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वाराणसी की जंगला साड़ी पहनकर नीता अंबानी ने बटोरीं थीं सुर्खियां, आप भी जानें खासियत

वाराणसी की पहचान साड़ी और परिधानों के लिए भी है. ऐसे ही यहां की जंगला साड़ी विशेष है. फिलवक्त जंगला साड़ी की चर्चा नीता अंबानी (Varanasi Jangala Saree Nita Ambani) के पहनने के बाद खूब हो रही है. जंगला साड़ी बनारस की पुरानी परंपरा की साड़ी रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 15, 2024, 3:47 PM IST

जानिए वाराणसी की जंगला साड़ी की क्यों हो रही चर्चा.

वाराणसी : बनारस की बनारसी साड़ी की पूरी दुनिया दीवानी है. हर जगह उसकी धुन नजर आती है. एक बार फिर से बनारस की साड़ी की एक विधा इन दिनों का चर्चा में है जो है जंगला साड़ी. इस साड़ी को देश के बड़े कारोबारी मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी ने एक अवॉर्ड शो के दौरान पहना था, जो खूब चर्चा का विषय बनी हुई है. यह जंगला साड़ी बनारस की पुरानी परंपरा की साड़ी रही है. बीच में इसे बनाना बंद कर दिया गया था. मगर कुछ कारीगर इसे आज भी बनाते हैं. नीता अंबानी ने जिस साड़ी को पहना था वह जंगला साड़ी आधुनिक तकनीक से बनी हुई है.

बनारस की जंगला साड़ी की खासियत.
बनारस की जंगला साड़ी की खासियत.


बनारस की कलाकारी का आज हर कोई दीवाना है. यहां पर बनने वाले काष्ठकला से लेकर शिल्पकला तक की मांग देश की नहीं विदेशों में भी है. बनारस में विद्वान भी हैं तो कलाकार भी हैं. यहां के खिलौने भी फेमस हैं और कपड़े भी. इसी का एक उदाहरण पेश किया है नीता अंबानी ने. नीता अंबानी ने बनारस की फेमस जंगला साड़ी पहनकर खूब सुर्खियां बटोरी हैं. यह जंगला साड़ी बनारस की पारंपरिक साड़ी रही है. पुराने समय में इसे खूब बनाया जाता था. मगर आज स्थिति यह है कि इसको बनाने वाले कारीगरों की संख्या बहुत ही कम हो गई है. वहीं जंगला को तैयार करने में करीब एक महीने से लेकर तीन महीने तक का समय लग जाता है.

बनारस की जंगला साड़ी.
बनारस की जंगला साड़ी.


70 के दशक में था जंगला साड़ी का चलन : इस साड़ी की खासियत को लेकर वस्त्र एसोसिएशन के पदाधिकारी राजन बहल बताते हैं कि, यह एक पुरातन पद्धति बनारसी साड़ी में चलती रही है. जंगला साड़ी दोबारा वापस आई है. जंगला साड़ी का मतलब होता है, जंगल. जो चारों तरफ से भरी हो और बीच में कुछ हो. उसको जंगला साड़ी कहते हैं. नीता अंबानी ने जो साड़ी पहनी है वह बहुत ही अच्छी साड़ी है. इसमें कोई दो राय नहीं है. वह भी एक नई तकनीक से बनी हुई साड़ी है. जंगला में थोड़ा सा परिवर्तन करके उसको बनाया गया है. उसको भी जंगला ही कह सकते हैं. 70 के दशक में जब बनारसी साड़ी प्रभाव में थी तब जंगला साड़ी की बहुत डिमांड थी.

बनारस की जंगला साड़ी.
बनारस की जंगला साड़ी.


15 दिन से तीन महीने का लगता है समय : लोगों को धीरे-धीरे ड्रामेटिकल पसंद आने लगा. अब फिर से जंगला साड़ी वापस आई है. नीता अंबानी ने जो साड़ी पहनी है उसे बनने में कम से कम एक महीने का समय लगा होगा. इसमें 15 दिन से तीन महीने तक समय लगता है. इसमें कितने रंग के मीने हैं यह उसपर निर्भर करता है. जंगला साड़ी बनाने वाले लोग अधिक नहीं हैं क्योंकि यह प्योर में बनती है और हैंडलूम में बनती है. इसका कम से कम दाम 9,000 से लेकर के एक लाख से डेढ़ लाख रुपये तक जाता है. इतने दाम में जंगला साड़ी मिल जाएगी. जितना समय जिस साड़ी में लगता है, उसकी लागत बढ़ती जाती है.



बनारस में इन साड़ियों की भी खूब रही डिमांड : राजन बहल बताते हैं कि बनारस में बनने वाली श्यामदानी, तनछुई, रामाबार की साड़ियां प्राचीन कला की हैं. शिकारगाह की भी साड़ियां खूब बनती थीं. शिकारगाह का फैशन आया, लेकिन उसे हर कोई नहीं बनाता है. मुस्लिम कारीगर शिकारगाह नहीं बनाते हैं क्योंकि उसमें जानवर की फोटो होती है, वह उन लोगों में जायज नहीं है. ऐसे में जो हिन्दू कारीगर है, जो बनारसी साड़ी में लगे हुए हैं वही शिकारगाह साड़ी बनाते हैं. इसकी डिमांड शुरू से ही रही है, लेकिन कारीगर न होने से वह साड़ी नहीं मिल पाती है. मगर कुछ कारीगर आज भी इसे बनाते हैं. अगर सबसे महंगी बनारसी साड़ी की बात करें तो 12 लाख की एक साड़ी बनी है, जिसमें सोने के तार लगे हैं. अनुष्का शर्मा ने वह साड़ी पहनी थी.

यह भी पढ़ें : काशी के बुनकर भारतीय क्रिकेट टीम को वर्ल्ड कप जीतने पर देंगे स्पेशल गिफ्ट, कीमत जानकर हो जाएंगे हैरान

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जानिए वाराणसी की जंगला साड़ी की क्यों हो रही चर्चा.

वाराणसी : बनारस की बनारसी साड़ी की पूरी दुनिया दीवानी है. हर जगह उसकी धुन नजर आती है. एक बार फिर से बनारस की साड़ी की एक विधा इन दिनों का चर्चा में है जो है जंगला साड़ी. इस साड़ी को देश के बड़े कारोबारी मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी ने एक अवॉर्ड शो के दौरान पहना था, जो खूब चर्चा का विषय बनी हुई है. यह जंगला साड़ी बनारस की पुरानी परंपरा की साड़ी रही है. बीच में इसे बनाना बंद कर दिया गया था. मगर कुछ कारीगर इसे आज भी बनाते हैं. नीता अंबानी ने जिस साड़ी को पहना था वह जंगला साड़ी आधुनिक तकनीक से बनी हुई है.

बनारस की जंगला साड़ी की खासियत.
बनारस की जंगला साड़ी की खासियत.


बनारस की कलाकारी का आज हर कोई दीवाना है. यहां पर बनने वाले काष्ठकला से लेकर शिल्पकला तक की मांग देश की नहीं विदेशों में भी है. बनारस में विद्वान भी हैं तो कलाकार भी हैं. यहां के खिलौने भी फेमस हैं और कपड़े भी. इसी का एक उदाहरण पेश किया है नीता अंबानी ने. नीता अंबानी ने बनारस की फेमस जंगला साड़ी पहनकर खूब सुर्खियां बटोरी हैं. यह जंगला साड़ी बनारस की पारंपरिक साड़ी रही है. पुराने समय में इसे खूब बनाया जाता था. मगर आज स्थिति यह है कि इसको बनाने वाले कारीगरों की संख्या बहुत ही कम हो गई है. वहीं जंगला को तैयार करने में करीब एक महीने से लेकर तीन महीने तक का समय लग जाता है.

बनारस की जंगला साड़ी.
बनारस की जंगला साड़ी.


70 के दशक में था जंगला साड़ी का चलन : इस साड़ी की खासियत को लेकर वस्त्र एसोसिएशन के पदाधिकारी राजन बहल बताते हैं कि, यह एक पुरातन पद्धति बनारसी साड़ी में चलती रही है. जंगला साड़ी दोबारा वापस आई है. जंगला साड़ी का मतलब होता है, जंगल. जो चारों तरफ से भरी हो और बीच में कुछ हो. उसको जंगला साड़ी कहते हैं. नीता अंबानी ने जो साड़ी पहनी है वह बहुत ही अच्छी साड़ी है. इसमें कोई दो राय नहीं है. वह भी एक नई तकनीक से बनी हुई साड़ी है. जंगला में थोड़ा सा परिवर्तन करके उसको बनाया गया है. उसको भी जंगला ही कह सकते हैं. 70 के दशक में जब बनारसी साड़ी प्रभाव में थी तब जंगला साड़ी की बहुत डिमांड थी.

बनारस की जंगला साड़ी.
बनारस की जंगला साड़ी.


15 दिन से तीन महीने का लगता है समय : लोगों को धीरे-धीरे ड्रामेटिकल पसंद आने लगा. अब फिर से जंगला साड़ी वापस आई है. नीता अंबानी ने जो साड़ी पहनी है उसे बनने में कम से कम एक महीने का समय लगा होगा. इसमें 15 दिन से तीन महीने तक समय लगता है. इसमें कितने रंग के मीने हैं यह उसपर निर्भर करता है. जंगला साड़ी बनाने वाले लोग अधिक नहीं हैं क्योंकि यह प्योर में बनती है और हैंडलूम में बनती है. इसका कम से कम दाम 9,000 से लेकर के एक लाख से डेढ़ लाख रुपये तक जाता है. इतने दाम में जंगला साड़ी मिल जाएगी. जितना समय जिस साड़ी में लगता है, उसकी लागत बढ़ती जाती है.



बनारस में इन साड़ियों की भी खूब रही डिमांड : राजन बहल बताते हैं कि बनारस में बनने वाली श्यामदानी, तनछुई, रामाबार की साड़ियां प्राचीन कला की हैं. शिकारगाह की भी साड़ियां खूब बनती थीं. शिकारगाह का फैशन आया, लेकिन उसे हर कोई नहीं बनाता है. मुस्लिम कारीगर शिकारगाह नहीं बनाते हैं क्योंकि उसमें जानवर की फोटो होती है, वह उन लोगों में जायज नहीं है. ऐसे में जो हिन्दू कारीगर है, जो बनारसी साड़ी में लगे हुए हैं वही शिकारगाह साड़ी बनाते हैं. इसकी डिमांड शुरू से ही रही है, लेकिन कारीगर न होने से वह साड़ी नहीं मिल पाती है. मगर कुछ कारीगर आज भी इसे बनाते हैं. अगर सबसे महंगी बनारसी साड़ी की बात करें तो 12 लाख की एक साड़ी बनी है, जिसमें सोने के तार लगे हैं. अनुष्का शर्मा ने वह साड़ी पहनी थी.

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