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सड़क, शादी और श्रमदान! जानें, सरइडीह गांव की क्या है कहानी - Villagers built road

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 3, 2024, 6:08 PM IST

Road problem in Bhusur Panchayat of Latehar. सरकारी तंत्र जब उदासीन हो जाए और कोई योजना जब धरातल पर नजर नहीं आए तो एक ही उपाय नजर आता है. कुछ ऐसा ही उपाय करके ग्रामीणों ने अपने इलाके की तस्वीर बदल दी है. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानें, लातेहार में सरइडीह गांव के लोगों की श्रमदान की कहानी.

Saraidih villagers built road through manual labour In Latehar
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

लातेहारः जिला सदर प्रखंड के भूसूर पंचायत स्थित सरइडीह गांव के ग्रामीणों ने अपने गांव तक पहुंचने के लिए श्रमदान से कच्ची सड़क का निर्माण आरंभ किया है. आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव में पहुंचने के लिए आज तक सरकारी स्तर पर सड़क नहीं बनाई गई है. सरकारी तंत्र और जनप्रतिनिधियों की विकास के प्रति उदासीनता से तंग आकर यहां के ग्रामीणों ने खुद ही अपने गांव तक सड़क निर्माण करने का संकल्प लिया है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः ग्रामीणों ने श्रमदान से सड़क बनाई (ETV Bharat)

एक तरफ तो सरकारी तंत्र के द्वारा गांव-गांव तक विकास की बात कह अपनी पीठ खुद ही थपथपाई जाती है. लेकिन अभी भी कई ऐसे गांव हैं जहां सरकारी तंत्र के द्वारा बुनियादी सुविधाओं को भी बहाल नहीं किया जा सका है. इसी प्रकार का एक गांव लातेहार सदर प्रखंड का सरइडीह गांव है. पूरी तरह आदिवासी बहुल इस गांव में पहुंचने के लिए आज तक एक सड़क का निर्माण भी नहीं हो पाया है.

लातेहार जिला मुख्यालय से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रहने के बावजूद इस गांव में रहने वाले लोग गांव तक पहुंचने के लिए एक सड़क के लिए तरस रहे हैं. वर्तमान में स्थिति है कि गांव तक पहुंचने के लिए मात्र पगडंडी ही सहारा है. ग्रामीणों को अपने गांव तक पहुंचाने के लिए लगभग 1 किलोमीटर तक पगडंडी पर चलना पड़ता है. बरसात के दिनों में तो यहां के ग्रामीणों का जीवन पूरी तरह नारकीय बन जाता है. ऐसे में गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल लाने के लिए ग्रामीणों को आज भी प्राचीन जमाने की तरह खटिया या डोली का सहारा लेना पड़ता है.

सरकार, प्रशासन और प्रतिनिधियों से नहीं मिला सहारा

ग्रामीणों के द्वारा पिछले कई वर्षों से लगातार सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से सड़क के लिए गुहार लगाई गयी. लेकिन आज तक गांव में पहुंचने के लिए कहीं से एक सड़क का निर्माण नहीं कराया गया. अंत में हार कर यहां के ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान कर गांव तक पहुंचाने के लिए काम चलाऊ कच्ची सड़क निर्माण करने का संकल्प लिया. ग्रामीणों ने गांव में चंदा किया और मोरम मिट्टी खरीद कर गांव तक किसी प्रकार पहुंचने के लिए श्रमदान से सड़क का निर्माण आरंभ कर दिया.

ग्रामीण करीमन सिंह, नागेंद्र उरांव, सीता देवी समेत अन्य लोगों ने बताया कि गांव में पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में ग्रामीणों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. गांव में आना-जाना इतना मुश्किल हो जाता है कि अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे अस्पताल भी पहुंचने में ग्रामीणों को पसीने छूटने लगते हैं. जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों से भी कई बार गुहार लगाई गई कि गांव में सड़क का निर्माण करवाया जाए पर आज तक किसी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया. मजबूरी में उन लोगों के द्वारा गांव में ही चंदा करके श्रमदान से मिट्टी मोरम सड़क का निर्माण कराया जा रहा है.

सड़क और सुविधा के अभाव में गांव में विवाह के लिए नहीं आते रिश्ते

ग्रामीण सहदेव सिंह ने बताया कि गांव में सड़क और अन्य प्रकार की सुविधा नहीं रहने के कारण यहां के युवक और युवतियों के विवाह के लिए कोई मेहमान भी नहीं आता. युवकों के विवाह के लिए गांव में अगर कोई मेहमान एक बार आ जाए तो गांव की स्थिति और सड़क नहीं रहने के कारण वे लोग दोबारा नहीं आते. इस कारण से इस गांव से दूसरे गांव में विवाह या रिश्तेदारी करना उनके लिए काफी परेशानी में डाल देता है.

गांव में कराया जाएगा सड़क का निर्माण

इस संबंध में लातेहार के डीडीसी सुरजीत सिंह ने कहा कि गांव में सड़क के निर्माण के लिए जल्द ही पहल करने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग से इसकी जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़ें- सरकारी सिस्टम से टूट गई आस तो ग्रामीणों ने खुद बदल डाली गांव की तस्वीर, श्रमदान से बनाया लकड़ी का पुल

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इसे भी पढ़ें- गिरिडीह के बगोदर में चंद रुपए में ग्रामीणों ने बना डाला खेल मैदान, जानें पूरी कहानी - VILLAGERS BUILT PLAYGROUND

लातेहारः जिला सदर प्रखंड के भूसूर पंचायत स्थित सरइडीह गांव के ग्रामीणों ने अपने गांव तक पहुंचने के लिए श्रमदान से कच्ची सड़क का निर्माण आरंभ किया है. आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव में पहुंचने के लिए आज तक सरकारी स्तर पर सड़क नहीं बनाई गई है. सरकारी तंत्र और जनप्रतिनिधियों की विकास के प्रति उदासीनता से तंग आकर यहां के ग्रामीणों ने खुद ही अपने गांव तक सड़क निर्माण करने का संकल्प लिया है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः ग्रामीणों ने श्रमदान से सड़क बनाई (ETV Bharat)

एक तरफ तो सरकारी तंत्र के द्वारा गांव-गांव तक विकास की बात कह अपनी पीठ खुद ही थपथपाई जाती है. लेकिन अभी भी कई ऐसे गांव हैं जहां सरकारी तंत्र के द्वारा बुनियादी सुविधाओं को भी बहाल नहीं किया जा सका है. इसी प्रकार का एक गांव लातेहार सदर प्रखंड का सरइडीह गांव है. पूरी तरह आदिवासी बहुल इस गांव में पहुंचने के लिए आज तक एक सड़क का निर्माण भी नहीं हो पाया है.

लातेहार जिला मुख्यालय से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रहने के बावजूद इस गांव में रहने वाले लोग गांव तक पहुंचने के लिए एक सड़क के लिए तरस रहे हैं. वर्तमान में स्थिति है कि गांव तक पहुंचने के लिए मात्र पगडंडी ही सहारा है. ग्रामीणों को अपने गांव तक पहुंचाने के लिए लगभग 1 किलोमीटर तक पगडंडी पर चलना पड़ता है. बरसात के दिनों में तो यहां के ग्रामीणों का जीवन पूरी तरह नारकीय बन जाता है. ऐसे में गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल लाने के लिए ग्रामीणों को आज भी प्राचीन जमाने की तरह खटिया या डोली का सहारा लेना पड़ता है.

सरकार, प्रशासन और प्रतिनिधियों से नहीं मिला सहारा

ग्रामीणों के द्वारा पिछले कई वर्षों से लगातार सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से सड़क के लिए गुहार लगाई गयी. लेकिन आज तक गांव में पहुंचने के लिए कहीं से एक सड़क का निर्माण नहीं कराया गया. अंत में हार कर यहां के ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान कर गांव तक पहुंचाने के लिए काम चलाऊ कच्ची सड़क निर्माण करने का संकल्प लिया. ग्रामीणों ने गांव में चंदा किया और मोरम मिट्टी खरीद कर गांव तक किसी प्रकार पहुंचने के लिए श्रमदान से सड़क का निर्माण आरंभ कर दिया.

ग्रामीण करीमन सिंह, नागेंद्र उरांव, सीता देवी समेत अन्य लोगों ने बताया कि गांव में पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में ग्रामीणों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. गांव में आना-जाना इतना मुश्किल हो जाता है कि अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे अस्पताल भी पहुंचने में ग्रामीणों को पसीने छूटने लगते हैं. जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों से भी कई बार गुहार लगाई गई कि गांव में सड़क का निर्माण करवाया जाए पर आज तक किसी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया. मजबूरी में उन लोगों के द्वारा गांव में ही चंदा करके श्रमदान से मिट्टी मोरम सड़क का निर्माण कराया जा रहा है.

सड़क और सुविधा के अभाव में गांव में विवाह के लिए नहीं आते रिश्ते

ग्रामीण सहदेव सिंह ने बताया कि गांव में सड़क और अन्य प्रकार की सुविधा नहीं रहने के कारण यहां के युवक और युवतियों के विवाह के लिए कोई मेहमान भी नहीं आता. युवकों के विवाह के लिए गांव में अगर कोई मेहमान एक बार आ जाए तो गांव की स्थिति और सड़क नहीं रहने के कारण वे लोग दोबारा नहीं आते. इस कारण से इस गांव से दूसरे गांव में विवाह या रिश्तेदारी करना उनके लिए काफी परेशानी में डाल देता है.

गांव में कराया जाएगा सड़क का निर्माण

इस संबंध में लातेहार के डीडीसी सुरजीत सिंह ने कहा कि गांव में सड़क के निर्माण के लिए जल्द ही पहल करने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग से इसकी जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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