नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा : गौतमबुद्ध नगर में किसान आंदोलन के चलते लगातार किसान अपनी गिरफ्तारी दे रहे हैं. वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा की शनिवार को एक आपातकालीन बैठक अट्टा गुजरान गांव में हुई. बैठक में 30 से अधिक किसान संगठन एक साथ मौजूद रहे और सभी ने आंदोलन को आगे बढ़ाने और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है. साथ ही, बैठक में सभी किसान संगठनों ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा पहले की तरह आज भी एकजुट है. और इस घटना के बाद और ज्यादा मजबूत और अपना हक लेने के लिए तत्पर है.
संयुक्त किसान मोर्चे ने बुलाई आपातकालीन बैठक : दरअसल, शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चे ने एक आपातकालीन बैठक अट्टा गुजरान गांव में बुलाई गई. इस बैठक में भारतीय किसान टिकैत, जय जवान जय किसान, भारतीय किसान यूनियन महात्मा टिकैत, अखिल भारतीय किसान सभा, सिस्टम सुधार संगठन, भारतीय किसान एकता, किसान एकता महासंघ, भारतीय किसान परिषद, भारतीय किसान यूनियन भानू, भारतीय किसान यूनियन अखंड, भारतीय किसान यूनियन कृषक शक्ति, किसान यूनियन अजगर, किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा, किसान एकता महासंघ, भारतीय किसान यूनियन मंच और भारतीय किसान यूनियन संपूर्ण भारत सहित लगभग 30 से अधिक संगठन मौजूद रहे. बैठक में मौजूद सभी किसान संगठनों ने एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है. जिसके चलते लगातार आंदोलन को आगे बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया है.
किसानों की पुलिस बर्बरता और माहौल को खत्म करने की अपील : भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी सुनील प्रधान ने बताया कि बैठक में किसानों द्वारा निर्णय लिया गया कि पुलिस की बर्बरता और बनाए जा रहे माहौल को तुरंत समाप्त किया जाए. साथ ही साथ जो किसान और किसान नेता जेल में बंद है उन्हें तुरंत बिना शर्त तैयार किया जाए. इसके साथ ही एक सद्भाव पूर्ण माहौल तैयार किया जाए जिससे वार्ता और संवाद का माहौल तैयार हो सके. लोकतंत्र के सभी पक्षों के अधिकार सुरक्षित किए जाएं क्योंकि धरना प्रदर्शन के माध्यम से अपनी बात रखना हमारा संवैधानिक अधिकार है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के एकजुटता की कही बात : किसानों ने कहा कि बैठक के माध्यम से सभी को यह भी अवगत कराना चाहते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा पहले की तरह आज भी एकजुट है. किसानों की गिरफ्तारी के इस घटनाक्रम के बाद किसान मोर्चा और ज्यादा मजबूत और अपने हक लेने के लिए तत्पर है. शासन, प्रशासन और सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक निर्णय लिए जाने की स्थिति में संयुक्त किसान मोर्चा दोबारा कोई बड़ा निर्णय लेने के लिए विवश होगा.
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