रायपुर: हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है. किसी भी मांगलिक और शुभ कार्य की शुरुआत करने के पहले भगवान गणेश का ध्यान किया जाता है. संकट चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सारे काम बनने लगते हैं. इनकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल में 27 अप्रैल शनिवार के दिन संकट चतुर्थी मनाया जाएगा.
संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, "जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि हर तरह का व्रत संकटों से मुक्ति के लिए किया जाता है. इसे संकष्टी चतुर्थी व्रत के नाम से जाना जाता है. संकष्टी चतुर्थी हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. यह दिन भगवान गणेश के लिए समर्पित है. व्रत करने वाले लोग अपने मन में भगवान का ध्यान करके अपनी दैनिक दिनचर्या की शुरुआत करते हैं."
"संकष्टी चतुर्थी का संकल्प लेकर पूरा दिन व्रत रखकर भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा की जाती है. भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने के साथ ही अभिषेक किया जाता है. भगवान गणेश की स्तुति भी करनी चाहिए. आज के दिन शाम के समय चंद्र उदय होने के बाद चंद्र को अर्ध्य देने के साथ ही इस व्रत का पारण (तोड़ना) किया जाता है." - पंडित मनोज शुक्ला, महामाया मंदिर रायपुर
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त : हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल शनिवार के दिन सुबह 8:17 पर शुरू होगी. इसका समापन 28 अप्रैल सोमवार की सुबह 8:21 पर होगा. ऐसे में 27 अप्रैल को संकट चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. संकट चतुर्थी के दिन सुबह के समय पूजा का शुभ मुहूर्त 7:22 से लेकर सुबह 9:00 तक रहेगा. रात के समय पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6:54 से लेकर रात्रि 8:15 तक रहेगा.
संतान सुख की प्राप्ति के लिए ऐसे करें पूजा: आज के दिन स्नान ध्यान से निवृत होने के बाद इस व्रत का संकल्प लें. उसके बाद घर के मंदिर में एक साफ चौकी पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद गणेश जी को फूल दूर्वा अक्षत और चंदन अर्पित करें. कथा का पाठ करें और गणेश के मंत्रो का जाप करें. अंत में आरती करें और भोग लगाकर प्रसाद का सभी को वितरण करें. इस दिन शाम के समय चंद्रदेव की पूजा करने के बाद इस व्रत का पारण करें. ऐसा माना जाता है कि आज के इस दिन चंद्र देव को अर्ध्य देने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. घर में धन वैभव और सौभाग्य बनी रहती है.
नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.