जींद: सर्वजातीय खाप पंचायत के राष्ट्रीय संयोजक और भारतीय किसान मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष टेकराम कंडेला की अध्यक्षता में शनिवार, 3 फरवरी को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. किसान-मजदूर जागृति दिवस पर जींद के कंडेला गांव में आयोजित कार्यक्रम में कई किसान नेता भी शिरकत करने पहुंचे. इस दौरान केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार को कई अहम प्रस्ताव पास करके भेजे गए. इस दौरान किसानों ने केंद्र और प्रदेश सरकार को 23 फरवरी तक अल्टीमेटम दिया है. किसानों का कहना है कि अगर 23 फरवरी तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो 24 फरवरी को जींद के कंडेला में एक अहम बैठक कर आगामी आंदोलन को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी.
किसानों कहना है कि पिछली बार जब दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा था, तब गाजीपुर बॉर्डर को केंद्र सरकार ने खाली करवाने का षड्यंत्र रचा था. उस समय 3 फरवरी को कंडेला में सर्वखाप पंचायत और किसान संगठनों की एक बड़ी पंचायत बुलाई गई थी. पंचायत में निर्णय लिया था कि 3 फरवरी को किसान मजदूर जागृति दिवस राष्ट्रीय मुख्यालय कंडेला में ही मनाया जाएगा. इस मौके पर पंचायती प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीरा दालमवाला ने कहा कि टेकराम कंडेला 40 वर्षों से सर्वखाप और किसान संगठनों के लिए कार्य कर रहे हैं. इस बैठक में कई किसान और किसान नेता मौजूद रहे.
ये प्रस्ताव किए गए हैं पारित: किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार किसानों का कर्ज माफ करे. इसके साथ ही हिंदू मैरिज एक्ट में बदलाव किया जाए. एक गांव, एक गोत्र में शादी करने पर रोक लगाई जाए. इसके साथ ही माता-पिता की सहमति पर ही लड़का लड़की की शादी करने की मांग की गई है. मनरेगा की स्कीम को कृषि के साथ जोड़ा जाए. इसके अलावा सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है. पूर्व सरपंच हरियाणा का वेतन 1 हजार से बढ़ाकर 5 हजार किए जाने की मांग की गई है.
जींद में मेडिकल कॉलेज की ओपीडी को तुरंत शुरू करने की मांग की गई है. इसके अलावा किसानों की मांग है कि जींद जिला विकास की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है ऐसे में इस जिले में सभी ग्राम पंचायत को विकास के लिए हरियाणा सरकार द्वारा विशेष पैकेज दिया जाए. प्राकृतिक खेती और मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने की मांग की गई है. जींद जिले में युवा भारी संख्या में बेरोजगार हैं. इस जिले में केंद्र सरकार बड़ा औद्योगिक कारखाना लगाए ताकि जिले के कम से कम 15 हजार युवाओं को रोजगार मिल सके. इसके साथ ही किसानों का कहना है कि नशा रोकने के लिए खाप पंचायतें और सामाजिक संगठन सरकार का सहयोग करती रहेंगी.
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