रांची: जिला बार एसोसिएशन रांची के द्विवार्षिक चुनाव परिणाम जारी होने के बाद निर्वाचित प्रत्याशियों ने अधिवक्ताओं के हित में काम करना शुरू कर दिया है. सोमवार को रांची बार एसोसिएशन का चुनाव परिणाम आया था. जिसमें शंभू कुमार अग्रवाल रांची बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बने हैं. वहीं उपाध्यक्ष पद पर विनय कुमार राय और सचिव पद पर संजय कुमार विद्रोही ने जीत हासिल की है. इसके अलावा कोषाध्यक्ष पद के लिए मुकेश कुमार केसरी और उपकोषाध्यक्ष के लिए दीन दयाल सिंह के साथ-साथ अभिषेक कुमार भारती और प्रदीप कुमार कुमार चौरसिया ने भी रांची बार एसोसिएशन के चुनाव में जीत प्राप्त की है.
ज्यूडिशियरी और अधिवक्ताओं के बीच सामंजस्य बनाना लक्ष्य-संजय विद्रोहीः सचिव पद पर लगातार तीसरी बार जीत प्राप्त करने के बाद अधिवक्ता संजय कुमार विद्रोही ने बताया उनके लिए ज्यूडिशियरी और अधिवक्ताओं के बीच सामंजस्य बनाना लक्ष्य है. साथ ही उन्होंने कहा कि रांची सिविल कोर्ट में काम करने वाले अधिवक्ताओं को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि वर्षों से रांची बार काउंसिल के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाया है. आने वाले समय में रांची सिविल कोर्ट परिसर के विस्तार के लिए जमीन प्राप्त करना भी उनका मुख्य लक्ष्य है.
अधिवक्ताओं को सुविधा मुहैया कराने के लिए करेंगे मेहनतः इसके अलावा बार काउंसिल और संगठन के कल्याण के लिए सरकार की ओर से जो पैसे दिए जाते हैं, उस पैसे का वाजिब खर्च कैसे हो इस पर भी काम करना है.उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं के सम्मान को बढ़ाने के लिए उन्हें जो भी करना होगा, वह करेंगे. कई ऐसे छोटे-मोटे काम हैं जो प्रतिदिन अधिवक्ताओं के लिए समस्या बनती है, उन सभी समस्याओं के समाधान के लिए अगले 2 वर्षों तक वह जीतोड़ मेहनत करेंगे. जिसमें कैंटीन की सुविधा को मजबूत करना, शौचालय सुविधा को और भी बेहतर बनाना, अधिवक्ताओं के लिए पार्किंग की सुविधा उपलब्ध कराना सहित कई ऐसे छोटे-मोटे काम हैं, जिसके लिए रांची बार एसोसिएशन के सभी सदस्य और चुने गए प्रत्याशी बेहतर काम करने के लिए संकल्पित हैं.
गौरतलब है कि रांची सिविल कोर्ट में प्रतिदिन हजारों अधिवक्ता कार्य के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में कई ऐसी सुविधाएं हैं जो अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाई हैं. इस कारण अधिवक्ताओं को परेशानी होती है. अब देखने वाली बात होगी कि रांची बार एसोसिएशन पदाधिकारी सिविल कोर्ट और वहां पर काम करने वाले वकीलों की समस्याओं का कितना समाधान कर पाते हैं.
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