भरतपुर. पूर्व राजपरिवार के पारिवारिक विवाद में अब 36 बिरादरी कूद पड़ी है. सर्वसमाज के लोगों ने मंगलवार को डीग जिले के कुम्हेर क्षेत्र में चामुंडा माता मंदिर में पंचायत की. पंचायत में पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह द्वारा सोशल मीडिया पर समाज को लेकर की गई टीका-टिप्पणी को लेकर नाराजगी जताई गई है. साथ ही कहा गया कि अनिरुद्ध सिंह समाज से माफी मांगें. समाज ने यह भी तय किया है कि एक तारीख तय करके पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह को उनके मोती महल में प्रवेश कराया जाएगा.
अनर्गल बातें करते हैं अनिरुद्ध : चामुंडा माता मंदिर पर 36 बिरादरी के लोगों ने कहा कि भरतपुर के पूर्व राज्य परिवार के सदस्य एवं पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह सभी के हितचिंतक हैं. सभी समाज के लोग उनके साथ हैं. पंचायत में शामिल खेम सिंह ने बताया कि "पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने सोशल मीडिया पर जाट समाज को लेकर अनर्गल बातें की, वो कभी कहते हैं कि हम यदुवंशी हैं, कभी कहते हैं हम राजपूत वंशज हैं. ये सारी बातें वो गलत कह रहे हैं. पंचायत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक अनिरुद्ध सिंह सभी समाज से माफी नहीं मांगेंगे, उन्हें माफ नहीं किया जाएगा."
पंचायत में शामिल हरवीर सिंह और नीबो सरपंच ने कहा कि अनिरुद्ध सिंह ने अपने पिता एवं पूर्व राजवंश के सदस्य विश्वेंद्र सिंह के साथ दुर्व्यवहार किया है. इसके लिए उन्हें उनसे माफी मांगनी पड़ेगी, यदि माफी नहीं मांगी तो सर्व समाज अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ होगा और विश्वेंद्र सिंह का तन, मन, धन से साथ देगा. जब तक उनको न्याय नहीं मिलेगा, तब तक सर्वसमाज साथ रहेगा.
वहीं, पंचायत के बाद सर्वसमाज के लोगों ने पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह से भी मुलाकात की. विश्वेंद्र सिंह ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है.
यह है मामला : बता दें कि भरतपुर के पूर्व राजपरिवार सदस्य एवं पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह पर मारपीट करने, खाना नहीं देने, घर छोड़ने को मजबूर करने के गंभीर आरोप लगाए थे. पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने वरिष्ठ नागरिक के रूप में उपखंड अधिकारी के ट्रिब्यूनल में प्रार्थना पत्र पेश कर ये आरोप लगाए थे, जबकि पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटा अनिरुद्ध सिंह ने विश्वेंद्र सिंह पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने बीते 30 साल में महाराजा सूरज की पूरी संपत्ति बेच दी. सिर्फ एक मोतीमहल बचा है. दिव्या सिंह का कहना है कि "मैं मरते दम तक मोतीमहल को बचाऊंगी. उन्होंने कहा कि 30 साल में मेरे साथ क्या हुआ, अगर मैंने ये बता दिया, तो ऐसा ना हो सुप्रीम कोर्ट तक केस पहुंच जाए."