यहां हजारों पेड़-पौधों का बड़ा जंगल है, युवाओं ने विलुप्त हो रहे पेड़-पौधों को लगाकर उन्हें सहेज लिया है. अब इस बंजर पहाड़ी के कई एकड़ हिस्से ने हरियाली की चादर ओढ़ ली है मानो बंजर जमीन में फिर नई जान फूंक दी गई हो.
हरियाली के लिए 2018 से कड़ी मेहनत कर रहे युवा
सतपुड़ा पहाड़ी की बंजर जमीन को हरा भरा बनाने का जिम्मा श्री गजानन महाराज वाटिका के सदस्यों ने उठाया है. युवाओं ने बंजर पहाड़ी पर 2018 में करीब पांच हजार पौधे रोपे थे. पौधों अब बड़े हो गए हैं. इससे न केवल पहाड़ी का कुछ हिस्सा हरा-भरा हुआ है, बल्कि आसपास के क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर भी बढ़ गया है. युवाओं की इस अनूठी पहल से कई लोग भी जुड़े हैं. इस पहाड़ी पर दिवंगत सांसद नंदकुमार सिंह चौहान, विधायक अर्चना चिटनीस सहित कई जनप्रतिनिधियों ने भी पौधे लगाए हैं. यहां आम, नीम, आंवले सहित कई फलदार और छाया वाले पेड़ तैयार हो गए है. इन पेड़-पौधों को ड्रिप नली से पानी दिया जाता था, लेकिन बिजली कनेक्शन बंद हो गया है. इससे पौधों को पानी देने में बाधा उत्पन्न हो गई हैं, श्री गजानन महाराज वाटिका के सदस्यों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.
बंजर भूमि पर लगा दिए 5 हजार पौधे
पर्यावरण प्रेमियों का पेड़-पौधों के प्रति प्रेम ने हर मुश्किल काम को आसान कर दिखाया है. उपनगर लालबाग रेलवे स्टेशन से 4 किमी दूर सतपुड़ा की बंजर हो चुकी पहाड़ी को युवाओं ने एक नई जिंदगी दी है. पेड़-पौधों के प्रति गहरे लगाव का यह सिलसिला 2018 में शुरू हुआ था. यह काम बेहद कठिन था, लेकिन युवाओं की 6 सालों की मेहनत रंग लाई हैं. उन्होंने 150 फीट ऊंची बंजर पहाड़ी पर जेसीबी और फावड़े से गड्ढे खोदकर अब तक 5 हजार पेड़-पौधे रोपे है. इनमें से करीब 4 हजार पौधे जीवित हैं. इससे बंजर पहाड़ी छोटे-बड़े पेड़-पौधों से हरी-भरी हो गई.
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शुरुआत में बहुत मुश्किल हुई
श्री गजानन महाराज वाटिका के सदस्य उमेश तिवारी कहते हैं, '' इस बंजर पहाड़ी के 150 फीट ऊंचे हिस्से तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाना बेहद मुश्किल काम था. शुरुआती दौर में हमारे पास साधन उपलब्ध नहीं थे. 2018 में युवाओं की पहले से एक खेत में स्थित निजी कुएं से पानी का प्रबंध किया; प्लास्टिक के केन और बाल्टियों में पानी भरकर पहाड़ी के ऊपरी हिस्से पर पहुंचाया, फिर बड़ी टंकियो में पानी भरकर ड्रिप नलियों से पौधों को सींचा गया. हालांकि, कुछ समय बाद समाजसेवियों ने मोटर की व्यवस्था करावा दी. युवाओं ने चंदा जुटाकर सोलर पैनल की व्यवस्था की थी, लेकिन अब ये सौर पैनल भी चोरी हो गए हैं'. सदस्यों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है ताकि इन पेड़-पोधो को जीवित रखा जा सके.''