सतना: केंद्रीय जेल में बंदियों में से एक बंदी ने जेल में 3 लाख 90 हजार रुपए जमा कराए. तब जाकर उस बंदी की दस वर्ष की सजा हुई माफ. गांधी जयंती के अवसर पर उसे रिहा किया गया. यह बंदी मुखिया यादव छतरपुर जिले का निवासी है. अगर यह अर्थदंड की राशि आज नहीं जमा कराई जाती तो मुखिया की 10 वर्ष की सजा फिर से बढ़ जाती, और उसे 10 वर्ष की सजा और काटनी पड़ती. लेकिन अर्थदंड की राशि जमा होने पर मुखिया की रिहाई हो सकी. बता दें कि गांधी जयंती के मौके पर अलग अलग जेलों में सजा याफ्ता बंदियों को रिहा करने की परंपरा शुरु हुई थी.
तीन हत्या के मामले में मिली थी उम्रकैद
सतना केंद्रीय जेल में एक बड़ा मामला सामने आया है. जहां पर एक बंदी ने जेल में 3 लाख 90 हजार रुपए जमा कराए हैं. आप इस रकम के बारे में सुनकर खुद अचंभित हो रहे होंगे कि आखिर कैदी ने इतने पैसे जेल में क्यों जमा कराए, दरअसल बंदी छतरपुर जिले का निवासी है जिसका नाम मुखिया यादव है. उसने वर्ष 2010 में जमीनी विवाद के चलते अपने ही क्षेत्र के रहने वाले तीन लोगों की हत्या की थी. इसके बाद 2012 में इसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. तब से वह जेल में था.
करीब 4 लाख रुपये जेल में जमा कराए, तब मिली रिहाई
केंद्रीय जेल में अभी तक वह 14 वर्ष की सजा पूरी कर चुका है. इसके बाद भी न्यायालय ने बंदी मुखिया यादव पर 3 लाख 90 हजार रुपए का अर्थ दंड का जुर्माना लगाया गया था, जिसे मुखिया यादव के परिजन द्वारा जेल में जमा करना था. इसके बाद आरोपी के परिजन ने पूरी राशि केंद्रीय जेल में जमा कराई. तब जाकर 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर मुखिया यादव को जेल की चार दिवारी से आजादी मिली. केंद्रीय जेल से आजाद होने के बाद मुखिया के चेहरे पर फिर वापस खुशियां लौट आई हैं.
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जेल अधीक्षक ने बंदियों को दिये पौधे
आपको बता दें कि गांधी जयंती के अवसर पर अच्छे आचरण को देखते हुए केंद्रीय जेल से 8 बंदियों की रिहाई की गई है. वहीं केंद्रीय जेल अधीक्षक लीना कोष्टा ने सभी रिहा किए गए बंदियों को एक-एक पौधा देकर उसे संरक्षित करने के लिए कहा, ताकि जिस तरीके से वह बंदी पेड़ का पालन पोषण करेगा, वैसे ही अच्छे कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी. केंद्रीय जेल से रिहा होने वाले आठ बंदियों में से एक सतना जिले का बंदी, छतरपुर जिले के चार बंदी और पन्ना जिले के तीन बंदी शामिल हैं.