सतना: जिले के मझगंवा तहसील के अंतर्गत सेमराहा आदिवासी ग्राम में कई दिनों से पूरा गांव डायरिया की चपेट में है. लेकिन ग्राम वासियों ने कुछ मान्यताओं की वजह से डॉक्टर से इलाज नहीं कराया. जिसकी वजह से एक मासूम बच्ची को अपनी जान भी गंवानी पड़ गई. जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम सेमराहा गांव पहुंची. इसके बाद उल्टी दस्त से पीड़ित मरीजों को पुलिस की मदद से मझगंवा के सिविल अस्पताल लाया गया, जहां सभी पीड़ितों का उपचार किया जा रहा है.
आदिवासी गांव में फैला डायरिया
मध्य प्रदेश के सतना जिला मुख्यालय से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य मझगवां तहसील के सेमरहा गांव में डायरिया का प्रकोप फैला हुआ है. गांव के एक दर्जन से ज्यादा लोग उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं, लेकिन डॉक्टर के पास जाकर इलाज नहीं करा रहे हैं. गांव के कई बच्चे भी डायरिया से ग्रसित हैं. इनमें से एक 5 साल की मासूम बच्ची की मौत भी हो चुकी है. फिर भी लोग इलाज के लिए घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं.
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उल्टी-दस्त के मरीज नहीं करा रहे इलाज
अदिवासी गांव सेमराहा में डायरिया फैले होने की जानकारी जब मझगवां बीएमओ डॉ. रुपेश सोनी को मिली, तो वे मेडिकल टीम के साथ गांव पहुंचे. जहां उन्होंने देखा की गांव के कई लोग उल्टी और दस्त से पीड़ित हैं. कुछ लोगों की हालत बहुत गंभीर है. डॉक्टर साहब ने जब बीमार ग्रामीणों को अस्पताल चलने को कहा, तो लोगों ने अस्पताल जाने से मना कर दिया. इसके बाद डॉक्टर ने मरीजों को पुलिस की मदद से अस्पताल तक पहुंचाया. जहां उनका इलाज जारी है. इनमें से 2 बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिनको सतना रेफर कर दिया गया है.